श्री राम शलाका प्रश्नावली – Shri Ram Shalaka Prashnavali

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Ram Shalaka Prashnavali

Shri Ram Shalaka Prashnavali: इस कलयुग में हर कोई अपने सुख-दुःख के बारे में जानने के लिए उत्सुक है। आदिकाल से ही इंसान में प्रत्येक अदृश्य एवं रहस्यमयी बातों के बारे में जानने की उत्सुकता रही हैं। यदि मुझे कोई परेशानी है तो उसका समाधान करने की मैं हर संभव कोशिश करूंगा और यह आदिकाल से ही चला आ रहा है। इन सब बातों को जानने के लिए मानव ने हर संभव शोध और प्रयत्न किये हैं। हमारे ज्ञानि ऋषि मुनियों ने इन सब पर शोध करे के उपरांत निवारण के लिए कुछ मार्गदर्शन किये हैं। आज यहां हम उन्हीं विद्याओं के बारे में बताने जा रहा हूं जो बहुत ही साधारण हैं एवं अचूक परिणाम देने वाली भी है।

Ram Shalaka Prashnavali

यहां हम राम श्लाका के बारे में बात कर रहे हैं, जो श्रीराम चरित्र मानस की चौपाइयों के माध्यम से कार्य के परिणाम के बारे में बताती हैं। गोस्वामी तुलसीदास के द्वारा नौ चोपाई का प्रयोग श्री राम शलाका प्रश्नावली में किया गया हैं। आपको बता दें कि श्री राम शलाका प्रश्नावली में 225 खाने हैं जिनका मूलांक 2+2+5=9 आता है। इसमें प्रत्येक चौपाई अलग- अलग ग्रह का प्रतिनिधित्व करती है।

आपको बता दें कि इन नौ चोपाइयों में से तीन चौपाइयों के अन्तर्गत कार्य में संदेह दिखाया गया हैं जो कि शनि, राहू और केतु का फल बताती हैं।

इसके अतिरिक्त श्रीराम शलाका में तीन चौपाइयों में कार्य सिद्ध होना हमें बताया गया हैं जो कि चन्द्र, वृहस्पति और शुक्र का फल हमें दिखाता है।

श्री राम शलाका प्रश्नावली में तीन चौपाइयों में अनिश्चय की स्थिति रख कर सूर्य,मंगल और बुध के गुण हमारे सामने रखती है।

श्री राम शलाका प्रश्नावली

ये हैं वो चौपाइयां
1- सुनु सिय सत्य असीस हमारी। पूजिहि मन कामना तुम्हारी।
कार्य सिद्ध होगा।

2- प्रबिसि नगर कीजै सब काजा। हृदय राखि कोसलपुर राजा।
सफलता मिलेगी।

3- उघरें अंत न होइ निबाहू। कालनेमि जिमि रावन राहू।।
सफलता में सन्देह है।

4- बिधि बस सुजन कुसंगत परहीं। फनि मनि सम निज गुन अनुसरहीं।।
सफलता में सन्देह है।

5- मुद मंगलमय संत समाजू। जिमि जग जंगम तीरथ राजू।।
कार्य सिद्ध होगा।

6- होइ है सोई जो राम रचि राखा। को करि तरक बढ़ावहिं साषा।।
सन्देह है, कार्य सिद्ध होगा।

7- गरल सुधा रिपु करय मिताई। गोपद सिंधु अनल सितलाई।।
कार्य सफल होगा।

8- बरुन कुबेर सुरेस समीरा। रन सनमुख धरि काह न धीरा।।
सन्देह है।

9 – सुफल मनोरथ होहुँ तुम्हारे। राम लखनु सुनि भए सुखारे।।
कार्य सिद्ध होगा।

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