कभी कभी पहली नजर कुछ ऐसे रिश्ते बना लेती है,
जो आखिरी सासँ तक छुड़ाने से नहीं छूटती।
मौत से कहना कि हमसे नाराजगी खत्म कर ले,
वो लोग बदल गये जिनके लिये हम जिया करते थे।
कोई आदत, कोई बात, या सिर्फ मेरी खामोशी,
कभी तो, कुछ तो, उसे भी याद आता होगा।
किसी और तरीके से भी मिल जाती है क्या मोहब्बत,
मुझे तो.. दुआओं के आगे कुछ भो नही आता।
टूटे हुए सपनो और रूठे हुए अपनों ने उदास कर दिया,
वरना लोग.. हमसे मुस्कराने का राज पुछा करते थे।
दुआ कौनसी थी हमें याद नही, बस इतना याद है की,
दो हथेलिया जुडी थी एक तेरी थी एक मेरी थी।
छोड दी हमने हमेशा के लिए उसकी, आरजू करना,
जिसे मोहब्बत, की कद्र ना हो उसे दुआओ, मे क्या मांगना।
मंज़िले हमारे करीब से गुज़रती गयी जनाब,
और हम औरो को रास्ता दिखाने में ही रह गये।
सारे सितारे फ़लक से ज़मीं पर जब उतर कें आयेंगे,
फिर हम तेरी यादों के साथ रात भर दिवाली मनायेंगे।
रब्ब जाने क्या कशिश है इस मोहब्बत में..
इक अंजान, हमारा हकदार बन बैठा।
कैसी मुहब्बत हैं तेरी महफ़िल मे मिले तो,
अन्जान कह दिया, तनहा ज़ो मिले तो जान कह दिया।
लफ़्ज़ों में बातें बयां कर पाते तो कब का,
कर देते.. मगर बयां करना नही आता हमे।
दिल साफ़ करके मुलाक़ात की आदत डालो,
धूल हटती है तो आईने भी चमक उठते हैं।
मैने इक माला की तरह तुमको अपने आप मे पिरोया हैं,
याद रखना टूटे अगर हम तो बिखर तुम भी जाओगे।
कोई मरहम नहीं चाहिये, जख्म मिटाने के लिये,
तेरी एक झलक ही काफी है मेरे ठीक हो जाने के लिये।
अपने दिल से कह दो किसी और से मोहब्बत की ना सोचे,
एक मैं ही काफी हूँ सारी उम्र तुम्हे चाहने के लिए।