Women’s Day Poem in hindi : महिला दिवस पर कविता
फूल जैसी कोमल नारी, कांटो जितनी कठोर नारी
अपनो की हिफासत मे सबसे अव्वल नारी
दुखो को दूर कर, खूशियो को समेठे नारी
फिर लोग क्यो कहते तेरा अत्सित्व क्या नारी
जब अपने छोटे छोटे व्खाइशो को जीने लगती नारी
दुनिया दिखाती है उसे उसकी दायरे सारी
अपने धरम मे बन्धी नारी, अपने करम मे बन्धी नारी
अपनो की खूशी के लिये खुद के सपने करती कुुरबान नारी
जब भी सब्र का बाण टूटे तो सब पर भारी नारी
फूल जैसी कोमल नारी, कांटो जितनी कठोर नारी
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ये किसने कहा की,
नारी कमज़ोर है।
आज भी उसके हाथ में,
अपने घर को चलाने की डोर है।
वो तो दफ्तर भी जाए,
घर भी संभाले।
ऐसे हाल में भी कर दे,
पति अपने बच्चो को भी उसके हवाले।
एक बार उस नारी की ज़िंदगी जीके तो देख,
अपने मर्द होने के घमंड,
में तू बस यू बड़ी बड़ी ना फेक.।
अब हौसला बन तू उस नारी का,
जिसने ज़ुल्म सहके भी तेरा साथ दिया।
तेरी ज़िम्मेदारियों का बोझ भी,
ख़ुशी से तेरे संग बाट लिया।
चाहती तो वो भी कह देती,
मुझसे नहीं होता।
उसके ऐसे कहने पर,
फिर तू ही अपने बोझ के तले रोता।
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