प्राचीन काल से ही तुलसी का प्रयोग एक Medicine या औषधि के तौर पर किया जाता रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि इसमें बहुत सारे औषधीय गुण मिलते हैं। और तुलसी के इस्तेमाल का सबसे बड़ा लाभ यह भी है कि यह बहुत ही सहज भाव से आपको मिल जाती है। किसी भी उम्र की गर्भवती महिला इसका सेवन कर सकती है। यह उन आयुर्वेदिक दवाओं में से है जिसके इस्तेमाल से कोई अवांछनीय बदलाव यानि side effects का खतरा नहीं होता है।
शोधकर्ताओं का यह मानना है कि तुलसी में एंटी-बैक्टीरियल गुण होते हैं। इसके चलते घाव भरने में यह एक महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। साथ ही साथ इसमें एंटीफंगल प्रवृत्ति भी पाई जाती है। नियमित तुलसी के पत्तों का सेवन करने से मनुष्य का स्वस्थ्य सदैव ठीक रहता है। और इसका इस्तेमाल करने वाला लगभग आरोग्य बन जाता है।
Tulsi (Tulsi in English is Known as Ocimum Tenuiflorum) के पत्ते कई प्रकार के पोषक तत्व जैसे खनिज और विटामिन से भरे हुए होते हैं। ये तत्व pregnancy में स्त्रियों के लिए बहुत ही फायदेमन्द होते हैं। तुलसी के पत्तों का सेवन या इस्तेमाल करके एक गर्भवती महिला कई प्रकार के संक्रमण तथा रोगों से बच सकती है और अपनी संतान को भी उनके बुरे प्रभावों से बचा सकती है।
शायद अभी आपके मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि तुलसी का इस्तेमाल, खासकर, गर्भवती महिलाओं के लिए क्यों इतना फायदेमंद है? उससे भी बड़ी बात यह है कि इसके इस्तेमाल से एक गर्भवती मां को क्या लाभ मिलता है? इन प्रश्नों का उत्तर पाने के लिए आगे पढ़ते रहिये।
गर्भवती मां के लिए तुलसी के पत्तों के फायदे
गर्भवती महिलाओं के लिए तुलसी एक Superfood है। इसके सेवन से उन्हें निम्नलिखित चार महत्त्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं।
- एनीमिया के खतरे से बचाव: शरीर में खून की भारी कमी वाली अवस्था को एनीमिया कहते हैं। रक्त संचालन की प्रक्रिया मनुष्य के जीवित रहने के लिए अनिवार्य है। इससे न केवल हर अंग को ऑक्सीजन प्राप्त होता है, बल्कि पोषक तत्वों का भी संचालन बना रहता है। रक्त के प्रवाह में यदि कोई बाधा आ जाए तो इससे शरीर का हर अंग प्रभावित होता है। इसी बात से यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर शरीर में खून की मात्रा में कमी हो जाए तो उससे कितनी गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। गर्भवती महिलाओं के लिए तो यह अवस्था जानलेवा भी हो सकती है। तुलसी के पत्तों का नियमित सेवन करने से इस खतरे की आशंका को कम किया जा सकता है। नियमित तुलसी के पत्तों के उपभोग से लाल रक्त कणिकाएं बनती है जिससे Anemia का खतरा कम हो जाता है।
- थकान से राहत: हर मनुष्य को लम्बे कार्य के बाद थकान का अनुभव होता है। इसलिए थकान का महसूस होना एक आम बात है, परंतु कुछ विशेष अवस्थाएं जैसे कि गर्भावस्था में इसकी अनुभूति को सही नहीं माना जाता है। यूँ तो थकान के बहुत सारे कारण हो सकते हैं लेकिन कमजोरी को इसकी सबसे बड़ी वजह कही जाती है। जब एक pregnant woman तुलसी के पत्तों का सेवन करती है तो उसके शरीर में ऊर्जा का संचार होता है जिससे चक्कर आना तथा सुबह उठकर कमजोरी महसूस करने जैसी समस्याओं से राहत मिलती है।
- विटामिन की आपूर्ति: विटामिन के कई प्रकार होते हैं और साथ ही साथ यह शरीर में तरह तरह के कार्य करते हैं। आंखों की रोशनी से लेकर शरीर में प्रतिरोधक क्षमता तक विटामिन का नियंत्रण रहता है। तुलसी के पत्तों में विटामिन C , विटामिन A, और विटामिन K मौजूद होते हैं। चूँकि एक गर्भवती महिला के पेट में एक संतान भी होती है इसलिए vitamins की कमी से उन पर दोहरा असर पड़ सकता है। तुलसी के पत्तों के सेवन से मां और बच्चा दोनों को विटामिनस मिलते हैं जिसका लाभ दोनों को ही होता है।
- भ्रूण का विकास एवं संक्रमण से बचाव: गर्भ में पल रहे बच्चे को Vitamin A की जरूरत सबसे ज्यादा होती है। यह उसके लिए इसलिए आवश्यक है क्योंकि इससे nervous system का विकास होता है जिससे उसको फायदा मिलता है। वहीं दूसरी ओर गर्भावस्था में एक महिला विभिन्न प्रकार के संक्रमण का शिकार हो सकती है। ऐसी स्थिति में रोग से बचाव भी एक महत्वपूर्ण विषय बनकर उभरता है क्योंकि ऐसी हालत में विभिन्न प्रकार की बीमारियों से पीड़ित होने का खतरा रहता है। जो महिलाएं गर्भावस्था में तुलसी के पत्तों का सेवन रोजाना करती हैं वे खुद को तो इन रोगों तथा संक्रमण से बचा कर रखती ही हैं पर साथ ही साथ अपने बच्चे को भी बचाती हैं।
यदि यदि Pregnancy के दौरान तलसी के पत्तों का सेवन किया जाए तो उपरोक्त सभी लाभ माता एवं संतान को अवश्य प्राप्त होते हैं। यदि आप एक गर्भवती महिला हैं और तुलसी के पत्तों का उपयोग नहीं कर रही हैं तो तत्काल ही इसका सेवन करना शुरू कर दीजिए।
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