भारत की आजादी में बढ-चढकर हिस्सा लेने वाली महिलाएं

Women freedom fighters of india in Hindi – भारत अपना 71 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने की तैयारी कर रहै है। इस मौके पर देश का हर नागरिक आजादी से जुड़ी प्रत्येक बात को जानना चाहता है। भारत की आजादी में जहां पुरूषों ने बढ-चढकर योगदान किया, महिलाएं भी पीछे नहीं रहीं। तो आइये जानते है देश की आजादी में अहम भूमिका निभाने वाली वीरांगनाओं के बारे में-

रानी लक्ष्मी बाई( 19 नबम्बर 1835- 17 जून 1858)

Women freedom fighters of india in Hindi

हमारे देश में जब भी महिलाओं के महिलाओं के शौर्य की बात होती है तो सबसे पहले वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई का नाम जहन में जरूर आता है। झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की शहादत को कौन नहीं जानता। वह न सिर्फ बहादुर थी बल्कि उन सभी महिलाओं के लिए आदर्श है जो अपने को बहादुर समझती हैं। वह हमारी कई पीढ़ियों तक वीरता का प्रतीक रहेंगी। रानी लक्ष्मीबाई ने 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्राम में अंग्रेजो से लोहा लेते हुए उन्हे चकित कर दिया था।

वीरांगना झलकारी देवी( 22 नबम्बर 1830-मृत्यु 1857)

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झलकारी वाई का जन्म झांसी के नजदीक स्थित भोजला नाम गांव में हुआ था। वह बहादुर कृषक सदोवा सिंग की बेटी थी। रानी लक्ष्मी बाई के वेश में युद्ध करते हुए झलकारी बाई ने अपनी जान दे दी थी।

सरोजनी नायडू(13 फरवरी 1879-2 मार्च 1949)

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‘द नाइटिंगल ऑफ इंडिया’ के नाम से जानी जाने वाली सरोजनी नायडू न सिर्फ कवियित्री थी, बल्कि वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भी थी। सरोजनी नायडू का अंग्रेजों को देश से निकालने में अहम योगदान रहा।

बेगम हजरत महल(1820-1879)

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अबध की बेगम हजरत महल ने 1857 के पहले स्वाधीनता संग्राम में अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए। बेगम हजरत महल बहुत ही बहादुर महिला थी इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उन्होंने मटियाबुर्ज में जंगे-आज़ादी के दौरान नज़रबंद किए गये वाजिद अली शाह को छुड़ाने के लिए लार्ड कैनिंग के सुरक्षा दस्ते में भी सेंध लगा दी थी।

सुचेता कृपलानी(1908-1974)

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सुचेता कृपलानी ने अंग्रेजों को विना किसी औजार के अपने पूरे जीवन भर परेशान करके रखा। वह भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल भी गयी। कृपलानी ज्यादातर महात्मा गांधी के साथ ही रहती थी। वह कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष भी रही हैं।

विजय लक्ष्मी पंडित(18 अगस्त 1900-1 दिसम्बर 1990)

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विजय लक्ष्मी पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन थी। उन्होंने आजादी की लड़ाई में अग्रेजों से डटकर लोहा लिया। सविनय अवज्ञा आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हे जेल भी जाना पड़ा था। वह संयुक्त राष्ट्र की पहली भारतीय महिला अध्यक्ष होने के अलावा स्वतंत्र भआरत की पहली महिला राजदूत भी रहीं थी। वह रानी लक्ष्मी बाई और सरोजिनी नायडू से बेहद प्रभावित थी।

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