नारियल के बिना कोई भी पूजा अधूरी मानी जाती है। किसी भी पूजा में नारियल का विशेष महत्व होता है, लेकिन महिलाएं कभी भी नारियल नहीं फोड़ती हैं। क्या आप जानते है कि इसके पीछे वजह क्या है।
नारियल एक फल नहीं बल्कि बीज है-
श्रीफल बीज रूप है, इसलिए इसे उत्पादन अर्थात प्रजनन का कारक माना जाता है। श्रीफल को प्रजनन क्षमता से जोड़ा गया है। स्त्रियों बीज रूप से ही शिशु को जन्म देती हैं और इसलिए नारी के लिए बीज रूपी नारियल को फोड़ना अशुभ माना गया है। देवी-देवताओं को श्रीफल चढ़ाने के बाद पुरुष ही इसे फोड़ते हैं। शनि की शांति हेतु नारियल के जल से शिवलिंग पर रुद्रभिषेक करने का शास्त्रीय विधान भी है।
भगवान विष्णु की ओर से भेजा गया फल
मान्यता ये भी है कि नारियल भगवान विष्णु की ओर से भेजा गया पृथ्वी पर पहला फल है और इस फल पर सिवाय लक्ष्मी जी को छोड़कर और किसी की हक नहीं इसलिए पराई स्त्रियों को नारियल फोड़ने से रोका जाता है
नारियल के वृक्ष को कल्पवृक्ष कहते है
नारियल के वृक्ष को कल्पवृक्ष कहते है, नारियल में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों ही देवताओं का वास माना गया है। ये भी एक कारण है महिलाओं को नारियल के दूर रखने का।
स्वास्थ्य और सुंदरता नारियल का सेवन स्वास्थ्य के लिए भी काफी अच्छा है, कहते हैं इसे दिव्य वरदान प्राप्त है, जो हर तरह से जातक की मदद करता है। नारियल सुंदरता का भी श्रोत है, नारियल से आपके बाल काले-घने तो रहते हैं साथ ही आपकी स्कीन में चमक भी उत्पन्न होती है।
भारतीय वैदिक परंपरा अनुसार श्रीफल शुभ, समृद्धि, सम्मान, उन्नति और सौभाग्य का सूचक माना जाता है। किसी को सम्मान देने के लिए उनी शॉल के साथ श्रीफल भी भेंट किया जाता है। भारतीय सामाजिक रीति-रिवाजों में भी शुभ शगुन के तौर पर श्रीफल भेंट करने की परंपरा युगों से चली आ रही है।
विवाह की सुनिश्चित करने हेतु अर्थात तिलक के समय श्रीफल भेंट किया जाता है। बिदाई के समय नारियल व धनराशि भेंट की जाती है। यहां तक की अंतिम संस्कार के समय भी चिता के साथ नारियल जलाए जाते हैं। वैदिक अनुष्ठानों में कर्मकांड में सूखे नारियल को वेदी में होम किया जाता है।