what is share market and how it works – Stock Market में जितनी भी कंपनियां लिस्टिड हैं और उनके जो Stock Listed हैं, वह सभी किसी न किसी तरह का व्यवसाय हैं और उस व्यवसाय में कुछ हिस्सेदारी लेने के लिए Stocks खरीदते हैं जिससे Business में Profit हो Stock धारक के Investment Amount के अनुपात में उसे भी लाभ हो और यदि व्यवसाय में हानि हो तब भी स्टॉक धारक द्वारा खरीदे गये स्टॉक्स के अनुपात में ही भी उसे हानि हो.
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Simple Word में कहे तो जब भी कोई व्यक्ति किसी Business की शुरूआत करता है तो उसका मुख्य उद्देश्य उससे Profit कमाना या Value Create करना होता है. दुनिया में कोई भी Business ऐसा नहीं होता है जो Free Service करने के लिए लिस्ट हुआ हो, तो किसी भी Business के लिए उससे Profit कमाना सबसे महत्वपूर्ण होता हैं। तो जब भी कोई व्यक्ति किसी कंपनी के Stock खरीदते हैं तो वह व्यक्ति उस कम्पनी में एक तरह से अपनी साझेदारी खरीद लेता हैं। यहां जिस कंपनी के शेयर खरीदे गये हैं उस कंपनी में जाकर काम नहीं करना होता है बस केवल उसके द्वारा किये गये Invested Amount के Against मिलने वाले Shares के अनुपात में Profit या Loss को ही देखना होता हैं, जबकि उस कंपनी manage करने का कार्य उसके Promoters करते हैं।
देखा जाये तो हम जो भी चीज (Product) या Service का इस्तेमाल करते हैं वह सभी किसी न किसी तरह के व्यवसाय होते हैं। जैसे – Telecom , Pharmacy, Banking etc.. और प्रत्येक व्यवसाय का काम करने का मुख्यतः एक ही तरीका होता है और वह है Product / Service को Wholesale Price पर खरीदना या Manufacture करना और उसे Retail Price पर बेचना.
तो जब भी कोई व्यक्ति किसी प्रकार का Business करना चाहता है तो उसके लिए मुख्य रूप से Funds की जरूरत पड़ती है. इसके लिए वह निम्न तरीके से अपना व्यवसाय प्रारम्भ कर सकता हैं-
- स्वंय के रूपयों से.
- Insecure Loan लेकर.
- Direct Public से
यदि कोई व्यक्ति किसी Business की शुरूआत करना चाहता है, जिसके लिए उसे Fund की जरूरत पड़ेगी और यदि उसके पास Fund है तो वह Small Business होता हैं.
लेकिन यदि किसी व्यक्ति के पास पर्याप्त Fund न हो तो ऐसी परिस्थिति में वह किसी बैंक से Secured Loan ले सकता हैं या फिर वह अपन किसी रिश्तदार, फर्म या किसी और तरीके से Insecure Loan ले सकता हैं। इसके लिए उसे Interest Pay करना पड़ेगा. वहीं जब वह बड़ा व्यवसाय करना चाहता है तो उसे और ज्यादा Funds की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में उस Fund या Loan पर दिये जाने वाला Interest भी ज्यादा होता है. और जब कोई कंपनी स्टार्ट होती है तो उसे प्रारम्भिक दिनों में ज्यादा Earning नहीं होती है. ऐसे में ज्यादा कर्जदार कंपनियां बहुत जल्दी ही असफल हो जाती हैं.
इस कारण बड़े Businesses को करने के लिए promoters द्वारा Fund Collect करने का तीसरा तरीका अपना जाता है और वह होता है Stock Market का तरीका. इसके अन्तर्गत यदि किसी व्यवसायी के पास ज्यादा पैसा नहीं भी है लेकिन बहुत अच्छा Idea हैं जिसे वह Fund मिलने के बाद एक बड़े Business में Convert कर सकता हैं. इस Idea को लाघू करने के लिए बहुत ज्यादा पैसो की जरूरत हो तो उस Condition में Promoter अपने Business Idea के लिए Funds देने वाले लोगों को अपने व्यवसाय के प्रारम्भ में ही partnership दे देता है और वह partnership देने का तरीका होता है Stock Market.
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उदाहरण के तौर पर देखा जाये तो यदि कोई व्यक्ति व्यवसाय करना चाहता हैं और इसके लिए उसे 50 करोड़ रूपये की आवश्यकता होती हैं तो वह अपने व्यवसाय के लिए 100 करोड़ जुटाने के लिए 100 रूपये Face Value के 1 करोड़ Share Units Allocate कर देता हैं और जितने लोग उस Business में हिस्सेदारी करना चाहते हैं वह सभी 100 रूपये Face Value के जितने चाहे उतने शेयर खरीद सकते हैं.
मान लीजिए कि यदि किसी के पास 10000 रूपये हैं और वह किसी नये व्यवसाय में इन्हे लगाना चाहता है तो उसको 100 रूपये Face Value के 100 Share Issues हो सकते हैं. ठीक इसी तरह से कोई भी व्यक्ति इन 1 करोड़ शेयर यूनिट्स को खरदते हुए उस नए व्यवसाय में Partnership अथवा Part-Ownership Buy कर लेता हैं। और उस प्रोमोटर्स को व्यवसाय के लिए 100 करोड़ रूपये मिल जाते हैं।
प्रोमोटर्स को इन 100 करोड़ रूपयो पर किसी प्रकार को कोई ब्याज नहीं देना पड़ता हैं क्योंकि जिसने भी उस व्यवसाय के शेयर को खरीदा है, वह उस बिजनेस में अपनी निवेश राशि के अनुपात का भागीदार होता है, जिस कारण पार्टनर को यहां Interest Pay न करके Business में होने वाले Profit/Loss को शेयर करना होता है।
इस तरह धन को बढ़ाने की प्रक्रिया को इ प्रकार समझा जा सकता हैं कि सबसे पहले एक व्यवसायी कोई व्यवसाय करने के लिए आम जनता से धन इकट्ठा करना चाहता हैं। लेकिन वह सीधे जनता के पास नहीं जा सकता। जिस कारण वह Fund Raise करने के लिए SEBI को Approach करता है, सेवी हमारे देश का एक सरकारी संस्थान हैं और यह पब्लिक के हितों की रक्षा के लिए जिम्मेदार हैं ताकि कोई व्यवसायी, आम पब्लिक को किसी प्रकार का झांसा देकर उससे पैसे न ले सके। इसके साथ ही सरकारी संस्थान होने की वजह से आम जनता भी इस पर भरोसा करती हैं कि वह किसी प्रकार के गलत व्यवसाय में Invest नहीं कर रहा है।
SEBI जब किसी व्यवसाय के लिए धन इकट्ठा करने के लिए उसे सहमति दे देता हैं तो उस व्यवसाय के Shares, Primary Market में आते हैं, जिसे IPO (Intial Public Offer) के नाम से जाना जाता है और IPO में सामान्यतः Brokers या Banks के माध्यम से Invest किया जात है। कहने का मतलब यह है कि कोई भी व्यक्ति यदि शेयर खरीदना चाहता है तो वह सीधे कम्पनी से सम्पर्क नहीं कर सकता , बल्कि उसे अपने Share Bank या Brokers के माध्यम से ही खरीदने पड़ते हैं।
इस प्रकार व्यवसाय करने वाले व्यक्ति को उसके व्यवसाय को चलाने के लिए Funds प्राप्त हो जाता है और Investors को DEMAT Form में Shares प्राप्त हो जाते हैं, इन Shares को Electronic Form में रखा जाता है जिसे Investor अपने DEMAT Account में Login करके देख सकता है। यह सभी शेयर्स NSDL एवं CDSL नाम की दो Depositories में Electronic Form में रखे जाते हैं। यहां इस बात की सम्पूर्ण जानकारी रहती हैं कि किस Client के पास किस कम्पनी के कितने शेयर किस Price पर और कब लिये गये हैं।
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