ग्राम प्रधान (Gram Pradhan) क्या है कैसे बने पूरी जानकारी । Gram Pradhan Ka Karyakal Kitna Hota Hai, Salary, Work List in Up, Election 2021:
ग्राम प्रधानी की चुनाव शुरू हो गया है। ऐसे में ग्राम प्रधानी के चुनाव की सरगर्मी गांव में बढ़ गयी है। उत्तर प्रदेश में अप्रैल महीने तक गांव के प्रधान जनता के वोटों के द्वारा चुन लिए जाएंगे। आइए आज बात करते ग्राम प्रधान (Gram Pradhan) के चुनाव के बारे में और ग्राम प्रधान है? और इसके अधिकार क्या क्या है? ग्राम प्रधान की सैलरी (Gram Pradha Salary) क्या होती है? ग्राम प्रधान का काम क्या-क्या होता है? ग्राम प्रधान का इलेक्शन कैसे होता है? Gram Pradhan Election इन सभी बातों की जानकारी विस्तार से दे रहे हैं। इस आर्टिकल को आप पूरा पढ़ें-
ग्राम प्रधान और पंचायती व्यवस्था
पंचायती राज व्यवस्था अनुच्छेद 243 के अंतर्गत संविधान में हैं। ग्राम पंचायत और ग्राम सभा का गठन किस अनुच्छेद के तहत होता है। ग्राम प्रधान किसी अनुच्छेद के तहत ग्राम यानी गांव के वयस्क मतदाता द्वारा चुना जाता है।
प्रधान पंचायत चुनाव में एक महत्वपूर्ण कड़ी है। गांव के समग्र विकास के लिए एक मुखिया होना चाहिए जिसे हम ग्राम प्रधान कहते हैं। त्रिस्तरीय पंचायती व्यवस्था में ग्राम प्रधानी का चुनाव होता है।
ग्राम प्रधानी के चुनाव को पंचायत चुनाव कहते हैं। गांव देश की सबसे छोटी इकाई होता है। फिर उसके बाद गांव से ब्लॉक बनता है। ब्लॉक से तहसील और कई तहसील मिलाकर जिला बनता है। हर जिला किसी राज्य का हिस्सा होता है। देश कई राज्यों में बटा होता है।
एमएलए चुनकर विधानसभा पहुंचते हैं। हर जिले के कई विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी चुने जाते हैं जो विधानसभा के सदस्य होते हैं और अपने विधानसभा क्षेत्र के विकास कार्यों में योगदान देते हैं। इन्हें एमएलए कहते हैं, राज्य की विकास व्यवस्था को और सरकारी व्यवस्था को चलाने के लिए इन्हीं में से मुख्यमंत्री और मंत्री आदि चुने जाते हैं।
इसी तरह से केंद्र सरकार के लोकसभा के सदस्य के रूप में किसी जिले के लोकसभा सीट से जनता के वोटों द्वारा प्रत्याशी चुना जाता है। इसे मेंबर ऑफ पार्लियामेंट यानी लोकसभा सदस्य करते हैं। केंद्र सरकार का हिस्सा और मंत्री आदि लोकसभा सदस्य ही चुने जाते हैं जिस पार्टी की बहुमत होता उस पार्टी के लोकसभा सदस्य मंत्री व प्रधानमंत्री बनते हैं।
ग्राम प्रधान (Gram Pradhan) क्या है
जिस गांव में 200 से अधिक मतदाता होते वहां पर उस गांव की विकास काम की व्यवस्था को देखने के लिए एक अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है। 18 साल से ऊपर के मतदाता अपने गांव के लिए मुखिया चुनते हैं जिसे संवैधानिक भाषा में ग्राम प्रधान कहते हैं।
गांव का प्रधान बनने की योग्यता
प्रधानी का चुनाव लड़ने के लिए कम से कम 21 साल की उम्र होनी चाहिए। वह गांव का निवासी भी होना चाहिए और उसका वोटर लिस्ट में नाम भी होना जरूरी है। गांव का प्रधान का चुनाव नहीं लड़ सकता है जो सरकारी नौकरी में है। प्रधानी के चुनाव में शैक्षिक योग्यता कक्षा 8 पास है। दो से अधिक बच्चे नहीं होना चाहिए, वह प्रधानी के चुनाव के लिए अयोग्य है।
ग्राम पंचायत में आरक्षण (Reservation) व्यवस्था क्या है
कभी-कभी कोई ग्राम पंचायत किसी खास से सीट के लिए आरक्षित (reservation) हो जाता है तो अगर महिला या एससी, एसटी, ओबीसी (SC/ST/OBC) सीट के लिए कोई ग्राम पंचायत आरक्षित हो गया है तो वही उम्मीदवार वहां से चुनाव लड़ सकता है जो उस आरक्षित श्रेणी में आता है। सामान्य वर्ग के और दूसरे वर्ग के उम्मीदवार चुनाव के लिए अयोग्य होते हैं। आपने कभी कभी देखा होगा कि जब कोई ग्राम पंचायत आरक्षण रोस्टर में महिला सीट के लिए घोषित हो जाता है तो महिलाएं ही चुनाव लड़ सकते हैं महिलाओं को ग्राम प्रधानी चुनाव में 50% का आरक्षण दिया गया है। इसका साफ मतलब है कि पूरे उत्तर प्रदेश से अगर चुनाव होगा तो हर हालत में 50% ग्राम प्रधान महिला ही चुने जाएंगे।
पंचायत चुनाव के लिए कितनी जमानत राशि होती है?
राज्य निर्वाचन आयोग उत्तर प्रदेश के अनुसार इस बार ग्राम प्रधान पद के लिए प्रत्याशी को नामांकन पत्र के खातिर ₹300 जमा करने होंगे। और इसी के साथ ₹2000 जमानत राशि भी जमा करनी होगी। जमानत राशि कुल वैध मिले वोटों की संख्या होती है अगर उससे कम मिला तो जो राशि जमानत के रूप में जमा की है तो हारने पर उसे सरकार वापस नहीं करती है। चुनाव में कितना खर्च करना है, निर्वाचन आयोग तय करता है उससे ज्यादा पैसा चुनाव प्रचार में नहीं खर्च किया जा सकता है।
Pradhan का काम क्या होता है? Gram Panchayat work list up
देश की सबसे छोटी इकाई गांव होती है। गांव के विकास के लिए ग्राम प्रधान का चुनाव जनता के वोटों द्वारा होता है। जाहिर है गांव के विकास का काम ग्राम प्रधान को करना है। (Gram Panchayat work list up) ग्राम प्रधान के कामों की लिस्ट इस तरह से है-
- सड़कों को बनवाना और मरम्मत करवाना
- किसानों की फसलों की सिंचाई के लिए सरकारी ट्यूबवेल की व्यवस्था
- नालियों की साफ-सफाई का काम
- ग्राम पंचायत के सार्वजनिक जागह जैसे मंदिर, मस्जिद आदि स्थानों पर लाइट की व्यवस्था करन।
- पानी निकासी की व्यवस्था करना
- गांव वालों के पशुओं के पीने के पानी की व्यवस्था करना
- पंचायत में अलग-अलग धर्म व समुदाय के लोगों के लिए दाह संस्कार स्थल और कब्रिस्तान की देख-रेख का काम।
- कब्रिस्तान की चारदीवारी का बनाने की जिम्मेदारी भी होती है।
- बच्चों के लिए खेल के मैदान की व्यवस्था करना भी शामिल है।
- ग्राम पंचायत में जन्म मृत्यु विवाह आदि का रिकॉर्ड रखना, जनगणना में सहयोग करना।
- आरटीई एक्ट 2009 के तहत शिक्षा के अधिकार एक से लेकर आठवीं तक बच्चों की शिक्षा की मुफ्त व्यवस्था करना।
- ग्राम पंचायत स्तर पर जो भी सरकारी संस्थाएं काम करती है उनकी मॉनिटरिंग करना भी ग्राम पंचायत का काम है। केंद्र और राज्य सरकार की अलग-अलग योजनाओं को सही तरीके से गांवों में लागू न करवाने के लिए भी ग्राम प्रधान देखरेख करता है।
दोस्तों ग्राम प्रधान (gram pradhan work is very responsible work) का काम बड़ी जिम्मेदारी वाला है। एक अच्छा ईमानदार और कर्मठ ग्राम प्रधान गांव की सूरत बदल देता है। विकास की नदियां बहने लगती है, शिक्षा व्यवस्था इतनी अच्छी हो जाती कि सरकारी स्कूल स्वर्ग जैसा लगने लगता है। त्याग, समर्पण की भावना से सामाजिक सेवक की तरह ग्राम प्रधान काम करता है।
वेतन (Salary) भत्ते, मानदेय- Gram Pradha Salary
इतनी जिम्मेदारी का काम होने के बावजूद भी उत्तर प्रदेश में ग्राम प्रधान को ₹3500 और मानदेय मिलता है। यह Gram Pradha Salary नहीं है क्योंकि सैलरी किसी काम करने के लिए दी जाती है। ट्रैवल एलाउंस और तरह के भत्ते मिलाकर ₹15000 और दिया जाता है।
ग्राम पंचायत का गठन व चुनाव (Gram Pradhan Election)
आइए आपको बताते हैं कि ग्राम पंचायत के गठन व चुनाव के लिए किस तरह से इलेक्शन होता है।
ग्राम सभा यानी गांव में सभी वयस्क मतदाता जिनकी आयु 18 साल से ऊपर है और वह मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करवा चुके हैं ऐसे मतदाता एक अध्यक्ष या प्रधान और सदस्य को चुनते हैं, उसे ग्राम प्रधान चुनाव प्रक्रिया कहते हैं। ग्राम पंचायत का गठन 5 साल के लिए होता है। ग्राम प्रधान का कार्यकाल 5 साल के लिए होता है। (5 sal ka gram pradhan ka karyakal hota hi) 5 साल बाद फिर से चुनाव होता है।
चुनाव कैसे होता है/ ग्राम प्रधान कैसे चुने जाते हैं (Election Kaise Hota Hai)
हर गांव में 5 साल बाद ग्राम प्रधान का चुनाव कराया जाता है। यह चुनाव राज्य चुनाव आयोग करवाता है। निर्वाचन आयोग द्वारा अधिसूचना जारी होती है, जिनमें चुनाव की सारी प्रक्रिया की तिथि और नियम कानून प्रकाशित होता है।
चुनाव की जैसे अधिसूचना जारी होती है आचार संहिता लागू कर दिया जाता है। अब गांव का जो भी व्यक्ति ग्राम प्रधान या सदस्य के रूप में चुनाव लड़ना चाहता है तो उसे निर्धारित समय पर एक पर्चा दाखिल करना होता है जिसे नामांकन (election nomination gram pradhan) करना कहते हैं। पर्चा दाखिल करना या आवेदन पत्र दाखिल करना जिसे जिले के निर्वाचन अधिकारी के सामने प्रस्तुत करना होता है। इसके बाद जिले के निर्वाचन कार्यालय उसके आवेदन की जांच करती है। आवेदन सही होने पर ग्राम प्रधानी के कैंडिडेट को एक चुनाव चिन्ह दिया जाता है।
गांव के ग्राम प्रधानी चुनाव (gram pradhan election) में कई कैंडिडेट खड़े होते हैं यह सब निर्धारित नियमों के अंदर अपना चुनाव प्रचार एक समय सीमा का करते हैं।
चुनाव प्रचार समाप्त होने के बाद एक निर्धारित तिथि को मतदान कराया जाता है। इसके बाद मतगणना (gram pradhan election vote counting होती है जो सभी उम्मीदवारों में सर्वाधिक वोट प्राप्त करता है उसे विजई घोषित किया जाता है और उसे उस गांव का ग्राम प्रधान कहा जाता है। ग्राम प्रधान के लिए निर्वाचित उम्मीदवार को निर्वाचन अधिकारी के द्वारा प्रमाण पत्र दिया जाता है। 5 साल तक उस ग्राम का ग्राम प्रधान (gram pradhan) कहलाता है
ग्राम पंचायत को शपथ (Gram Panchayat Sapath)
शपथ के माध्यम से ग्राम पंचायत को यह याद दिलाया जाता है कि वह जनता द्वारा चुना गया है और जनता के हित में उसे काम करना है। यह शपथ सभी ग्राम सदस्यों के साथ ग्राम प्रधान को ग्राम पंचायत सचिव के द्वारा दिलाया जाता है।
ग्राम प्रधान के अधिकार (Gram Pradhan Ke Adhikar)
गांव के विकास काम करने के लिए ग्राम प्रधान के कर्तव्य के साथ उसे अधिकार भी दिए गए हैं जिसका का प्रयोग करके गांव का समुचित विकास करता है। यह अधिकार कौन से है, जानें-
ग्राम पंचायती व्यवस्था उत्तर प्रदेश (Gram Panchayati vyavastha Uttar Pradesh) में विकास काम कराने के लिए विकास समिति द्वारा योजनाएं बनाई जाती है। ग्राम पंचायत में 6 समितियां शामिल की जाती है। इन समितियों में प्रशासनिक कार्य समिति, नियोजन कार्य समिति, निर्माण कार्य समिति, जल प्रबंधन समिति, चिकित्सा स्वास्थ्य समिति, शिक्षा समिति होते हैं।
गांव के विकास की बागडोर ग्राम प्रधान के हाथों में और कंधे पर होती है। ग्राम सभा एवं ग्राम पंचायत की बैठक Gram Sabha meeting) ग्राम प्रधान ही बुलाता है और इसे नियंत्रित भी करता है। सरकार द्वारा निर्धारित ग्राम पंचायतों के लिए जो योजना का प्रारूप है उस योजना को कहां और कैसे किस तरह से लागू कराना है यह ग्राम प्रधान के हाथों में होता है। लेकिन वह ग्राम सभा में मीटिंग करके इसके लिए सभी गांव वासियों से सलाह भी लेता है।
ग्राम प्रधान से रिलेटेड क्वेश्चन – FAQ’s
बिल्कुल अगर ग्राम प्रधान सही से अपने उत्तरदायित्व को पूरा नहीं करता है तो उसे समय से पहले हटाया जा सकता है लेकिन इसके लिए नियम कानून है। समय से पहले पद से हटाने के लिए एक लिखित सूचना जिला पंचायत राज अधिकारी को देनी होती है। लेकिन इसके साथ ही ग्राम पंचायत के आधे सदस्यों के हस्ताक्षर होना भी जरूरी है। सूचना में पद से हटाने के लिए ग्राम प्रधान को पद से हटाने वाली सूचना में सभी कारणों का उल्लेख होना चाहिए। ग्राम पंचायत सदस्यों में 3 सदस्यों का जिला पंचायती राज अधिकारी के सामने हाजिर होना जरूरी है। प्रधान को हटाने की सूचना मिलने के 30 दिन बाद पंचायती राज अधिकारी गांव में एक बैठक बुलाता है। जिसकी सूचना भी 15 दिन पहले दी जानी जरूरी होती। वोट देने वाले सदस्यों के दो तिहाई बहुमत से प्रधान को पद से हटाया जा सकता है।
1000 तक की आबादी वाले गांवों में 10 ग्राम पंचायत सदस्य होते हैं। जबकि 2000 आबादी वाले गांव में कुल 11 पंचायत सदस्य होते हैं और तीन हजार की आबादी वाले गांव में 15 पंचायत सदस्य हो सकते हैं।