लाला लाजपत राय जिन्हे हम पंजाब केसरी के नाम से भी जानते हैं एक ऐसे स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्होंने अपने जीवन में कभी भई हार नहीं मानी और जोश एवं जुनून के साथ संघर्ष करते रहे. यह भआरतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे. आइये आज हम लाला लाज पत राय के सुविचारों के बारे में जानते हैं-
Lala Lajpat Rai Short Biography – लाला लाजपत राय का परिचय
नाम | लाला लाजपत राय |
जन्म दिन/स्थान | 28 अप्रैल 1865, ढुधिके पंजाब, ब्रिटिश भारत |
मृत्यु | 17 नबम्बर 1928 लाहोर भारत (अब पाकिस्तान में है) |
संगठन | भारतीय राष्ट्रीय काग्रेस, आर्य समाज, हिन्दु महासभा |
आंदोलन | भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन |
अन्य उपाधियां | लाल-बाल-पाल की तिकड़ी में से एक, पंजाब केसरी |
lala lajpat rai quotes in Hindi- लाला लाजपत राय के सुविचार
अतीत को देखते रहना व्यर्थ है, जब तक उस अतीत पर गर्व करने योग्य भविष्य के निर्णाण के लिए कार्य न किया जाए.
दूसरों पर विश्वास न रखकर स्वंय पर विश्वास रखो. आप अपने ही प्रयत्नों से सफल हो सकते हैं क्योंकि राष्ट्रों का निर्माण अपने ही बलबूते पर होता है.
नेता वह है जिसका नेतृत्व प्रभावशाली हो, जो अपने अनुयायियों से सदैव आगे रहता हो, जो साहसी और निर्भीक हो.
वास्तविक मुक्ति दुखों से निर्धनता से, बीमारी से, हर प्रका की अज्ञानता से और दासता से स्वतंत्रता प्राप्त करने में निहित है.
पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ शांतिपूर्ण साधनों से उद्देश्य पूरा करने के प्रयास को ही अहिंसा कहते हैं.
पराजय और असफलता कभी-कभी विजय की और जरूरी कदम होते हैं.
सार्वजनिक जीवन में अनुशासन को बनाए रखना बहुत ही जरूरी है, वरना प्रगति के मार्ग में बाधा खड़ी हो जायेगी.
देशभक्ति का निर्णाण न्याय और सत्य की दृढं चट्टान पर ही किया जा सकता है.
इंसान को सत्य की उपासना करते हुए सांसारिक लाभ पाने की चिंदा किए बिना साहसी और ईमानदार होना चाहिए.
वह समाज कदापि नहीं टिक सकता जो आज की प्रतियोगिता और शिक्षा के समय में अपने सदस्यों को प्रगति का पूरा-पूरा अवसर प्रदान नहीं करता है.
लाला लाजपत राय से जुड़े कुछ प्रश्न उत्तर
लाला लाजपत राय का जन्म 28 जनवरी 1865 को दुधिके गॉव में हुआ था जो वर्तमान में पंजाब के मोगा जिले में स्थित है।
सन् 1928 में इन्होंने साइमन कमीशन के विरुद्ध एक प्रदर्शन में हिस्सा लिया, जिसके दौरान हुए लाठी-चार्ज में ये बुरी तरह से घायल हो गये और अन्ततः 17 नवम्बर सन् 1928 को इनकी महान आत्मा ने पार्थिव देह त्याग दी।
लाला लाजपत राय जब अंग्रेजों के खिलाफ बोलते थे तो शेर की तरह दहाड़ते थे इसलिए उनको पंजाब केसरी कहा जाता था। केसरी का मतलब शेर होता है और पंजाब केसरी का मतलब पंजाब का शेर।
लाला लाजपतराय ने इसके विरोध में लाहौर में आयोजित बड़े आंदोलन का नेतृत्व किया और अंग्रेजी की हुकूमत को हिला दिला। … साइमन कमीशन का विरोध करते हुए लालाजी ने ‘अंग्रेजों वापस जाओ’ का नारा दिया और कमीशन का डटकर विरोध जताया।
लाला लाजपतराय के पिता का नाम मुंशी राधा कृष्ण आजाद फारसी और उर्दू के महान विद्वान थे। उनकी माता गुलाब देवी धार्मिक प्रवृत्ति की महिला थीं।