सूरदास के प्रसिद्ध दोहे | Surdas ke dohe in hindi

Surdas ke dohe in hindi – सूरदास(Surdas) हिन्दी साहित्य और वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। सूरदास जन्म से ही नेत्रहीन थे, लेकिन उनकी रचनाओं में कृष्ण लीलाओं का जो वर्णन मिलता हैं उससे उनके जन्म से अंधा होने पर संदेह होता है। सूरदास की सूरसागर एक सबसे प्रसिद्ध रचना हैं जिसमें सवा लाख पद संग्रहित थे, लेकिन वर्तमान में आठ-दस हजार पद ही मिलते हैं। सूरदास के दोहे भी बहुत प्रसिद्ध हैं। आज हम सूरदास के दोहे/ Surdas Ke Dohe in hindi लेकर आये हैं उम्मीद हैं आपको उनसे बहुत कुछ सीखने को मिलेगा-

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जो तुम सुनहु जसोदा गोरी।
नंदनंदन मेरे मंदिर में आजु करन गए चोरी॥

जसोदा हरि पालनैं झुलावै।
हलरावै दुलरावै मल्हावै जोइ सोइ कछु गावै॥

लागे लेन नैन जल भरि भरि तब मैं कानि न तोरी।
सूरदास प्रभु देत दिनहिं दिन ऐसियै लरिक सलोरी॥

इहि अंतर अकुलाइ उठे हरि जसुमति मधुरैं गावै।
जो सुख सूर अमर मुनि दुरलभ सो नंद भामिनि पावै॥

चारु कपोल लोल लोचन गोरोचन तिलक दिए।
लट लटकनि मनु मत्त मधुप गन मादक मधुहिं पिए॥

मैया मोहिं दाऊ बहुत खिझायो।
मो सों कहत मोल को लीन्हों तू जसुमति कब जायो॥

तू मोहीं को मारन सीखी दाउहिं कबहुं न खीझै।
मोहन मुख रिस की ये बातैं जसुमति सुनि सुनि रीझै॥

सूरदास प्रभु रसिक सिरोमनि बातनि भुरइ राधिका भोरी॥

बूझत स्याम कौन तू गोरी।
कहां रहति काकी है बेटी देखी नहीं कहूं ब्रज खोरी॥

मेरे लाल को आउ निंदरिया काहें न आनि सुवावै।
तू काहै नहिं बेगहिं आवै तोकौं कान्ह बुलावै॥

सोभित कर नवनीतलिए।
कबहुं पलक हरि मूंदि लेत हैं कबहुं अधर फरकावैं।
सोवत जानि मौन ह्वै कै रहि करि करि सैन बतावै॥

काहे कों हम ब्रजतन आवतिं खेलति रहहिं आपनी पौरी।
सुनत रहति स्त्रवननि नंद ढोटा करत फिरत माखन दधि चोरी॥

कहा करौं इहि रिस के मारें खेलन हौं नहिं जात।
पुनि पुनि कहत कौन है माता को है तेरो तात॥

सुनहु कान बलभद्र चबाई जनमत ही को धूत।
सूर स्याम मोहिं गोधन की सौं हौं माता तू पूत॥

गोरे नंद जसोदा गोरी तू कत स्यामल।
चुटकी दै दै ग्वाल नचावत हंसत सबै मुसुकात॥

कठुला कंठ वज्र केहरि नख राजत रुचिर हिए।
धन्य सूर एकौ पल इहिं सुख का सत कल्प जिए॥

हौं भइ जाइ अचानक ठाढ़ी कह्यो भवन में कोरी।
रहे छपाइ सकुचि रंचक ह्वै भई सहज मति भोरी॥

मोहि भयो माखन पछितावो रीती देखि कमोरी।
जब गहि बांह कुलाहल कीनी तब गहि चरन निहोरी॥

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