लिखते हैं सदा उन्हीं के लिए,
जिन्होंने हमें कभी पढ़ा ही नहीं।
दुआ करना दम भी उसी दिन निकले,
जिस दिन तेरे दिल से हम निकले।
मिला है सब कुछ तो फरियाद क्या करे,
दिल हो परेशान तो जजबात क्या करे।
तुम सोचते होगे की आज याद नहीं किया,
कभी भूले ही नहीं तो याद क्या करे।
लाखों अदाओं की अब जरुरत ही क्या है,
जब वो फ़िदा ही हमारी सादगी पर है।
दुआ करना दम भी उसी दिन निकले,
जिस दिन तेरे दिल से हम निकले।
मेरे अकेलेपन को मेरा शौख ना समझो यारो,
बड़े ही प्यार से तोहफा दिया है किसी चाहने वाले ने।
जिंदगी रही तो हर दिन तुम्हे याद करते रहेंगे,
भूल गया तो समझ लेना खुदा ने हमें याद कर लिया।
कोई भी रिश्ता ना होने पर भी जो रिश्ता निभाता हैं
वो रिश्ता एक दिन दिल की गहराइयों को छू जाता हैं।
इरादा कत्ल का था तो मेरा सर कलम कर देते,
क्यू इश्क मे डाल कर तुने हर साँस पर मौत लिख दी।
आरजू थी तुम्हारी तलब बनने की,
मलाल ये है कि तुम्हारी लत लग गयी।
वो कितना खुश है मुझे भूलकर,
काश उसके जैसा दिल मेरे पास भी होता।
मुस्कुराने के बहाने जल्दी खोजो वरना,
जिन्दगी रुलाने के मौके तलाश लेगी।
रिश्तों पर रुपयों की किश्ते जोड़ देते है,
खाली हो जेब तो लोग हर रिश्तें तोड़ देते है।
ऐ दिल तू समझा कर बात को,
जिसे तू खोना नही चाहता वो तेरा होना नही चाहता।
तुम लौटकर आ जाना जब भी तुम्हारा दिल करे,
सौ बार भी लौटोगे तो हमें अपना ही पाओगे।
अजनबी तो हम जमाने के लिए हैं,
आपसे तो हम शायरियों में मुलाकात कर लेते हैं।
ज्यादा कुछ नहीं बदला उम्र बढ़ने के साथ,
बचपन की ज़िद समझौतों में बदल जाती है।
एक खूबसूरत कहानी रात के आगोश में पनाह लेगी,
चाँद निकाह कराएगा और चाँदनी गवाही देगी।
बहुत ख़ास थे कभी हम किसी की नज़रों में,
मगर नज़रों के तकाज़े बदलने में देर ही कितनी लगती है।
इतना बेताब न हो मुझसे बिछड़ने के लिये,
तुझे आँखों से नहीं मेरे दिल से जुदा होना है।
संभाल के रखना अपनी पीठ को यारो,
शाबाशी और खंजर दोनो वहीं पर मिलते है।
परवाह करने की आदत ने तो परेशां कर दिया,
गर बेपरवाह होते तो सुकून-ए-ज़िंदगी में होते।
लगाई तो थी आग उसकी तस्वीर में रात को,
सुबह देखा तो मेरा दिल छालों से भरा पडा था।
देखती रह गयी तलवारें सब, बिछड़ते वक्त..
उनके लफ्जों का वार इतना कमाल का था।
कहीं यादों का मुकाबला हो तो बताना जनाब..
हमारे पास भी किसी की यादें बेहिसाब होती जा रही हैं।
जिन्दगी के पन्ने कोरे ही अच्छे थे,
तुमने सपनो की सिहाई बिखेर कर दाग दाग कर दिया।
उनसे से अब कोसों दूर रखना मुझे ए खुदा,
यूँ बार बार बेवफाओं का सामना मेरे बस की बात नहीं।
ज़हर का भी अजीब हिसाब है साहेब.. मरने के लिए ज़रा सा,
मगर ज़िंदा रहने के लिए बहुत सारा पीना पड़ता है।
अपना दर्द सबको न बताएं साहब,
मरहम एक आधे घर में होता है, नमक घर घर में होता है।
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