दोस्तों सभी चाहने बालो से अपील है की कृपया इस पोस्ट को ध्यान पुर्बक पढ़े और अपने दोस्तों मैं भी इस खबर को शेयर करे। राम मंदिर और बाबरी मस्जिद और न्यायालय और फिर इन सब के बाद आती है रजनीति। आये दिन राम मंदिर के ऊपर कई तरह की डिबेट को आप सभी लोगो ने टीवी के न्यूज़ चैनल पर देखा ही होगा। कोई कोई कहता है की मामला न्यायालय मैं है तो कोई कहता है की यंहा सिर्फ और सिर्फ मस्जिद बननी चाइये मगर इन नेताओ के चक्कर मैं आकर हिन्दू बट गया है हिन्दुओ मैं भी अलग अलग तरह के मतभेद हो गए है इस बिषय पर। मगर इन सब के इतर यह बात तो तय है की चाहें जो कुछ हो राम मंदिर तो बनेगा ही। और इन सब बातो का निचोड़ निकला जाए तो कुछ लोग मोदी की राजनैतिक सूझबूझ पर ही उंगली उठा देते है। की बह तो सब को उल्लू बना रहे है।
आप सभी जानते है की इस समय राम मंदिर का मामला न्यायालय मैं फैसले के लिए गया हुआ है। और इन सभी मामलों मैं दो पछकार है। मगर इन सब से अलग एक बात है जो बहुत काम लोग जानते है की यह मामला सिर्फ हिन्दू मुसलमानो का नहीं बल्कि चार समूह मैं बटा हुआ मामला है। अब आप सोचेंगे की ऐसा थोड़े ही होता है। तो चलिए हम आपको मिला देते है नए तैयार हुए इन चार समूह से चार समूह — 1– मुसलमान, 2– कांग्रेस , 3–मी लोड , 4– फेसबुक के फ़ूफे (जो बात बात पर मुँह फुला लेते है),
इन सभी को आप ध्यान से देखिये और जानिये की राम मंदिर का मामला केबल भारत मैं ही नहीं बल्कि दुनिया की हर देश मैं इसकी चर्चा होते है की आखिर बन्हा बनेगा क्या। यह मामला किसी भी तरह से भारत देश का आंतरिक मामला नहीं रह गया है बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय मामला हो गया है अब यह। बिश्व की हर बड़ी शक्ति इस मामले पर नजर लगाए बैठी है की आखिर इस मसले का हल निकलेगा क्या। और इसी बात से फैसला होगा की हिन्दुस्तान मैं हिन्दुओ का बर्चस्व ज्यादा है या फिर मुसलमानो का। आपको क्या लगता है की सिया बोर्ड हो या फिर कोई अन्य मुश्लिम बोर्ड जो की राम मंदिर का समर्थन कर रहे है बह अचानक हिन्दुओ के लिए उपजे प्रेम के कारन कर रहे है। अगर आप ऐसा सोचते है तो मेरा मानना है की आपके अंदर पकौड़ा तलने के गुण पूर्णतया मौजूद है।
सिया धर्म गुरुओ का इस मामले मैं हिन्दुओ का समर्थन देने का प्रमुख कारन है। उनके बाहर देशो मैं बैठे ईरान और सऊदी मैं मौजूद उनके आका लोग। ईरान ने भारत से ईराक और सीरिया के लिए समर्थन की मांग की और यह सब समर्थन अमेरिकी परिबंधो के इतर दिया गया है। और इसका प्रमुख कारण है की ईरान के बिरुद्ध आग उगला अमेरिका अचानक चुप हो गया है। और बदले मैं भरता को मिला है राम मंदिर पर सिया समुदायों का समर्थन। जी हां ईरान मैं मौजूद सिया समुदायों के आकाओ के सीधे निर्देश के आधार पर सिया समुदाय ने राम मंदिर का समर्थन किया है।
अब मुस्लिम का एक समुदाय अभी इसी बंचित है ,जिनमे आते है सुन्नी समुदाय और पाकिस्तानी आका जिनकी मांगो को निस्तेज बनाने के लिए मोदी ने सऊदी अरब से तगड़ी सौदेबाजी की है। फिलिस्तीन मसले पर भारत का समर्थन मिलना कोई साधरण बात नहीं थी की मन हुआ हिन्दुस्तान का और दे देइया फिलिस्तीन को समर्थन। और उसी के साथ सीरिया पर भी भारत ने अपनी चुप्पी बनाये रखी और इसी के मामले से सऊदी अरब ने इजरायल पर अपनी चुप्पी को कायम रखा और इसी के साथ भारत के सुन्नियो विशेषतः वहाबियों की कान उमेठे हैं । इन सब बातो का एक ही प्रमाण है की भारत का यू एन मैं फिलिस्तीन के पछ मैं मत जाना ,सऊदी अरब का अपनी बयुसीमा को इजरायल जाने बाले भारतीय बिमानो के लिए खोलना यह सब मात्र एक संयोग नहीं है। ध्यान देने योग्य बाते है।
अब भारत के मुस्लिमों के सामने दो रास्ते बचे हैं — 1- प्रथम रास्ता है अदालत के फैसले का इंतजार जिसमें हमारे मी लोड लोग खुद बुरी तरह फंस गये हैं इसीलिये जिस तरह उन्होंने अयोध्या को भूमिविवाद की तरह लिया है नाकि ऐतिहासिक विवाद की तरह , तो उससे लगता है कि मेरे लोड भी सेफ गेम खेल रहे हैं और वे खुद मामले को 2019 तक लटकाना चाहते हैं, अगर वे चाहें तो शिया बोर्ड द्वारा उपलब्ध कराये गये राजा दशरथ के नाम के खसरे व खतौनी ट्ठा शिये वक्फ बोर्ड के दावे के आधार पर हिंदुओं के पेक्ष में फैसला कर सकता है और अगर चाहें तो सुन्नी वक्फबोर्ड के मालकियत के दावे को मान्यता दे मुस्लिमों के पक्ष में भी ।
मगर यह सब एक राजनीती है और अपना एक मत बनाये रखिये। की आपको क्या चाइये मस्जिद या फिर मंदिर। और उसी आधार पर अपना वोट दीजिये बरना जिंदगी भर खुद को कोसते रहोगे की एक मौका मिला था हमें की हमारा राम मंदिर बन जाता मगर हमारी एक गलती ने सब कुछ खेल बिगाड़ के रख दिया। तो सोचिये मत और अपने मत का सही प्रयोग कीजिये और राम लला के दर्शन जल्दी से करने के लिए खुद बी उन सक्तियो को मजबूत कीजिये जिससे बह उस काम को अंजाम दे सके। जय हिन्द आगे अपने दोस्तों को शेयर करना न भूले।