Mehandipur Balaji rules in hindi- ‘भूत पिशाच निकट नहीं आवे महावीर जब नाम सुनावे’ हनुमान चालीसा की यह चौपाई तो आपने जरूर सुनी होगी। यदि इस दोहे का कमाल देखना चाहते हैं तो आप राजस्थान में मौजूद मेंहदीपुर बालाजी के दरबार में एक बार जरूर जायें। यहां आपको ऐसे अजीबो गरीब दृश्य नजर आ सकते हैं जिसे देखकर डर ही जाएंगे लेकिन जहां बालाजी हों वहां डरने की क्या बात है। कारण यह है कि मेंहदीपुर बालाजी के दरबार में पहुंचते ही बुरी शक्ति जैसे भूत, प्रेत, पिशाच स्वंय ही डर से कांपने लगते हैं तो वह आपका क्या बुरा कर सकते हैं।
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मेंहदीपुर बालाजी के इसी चमत्कार के कारण यहां देश-विदेश से भूत, प्रेत और ऊपरी चक्कर से परेशान व्यक्ति आते हैं। इस मंदिर में एक प्रेतालय बना हुआ है जहां भूत-प्रेत से पीढ़ित व्यक्तियों का इलाज किया जाता है। इलाज ऐसा नहीं कि कोई भभूति(प्रसाद) दे दी और सब ठीक हो गया। वहां दुष्ट प्रेतात्मा को शरीर से मुक्त करने के लिए उसे कठोर से कठोर दंड दिया जाता है। इस इलाज को देख लें तो आपके रोंगटे खड़े हो जाएं क्योंकि यह इलाज पुलिस की किसी थर्ड डिग्री से कम नहीं होती।
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1-मेंहदीपुर बालाजी के मंदिर में भूत-प्रेत का ईलाज और वहां से जुड़ी अन्य मान्यताओं के बारे में जानने से पहले जरा बालाजी के बारे में कुछ रोचक बातें जान लीजिए। बालाजी की बायीं छाती में एक छोटा सा छिद्र मौजूद है। इससे लगातार जल बहता रहता है।
2-इनके मंदिर में तीन देवता विराजते हैं एक तो स्वयं बालाजी, दूसरे प्रेतराज और तीसरे भैरो जिन्हें कप्तान कहा जाता है।
3-बालाजी के मंदिर की एक और रोचक बात यह है कि यहां बालाजी को लड्डू, प्रेतराज को चावल और भैरो को उड़द का प्रसाद चढ़ाया जाता है। मान्यता है कि बालाजी के प्रसाद का दो लड्डू खाते ही भूत-प्रेत से पीड़ित व्यक्ति के अंदर मौजूद भूत प्रेत छटपटाने लगता है और अजीबो-गरीब हरकतें करने लगता है।
4-मेंहदीपुर जाने वाले के लिए कुछ नियम कायदे है कि यहां आने से कम से कम एक सप्ताह पहले लहसुन, प्याज, अण्डा, मांस, शराब का सेवन बंद कर देना चाहिए।
5-सामान्यतौर पर तीर्थ स्थान से लोग प्रसाद लेकर घर आते हैं लेकिन मेंहदीपुर से भूलकर भी प्रसाद लेकर घर नहीं आना चाहिए। आप चाहें तो वापसी के समय दरबार से जल-भभूति व कोई भी पढा हुआ सामान ला सकते हैं।
6-सामान्यतः मंदिरों में लोग अपने हाथों से प्रसाद या अन्य चीजें अर्पित करने की इच्छा रखते हैं लेकिन यहां अपनी इस इच्छा को मन में ही रखें। किसी भी मंदिर में अपने हाथ से कुछ न चढाएं।
7-बालाजी में एक बार वापसी का दरख्वास्त लगाने के बाद जितनी जल्दी हो सके वहां से निकल जाएं।
8-बालाजी जाने वाले व्यक्ति को सुबह और शाम की आरती में शामिल होकर आरती के छीटें जरूर लेने चाहिए। यह रोग मुक्ति एवं ऊपरी चक्कर से रक्षा करने वाला होता है।
9-बालाजी जाने वाले व्यक्ति यह जरूर ध्यान रखना चाहिए कि वापसी के समय यह देख लें कि आपकी जेब, थैले या बैग में खाने-पीने की कोई चीज नहीं हो। क्योंकि यह नियम है कि यहां से खाने पीने की चीजें वापस नहीं लानी चाहिए।
10-रजस्वला स्त्रियों को 7 दिनों तक मन्दिर में नहीं जाना चाहिए और ना ही जल-भभूत लेनी चाहिए। जब तक श्री बालाजी धाम में रहें तब पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें, स्त्री प्रसंग से बचना चाहिए।
11-इस बात का ध्यान रखें कि मंदिर में जो प्रसाद मिले वह स्वयं खाएं। प्रसाद न किसी दूसरे को दें और न किसी दूसरे से प्रसाद लें। बालाजी के दरबार में पैर फैलाकर नहीं बैठना चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि यहां वापसी के दरख्वास्त के लड्डू नहीं खाएं।
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अद्भुत तथ्यों का समाकलन किया है आपने इसी तरह लोगो को महतवपूर्ण बाते शेयर करते रहिये
Thank You
काफी अच्छी जानकारी. आपके द्वारा जनहित में यह जानकारी देने के लिए आपके द्वारा जो सार्थक प्रयास किया गया है उसके लिए बहुत धन्यवाद. जय श्री बालाजी महाराज