भारत में स्थित भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग और उनसे जुड़ी कुछ खास बातें

0
1167

भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंग भारत के चारों कोनों में विराजमान हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव के ज्योतिर्लिंगों का दर्शन मात्र करने वाला व्यक्ति बहुत ही भाग्यशाली होता है। मान जाता है कि भगवान शिव के ये 12 ज्योतिर्लिंग वह स्थान हैं जहां स्वयं भोलेनाथ जोति रूप में विराजमान है। आइये आज जानते हैं भगवान के इन 12 ज्योतिर्लिंगों के सही क्रम और उनसे जड़ी कुछ खास बतों के बारे में-

1-सोमनाथ मंदिर – Somnath Jyotirlinga

गुजरात राज्य के सौराष्ट्र में स्थित सोमनाथ ज्योतिर्लिंग को इस धरती का पहला ज्योतिर्लिंग माना गया हैं। कहा जाता है कि भगवान शिव के इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना स्वंय चंद्रदेव ने की थी। इसके बारे में ऋग्वेद में भी जानकारी मिलती है। इस ज्योतिर्लिंग को अभी तक करीब 17 बार नष्ट किया गया है और हर बार इसका पुननिर्माण किया गया हैं।

2-मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग (Mallikarjuna Jyotirlinga)

मल्लिकार्जुन: यह आंध्र प्रदेश में कृष्णा नदी के तट पर श्रीशैल नाम के पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर का महत्व भगवान शिव के कैलाश पर्वत के समान कहा गया है। कहते हैं कि इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिलती है और दैहिक, दैविक और भौतिक ताप नष्ट हो जाते हैं।

इसे भी पढ़ेंः महाशिवरात्रि शायरी हिंदी में 

3-महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग (Mahakaleshwar Jyotirlinga) :-

महाकालेश्वर: यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश के उज्जैन नगर में क्षिप्रा नदी के तट पर स्थित है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग की विशेषता है कि ये एकमात्र दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग है। यहां की भस्मारती विश्व भर में प्रसिद्ध है। लोगों का मानना है कि ये ही उज्जैन की रक्षा कर रहे हैं।

4-ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग (Omkareshwar Jyotirlinga) :-

यह ज्योतिर्लिंग मध्य प्रदेश में नर्मदा किनारे मान्धाता पर्वत पर स्थित है। बताया जाता है कि इनके दर्शन से पुरुषार्थ चतुष्टय की प्राप्ति होती है। यह ज्योतिर्लिंग औंकार अर्थात ऊं का आकार लिए हुए है, इस कारण इसे ओंकारेश्वर नाम से जाना जाता है।

5-केदारनाथ ज्योतिर्लिंग (Kedarnath Jyotirlinga) :-

 यह ज्योतिर्लिंग हिमालय की केदारनाथ नामक चोटी पर स्थित है। यह अलकनंदा व मंदाकिनी नदियों के तट पर स्थित है। बाबा केदारनाथ का मंदिर बद्रीनाथ के मार्ग में स्थित है। केदारनाथ का वर्णन स्कन्द पुराण एवं शिव पुराण में भी मिलता है।

6-भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग (Bhimashankar Jyotirlinga) :-

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर के विषय में मान्यता है कि जो भक्त श्रृद्धा से इस मंदिर के प्रतिदिन सुबह सूर्य निकलने के बाद दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप दूर हो जाते हैं।

7-विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग (Kashi Vishawanath Jyotirlinga) :-

यह शिवलिंग काशी में स्थित है। बताया जाता है कि हिमालय को छोड़कर भगवान शिव ने यहीं स्थायी निवास बनाया था। ऐसा कहा गया है कि प्रलय काल का इस नगरी में कोई असर नहीं पड़ता। इसलिए सभी धर्म स्थलों में काशी का अत्यधिक महत्व कहा गया है।

8-त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग (Trimbakeshwar Jyotirlinga) :-

 यह ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के नासिक से 30 किमी पश्चिम में गोदावरी नदी के करीब स्थित है। इस ज्योतिर्लिंग के सबसे अधिक निकट ब्रह्मागिरि नाम का पर्वत है। इसी पर्वत से गोदावरी नदी शुरू होती है। भगवान शिव का एक नाम त्र्यंबकेश्वर भी है।

9-बैजनाथ ज्योतिर्लिंग (Vaidyanath Jyotirlinga) :-

बिहार के संथाल परगना के दुमका नामक जनपद में यह शिवलिंग है। बताया जाता है कि रावण ने तप के बल से शिव को लंका ले जा रहा था, लेकिन रास्ते में व्यवधान आ जाने से शर्त के अनुसार शिव जी यहीं स्थापित हो गए।

10-नागेश्वर ज्योतिर्लिंग (Nageshvara Jyotirlinga) :-

गुजरात में द्वारकापुरी से 17 मील दूर यह ज्योतिलिंग अवस्थित है। कहते हैं कि भगवान की इच्छानुसार ही इस ज्योतिलिंग का नामकरण किया गया है। बताया जाता है कि जो व्यक्ति पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ यहां दर्शनों के लिए आता है उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।

11-रामेश्वर ज्योतिर्लिंग (Rameshwaram Jyotirlinga) :-

यह ज्योतिर्लिंग तमिलनाडु राज्य के रामनाथ पुरं नामक स्थान में स्थित है। बताया जाता है कि लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने शिवलिंग की स्थापना की थी। भगवान राम के द्वारा स्थापित होने के कारण ही इस ज्योतिर्लिंग को भगवान राम का नाम रामेश्वरम दिया गया है।

12-घुश्मेश्वर ज्योतिर्लिंग (Ghushmeshwar Jyotirlinga) :-

महाराष्ट्र राज्य में दौलताबाद से 12 मील दूर बेरुल गांव में इस ज्योतिर्लिंग की स्थापना की गई थी। इसे घृसणेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। दूर-दूर से लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं और आत्मिक शांति प्राप्त करते हैं।

Disclaimer: Please be aware that the content provided here is for general informational purposes. All information on the Site is provided in good faith, however we make no representation or warranty of any kind, express or implied, regarding the accuracy, adequacy, validity, reliability, availability or completeness of any information on the Site.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here