Dushyant Kumar Biography in hindi दुष्यंत कुमार आधुनिक हिंदी कवि व गज़लकार थे। दुष्यंत एक कालजयी कवि थे, ऐसे कवि समय काल में परिवर्तन हो जाने के उपरांत भी प्रासंगिक रहते हैं। वह कवि के साथ एक अच्छे नाटककार, साहित्यकार, गज़ल लेखक भी थे।
प्रसिद्ध कवि व गज़ल लेखक दुष्यंत कुमार का जीवन परिचय- Dushyant Kumar Biography in hindi
दुष्यंत कुमार का जन्म 1 सितम्बर 1933 को उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले की नजीमाबाद तहसील के अन्तर्गत नांगल के निकट नवादा गॉव में हुआ था। उनके पिता का नाम श्री भगवतसहाय एवं माता का नाम श्रीमती राजकिशोरी था । दुष्यंत कुमार का पूरा नाम द्ष्यंत कुमार त्यागी था। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा नहटौर बिजनौर में हुई। एवं इलाहाबाद विश्वविद्यालय से उन्होंने अपने मुख्य विषय के रूप में हिंदी से एम0ए0 किया।
उनका विवाह सन् 1949 में जनपद सहारनपुर उ0प्र0 के निवासी श्री सूर्यभानु की पुत्री राजेश्वरी से हुआ था।
उनका साहित्यिक सफर इलाहाबाद से शुरू हुआ। उन्होंने कई नाटक, कविताओं, गजल, और लघु कथाएं लिखीं। उन्होंने परिमित अकादमी साहित्य में सेमिनार में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने नय पेटे के साथ भी काम किया, जो कि उस समय के एक महत्वपूर्ण भारतीय न्यूज़लेटर, मध्य प्रदेश में आकाशवाणी और राजभाषा अनुभाग थे। उनके लेखन में भ्रष्टाचार एक प्रमुख विषय था। उनकी कविता उभरती कवियों की एक पूरी पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा बन गई है
जिस वक्त दुष्यंत कुमार ने साहित्य की दुनिया में अपने कदम रखे उस समय भोपाल के दो प्रगतिशील शायर ताज भोपाली तथा कैफ़ भोपाली का गजलों की दुनिया पर दबदवा था। उन्होंने ‘जलते हुए वन का बसंत’, ‘सूर्य का स्वागत’, ‘आवाजों के घेरे’ , ‘एक कंठ विषपायी’ ,’ छोटे-छोटे सवाल’ कविताओं का लेखन किया।
दुष्यंत कुमार की 30 दिसम्बर 1975 में साहित्य साथना स्थली भोपाल में केवल 42 वर्ष की अल्पायु में मृत्यु हो गयी ।
उन्होंने इतने कम समय में नाटक, एकांकी, रेडियो नाटक, आलोचना एवं अन्य विधाओं पर अपनी सशक्त लेखनी चलायी।
उनकी गज़लो ने हिन्दी गज़ल को नया आयाम दिया, उर्दू गज़लों को नया परिवेश और नयी पहचा देते हे उसे आम आदमी की संवेदना से जोड़ा। उनकी हर गज़ल आम आदमी की गज़ल बन गयी है।
दुष्यंत कुमार की प्रमुख कविताएं- Dushyant Kumar Poems
- मुक्तक
- आज सड़कों पर लिखे हैं
- मत कहो, आकाश में
- धूप के पाँव
- गुच्छे भर अमलतास
- सूर्य का स्वागत
- कहीं पे धूप की चादर
- बाढ़ की संभावनाएँ
- इस नदी की धार में
- हो गई है पीर पर्वत-सी
- तू किसी रेल सी गुज़रती है
- कहाँ तो तय था
- कैसे मंजर
- खंडहर बचे हुए हैं
- जो शहतीर है
- ज़िंदगानी का कोई मकसद
- आवाजों के घेरे
- जलते हुए वन का वसन्त
- आज सड़कों पर
- आग जलती रहे
- एक आशीर्वाद
- आग जलनी चाहिए
- मापदण्ड बदलो
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