Friendship Essay in Hindi Language: मित्रता एक अनोखा रिश्ता होता है जो जीवन के हर रिश्ते से अलग ,अनोखा और पूरे विश्वास के साथ जुड़ा होता है. समय और अभय दोनों पड़ोसी थे और नए -नए दोस्त बने थे. अभय थोड़ा उद्धण्ड स्वाभाव का था. वह हमेशा धामा चौकड़ी मचाता था. अभय ११ साल का था और समय १० साल का.
Friendship Essay in Hindi Language
दोनों हर रोज़ साथ में स्कूल जाते थे. समय अभय के असाइनमेंट्स कम्पलीट करने में उसकी मदद करता . उन दोनों के परिवार में घनिष्ट मित्रता थी. दोनों एक दूसरे के साथ बेहद खुश रहते थे.समय में बहुत धैर्य था. वहीँ अभय बहुत जल्द नाराज़ हो जाता. अभय के पिता के पास ज़मीन .धन-दौलत की कमी नहीं थी. समय थोड़े साधारण परिवार से आता था.
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समय को पढ़ाई मैं रूचि थी. वह अक्सर पढ़ाई में अव्वल आता.अभय को खेल-कूद ज़्यादा पसंद था. एक बार अभय और समय के परिवार पिकनिक जाने के लिए तैयार हुए. पिकनिक पर खेलते हुए अभय अचानक नदी के किनारे गिर जाता है. यह देखकर समय तुरंत वहां पहुंच जाता है. माता- पिता को उसकी आवाज़ सुनाई नहीं पढ़ती. समय जल्द ही पानी में कूद जाता है और अभय को बचा लेता है. समय एक अच्छा तैराक भी था. अभय को होश आने पर परिवार वाले उसे अस्पताल ले जाते है
अस्पताल में होश में आने पर वह तुरंत समय को गले लगाता है .क्यों की समय ने बिना अपनी जान की परवाह किये अभय की जान बचाता है. इसे ही दोस्ती का मिशाल कहते है. इतनी अदनी सी उम्र में उन बच्चों को दोस्ती का रिश्ता कैसे निभाते है उन्हें आता था. दोस्ती सभी रिश्तों से ऊपर होता है. जहाँ हर रिश्ते साथ छोड़ दे मगर दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है जो कभी अपने दोस्तों और यारों का साथ नहीं छोड़ता. कठिन और विपरीत परिस्थितियों में इंसान को अपने अच्छे दोस्तों का पता चल जाता है.
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किसी ने कहा है की एक सच्चा दोस्त वह है जो उस वक़्त आपके साथ खड़ा है जहाँ उसे कहीं और खड़ा होना चाहिए. चाहे मीलों दूर रहे अगर दोस्त परेशानी में है तो उसकी भनक उसे लग जाती है. वह दोस्त दौड़ा-दौड़ा अपने दोस्त के लिए हाज़िर हो जाता है.
सच्ची दोस्ती का अनुभव किस्मत वालों को मिलता है. दोस्तों की कदर करना सबसे प्रथम होता है. अभय कुछ दिनों में ठीक हो गया और अपने दैनिक कार्य करने लगा. अभय और समय फिर से रोज़ाना विधयालय साथ- साथ जाने लगे. समय और अभय हमेशा कक्षा में साथ बैठते थे .समय ने अभय की गैरहाजरी में उसके सारे गृहकार्य में उसकी मदद की.
परीक्षाएं सर पर थी.अभय और समय दोनों परीक्षाओं की तैयारी में जुटे थे. अभय की तैयारी अच्छी नहीं थी पर वह फिर भी अपनी कोशिशें कर रहा था.समय मेधावी लड़का था. उसकी बेहतरीन तैयारीजन थी. परीक्षाओं का सिलसिला चल रहा था. अभय को विज्ञान और गणित में कमजोरी थी. उसे अंदर ही अंदर डर सत्ता रहा था.
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अभय के पिता पढाई के विषय को लेके अभय के साथ काफी सख्ती से पेश आते थे. अभय ये जनता था के परीक्षा के परिणाम अच्छे नहीं होने पे पिताजी की डाँट के साथ साथ मर भी पड़ेगी . जैसे ही विज्ञान और गणित के परीक्षा पास आने लगे अभय की चिंता और भी बढ़ने लगी . उसे न ठीक से खाया जाता या रात को सोया जाता था .
अंततः अभय से रहा न गया और वो अपने दुविधा की समाधान पाने के लिए अपने दोस्त समय के पास गया . समय ने अभय की सारी चिंता को ध्यान से सुनी . उसने अभय को समझते हुआ कहा कि वह परीक्षा के परिणाम के बारे में चिंता न करे और परीक्षा के तैयारी ध्यान केंद्रित करे . अगर तैयारी सही हो तो परीक्षा के परिणाम अवश्य ही अच्छे होगा .
अभय को अत्यधिक चिंतित देख कर समय ने अभय को अपने साथ रहकर परीक्षा के लिए तयारी करने का सुझाव दिया . समय एक अच्छे दोस्त कर्तब्य निभाते हुए अभय की तयारी में भरपूर मदद की और यहाँ तक की अपने तयारी के लिए बनाये हुए नोट्स भी दे दिए.
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समय एक गुणवान और धैर्यशील लड़का था. उसने अभय को अच्छे से हर विषय के बरिकीको समझने की पूरी कोशिश की.परीक्ष्याएं समाप्त हुई .जहाँ समय ने प्रथम स्थान प्राप्त कर माँ बाप का नाम रोशन किया .वहीं अभय भी समय के कोशिशों की वजह से अच्छे अंक से पास हुआ.अभय के माँ -बाप को उससे ज़्यादा उम्मीदें थी.यही एक अच्छे दोस्त की पहचान है. एक आवाज़ लगायी और हाजिर हो गया.