What Is Triple Talaq in Hindi – इस्लाम धर्म में विवाह, जिसे निकाह कहा जाता हैं. पुरूष और स्त्री के बीच का एक ऐसा रिश्ता हैं जो एक दूसरे के साथ पति-पत्नि बनकर रहने का फैसला करते हैं। इसकी तीन शर्तें होती हैं जिसमें पहली कि पुरूष वैवाहिक जीवन की जिम्मेदारियों को उठाने की कसम खाये, जिसमे एक निश्चित रकम आपसी सहमति से तय हो, मैहर के रूप में औरत को दे और इस नये रिश्ते की समाज में घोषणा हो जाये। इसके बगैर किसी पुरूष और स्त्री का एक साथ रहना या यौन सम्बन्ध बनाना गलत ही नहीं बल्कि एक अपराध है।
कुरान के अनुसार तलाक की प्रक्रिया-
कुरान के बारे में जानकारी रखने वाले कुछ व्यक्तियों का दावा है कि पवित्र कुरान में तलाक को न करने वाला काम की श्रेणी में रखा गया हैं, यही मुख्य कारण है कि इसको बहुत कठिन बनाया गया है। तलाक देने के लिए एक बहुत ही कठिन प्रक्रिया के बारे में बताया गया है जिमें परिवार में बातचीत, पति-पत्नी के बीच बातचीत और समझोते पर जोर दिया गया है। पवित्र कुरान के अनुसार जहां तक संभव हो, तलाक न दिया जाए और यदि तलाक देना जरूरी और अनिवार्य हो जाये तो कम से कम यह प्रक्रिया न्याय संगत हो। इसके चलते कुरान में दोनों पक्षों से बात-चीत या सुलह किये बिना दिये तलाक का जिक्र कहीं बी नहीं मिलता है। इसी तरह पवित्र कुरान में तलाक प्रक्रिया की समय अवधि के बारे में भी स्पष्ट रूप से बताया गया हैं। जिस तरीके से आज के दौर में एक क्षण में ही तलाक,तलाक, तलाक बोलकर रिश्ता समाप्त करने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता है। पत्र, टेलीफोन या ईमेल आदि के माध्यम से एकतरफा और जुबानी तौर पर अनौपचारिक रूप से तलाक की इस्लाम धर्म में इजाजत ही नहीं है। लेकिन फिर भी आज-कल इन सब बातों का मानते हुए तलाक दे दी जाती है।
तीन तलाक यानि तलाक-ए-बिद्अत क्या है? तीन तलाक़ मुस्लिम समाज में तलाक का वो तरीका है जिसमें मुस्लिम पुरूष अपनी पत्नी को केवल तीन वार ‘तलाक’ कहकर अपने वैवाहिक बंधन को उसी समय तोड़ देता है। इस तरह से होने वाले तलाक स्थर होते हैं, शादी समाप्त हो जाती है, इसके बाद यदि पुरूष और स्त्री पुनः एक दूसरे से शादी करना चाहे तो ‘हलाला ’ भरने के बाद ही ये शादी हो पाना संभव है.
तलाक का सही तरीका है तीन तलाक: इस तरीके से अलगाव का सही तरीका है कि आप तलाक बोलें तो लड़की के साथ ही लड़के की तरफ से भी दो दो गवाह मौजूद हों। तीन बार तलाक बोलने के बाद एक माह का समय पति-पत्नी को मिलता है। दरअसल, तलाक हो गया तो भी अगर दोनों में पट रही है, तो आखिरी प्रोसीजर की जरुरत नहीं पड़ती और पति-पत्नी दोनों ही निकाह करके अपना जीवन साथ जी सकते हैं। पर अगर दो बार तलाक होने के बाद भी दोनों की आपस नहीं निभ रही है, तो 3 माह के इद्दत पीरियद के बाद ही सभी पक्षों की मौजूदगी में हस्ताक्षरों के साथ ही दोनों का संबंध विच्छेद होता है। ऐसे में इस पूरी प्रक्रिया में कम से कम 4 माह का समय लगता है।
तीन तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम जानकारों के अनुसार हर पति, पत्नी को मुहब्बत से रहना चाहिए, जिससे तलाक की नौबत ही न आए। अगर ऐसी कोई मजबूरी आन पड़े तो तलाक-ए-रजई सबसे बेहतर तरीका है, इसमें इद्दत के पूरा होने तक निकाह नहीं टूटता। गलती का अहसास होने पर बीवी से दोबारा रिश्ता बनाया जा सकता है। इद्दत की अवधि पूरी होने पर मेहर की राशि अदा करनी पड़ेगी और निकाह भी दोबारा होगा। तीन तलाक (तलाक ए मुगल्लजा) से हमेशा के लिए दोनों जुदा जाते हैं। फिर से दोबारा निकाह हलाला के बाद ही हो सकता है।
हलाला क्या है?
तलाक के बाद औरत का निकाह किसी दूसरे व्यक्ति के साथ होता है। उस व्यक्ति के तलाक देने के बाद ही पहला शौहर शादी कर सकता है। इसे हलाला कहते हैं। लेकिन प्लानिंग के तहत इसे किया जाना गलत है और शरीयत में इसकी गुंजाइश नहीं। ऐसे लोगों पर लानत है जो ऐसा करते हैं। ऐसी ही गलतियों की वजह से इस्लामिक कानूनों पर उंगलियां उठती हैं।
तीन तलाक़ से होने वाली परेशानी-
तीन तलाक़ आज कल जैसा कि ऊपर बताया फोन, व्हाट्सएप, फेसबुक, टेक्स मैसेज आदि के जरिए दिया जाने लगा हैं और इन मामलों में लगातार तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. क्योंकि इस्लामिक धर्म में इस कानून को सही मानते हैं. इससे पुरूषों को कोई फर्क नहीं पड़ता लेकिन स्त्रियां आर्थिक रूप से अपने शौहर पर निर्भर होने के कारण, तलाक के बाद उनका जीवन बिल्कुल नरक मय हो जाता हैं।