How to Celebrate National Youth day in India | राष्ट्रीय युवा दिवस

0
1275
National Touth Day in india Hindi

International Youth Day in Hindi – माना जाता है कि आने वाला वक्त युवाओं का है और हम उन्हे नज़र अंदाज कर प्रगति के पथ पर आगे नहीं बढ़ सकते हैं। किसी भी देश के युवा उसका भविष्य होते हैं। उन्हीं के हाथों में देश की उन्नति की बागडोर होती है। आज के पारिदृश्य में जहां चहुं ओर भ्रष्टाचार, बुराई, अपराध का बोलबाला है जो घुन बनकर देश को अंदर ही अंदर खाए जा रहे हैं। ऐसे में देश की युवा शक्ति को जागृत करना और उन्हें देश के प्रति कर्तव्यों का बोध कराना अत्यंत आवश्यक है। विवेकानंद जी के विचारों में वह क्रांति और तेज है जो सारे युवाओं को नई चेतना से भर दे। उनके दिलों को भेद दे। उनमें नई ऊर्जा और सकारात्कमता का संचार कर दे। आइये जानते हैं विस्तार से कि स्वामी विवेकानन्द जी के नाम को ही इस युवा दिवस से क्यों जोड़ा गया हैं और युवा दिवस क्यों मनाया जाता हैं…

राष्ट्रीय युवा दिवस का महत्व – Importance of National Youth Day in india Hindi

भारत सरकार (Government of india)  द्वारा वर्ष 1985 से युवा दिवस मनाने की शुरूआत  की गयी थी. स्वामी विवेकानंद के जन्मदिवस के दिन ही भारत सरकार द्वारा युवा दिवस मनाने की शुरूआत की थी, तब से अब तक प्रत्येक वर्ष इस दिन ही युवा दिवस को पूरे देश में मनाया जाता है। विवेकानंद जी के जन्मदिन राष्ट्रीय युवा दिवस के रूप में मनाए जाने का प्रमु्ख कारण उनका दर्शन, सिद्धांत, अलौकिक विचार और उनके आदर्श हैं, जिनका उन्होंने स्वयं पालन किया और भारत के साथ-साथ अन्य देशों में भी उन्हें स्थापित किया। उनके ये विचार और आदर्श युवाओं में नई शक्ति और ऊर्जा का संचार  के साथ उन्हे सही दिशा की ओर प्रेरित कर सकते हैं। युवाओं के लिए प्रेरणा का एक उम्दा स्रोत साबित हो सकते हैं।

राष्ट्रीय युवा दिवस कब मनाया जाता है –  National Youth Day 2018 date

जैसा कि आपको बताया कि स्वामी विवेकानंद जी के जन्म दिवस के दिन यानि 12 जनवरी को पूरो भारत में युवा दिवस मनाया जाता है। इस साल 2018 में सम्पूर्ण भारत में युवा दिवस के साथ-साथ विवेकानंद जी की 154 वीं जयंती भी मनायी जायेगी.

कैसे मनाया जाता है युवा दिवस- How to Celebrate National Youth day in india

युवा दिवस के दिन स्कूल व कॉलेजों में विशेष इंतजाम किया जाते हैं एवं बच्चों को खेल, सेमिनार, निबंध-लेखन, के लिये प्रतियोगिता, प्रस्तुतिकरण, योगासन, सम्मेलन, गायन, संगीत, व्याख्यान, स्वामी विवेकानंद पर भाषण, परेड आदि के द्वारा सभी स्कूल, कॉलेज में युवाओं के द्वारा राष्ट्रीय युवा दिवस (युवा दिवस या स्वामी विवेकानंद जन्म दिवस) मनाया जाता है। भारतीय युवाओं को प्रेरित करने के लिये विद्यार्थियों द्वारा स्वामी विवेकानंद के विचारों से संबंधित व्याख्यान और लेखन भी किया जाता है ।

स्वामी विवेकानंद जी का जीवन परिचय ( Short Biography Swami Vivekananda in hindi)

स्वामी विवेकानंद जी का जन्म 12 जनवरी सन्‌ 1863 को हुआ था । उनका घर का नाम नरेंद्र दत्त था। स्वामी जी के पिता श्री विश्वनाथ दत्त पाश्चात्य सभ्यता में विश्वास रखते जिस कारण वह नरेंद्र दत्त यानि विवेकानंद जी को भी अंग्रेजी पढ़ाकर पश्चिमी सभ्यता के ढंग पर ही चलाना चाहते थे। स्वामी विवेकानंद जी बचपन से बड़ी तीव्र बुद्धि वाले थे और उनमें परमात्मा को पाने की लालसा भी प्रबल थी। जिस कारण वह सबसे पहले ब्रह्म समाज में गए किंतु वहाँ संतुष्टि नहीं मिली।

सन्‌ 1884 में स्वामी जी के पिता जी श्री विश्वनाथ दत्त की मृत्यु हो गई। घर की देखभाल की पूरी जिम्मेदारी स्वामी जी पर पड़ी। घर की दशा बहुत खराब थी। बहुत गरीबी होने पर भी स्वामी बड़े ही अतिथि-सेवी थे। वह स्वयं भूखे रहकर अतिथि को भोजन कराते, स्वयं बाहर वर्षा में रातभर भीगते-ठिठुरते पड़े रहते और अतिथि को अपने बिस्तर पर सुला देते थे।

स्वामी विवेकानंद जी ने रामकृष्ण परमहंस की बहुत प्रशंसा सुनी थी जिस कारण वह उनके पास पहले तो तर्क-वितर्क करने के विचार से ही गए थे किंतु परमहंसजी ने देखते ही पहचान लिया कि ये तो वही शिष्य है जिसका उन्हें बहुत समय से इंतजार है। परमहंसजी की कृपा से इनको आत्म-साक्षात्कार हुआ फलस्वरूप नरेंद्र परमहंसजी के शिष्यों में प्रमुख हो गए। संन्यास लेने के बाद इनका नाम विवेकानंद पड़ा।

स्वामी विवेकानन्द जी अपने जीवन को गुरुदेव स्वामी रामकृष्ण परमहंस को समर्पित कर चुके थे। गुरुदेव के शरीर-त्याग के दिनों में अपने घर और कुटुम्ब की नाजुक हालत की परवाह किए बिना, स्वयं के भोजन की परवाह किए बिना गुरु सेवा में हमेशा हाजिर रहे। गुरुदेव का शरीर अत्यंत रुग्ण हो गया था। कैंसर के कारण गले में से थूंक, रक्त, कफ आदि निकलता था। इन सबकी सफाई वे खूब ध्यान से करते थे। कुल मिलाकर उन्होंने अपने गुरू की बहुत सेवा की।

इसी बीच की बात है किसी ने गुरुदेव की सेवा में घृणा और लापरवाही दिखाई तथा घृणा से नाक भौंहें सिकोड़ीं। यह देखकर विवेकानन्द बहुत क्रोधित हुए । उस गुरुभाई को पाठ पढ़ाते हुए और गुरुदेव की प्रत्येक वस्तु के प्रति प्रेम दर्शाते हुए उनके बिस्तर के पास रक्त, कफ आदि से भरी थूकदानी उठाकर पूरी पी गए।

गुरु के प्रति ऐसी अनन्य भक्ति और निष्ठा के प्रताप से ही वे अपने गुरु के शरीर और उनके दिव्यतम आदर्शों की उत्तम सेवा कर सके। गुरुदेव को वे समझ सके, स्वयं के अस्तित्व को गुरुदेव के स्वरूप में विलीन कर पाये । सम्पूर्ण विश्व में भारत के अमूल्य आध्यात्मिक खजाने की महक फैला सके। उनके इस महान व्यक्तित्व की नींव में थी ऐसी गुरुभक्ति, गुरुसेवा और गुरु के प्रति अनन्य निष्ठा।

25 वर्ष की अवस्था में विवेकानंद ने गेरुआ वस्त्र पहन लिए। इसके पश्चात उन्होंने पैदल ही पूरे भारतवर्ष की यात्रा की।

सन्‌ 1893 में शिकागो (अमेरिका) में विश्व धर्म परिषद् चल रही थी। उसमें स्वामी विवेकानंदजी भारत के प्रतिनिधि के रूप में पहुंचे थे। यूरोप-अमेरिका के लोग उस समय पराधीन भारतवासियों को बहुत हीन दृष्टि से देखते थे। वहां लोगों ने बहुत प्रयत्न किया कि स्वामी विवेकानंद को सर्वधर्म परिषद् में बोलने का समय ही न मिलने दें। लेकिन एक अमेरिकन प्रोफेसर के प्रयास से उन्हें थोड़ा समय मिला जिसमें उनके विचार सुनकर वहां उपस्थित सभी विद्वान आश्चर्य चकित हो गये। जिसके उपरांत अमेरिका में उनका बहुत स्वागत हुआ। वहां उनको बहुत लोग अपना भक्त मानने लगे। तीन वर्ष तक वे अमेरिका रहे और वहाँ के लोगों को भारतीय तत्वज्ञान की अद्भुत ज्योति प्रदान करते रहे।

‘अध्यात्म-विद्या और भारतीय दर्शन के बिना विश्व अनाथ हो जाएगा’ यह स्वामी विवेकानंदजी का दृढ़ विश्वास था। अमेरिका में उन्होंने रामकृष्ण मिशन की अनेक शाखाएं स्थापित कीं। अनेक अमेरिकन विद्वानों ने उनका शिष्यत्व ग्रहण किया।

4 जुलाई सन्‌ 1902 को उन्होंने देह त्याग किया। वे सदा अपने को गरीबों का सेवक कहते थे। भारत के गौरव को देश-देशांतरों में उज्ज्वल करने का उन्होंने सदा प्रयत्न किया।

स्वामी विवेकानंद जी के अनमोल विचार- Swami Vivekananda Quotes in hindi

निष्कर्ष –

स्वामी विवेकानंद जी के प्रेरणा से परिपूर्ण विचार और उनके द्वारा किये गये कार्य युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है। उनके विचारों को पढ़कर उनके जीवन से जुड़ी बातों को पढ़ना ही नहीं है यदि कुछ अंश भी अपनाएं तो युवा जीवन में बहुत कुछ हांसिल कर सकते हैं। आज के वक्त में युवा बहुत तेजी से अच्छी आदतों की अपेक्षा खराब आदतों को ज्यादा अपना रहे हैं जिस कारण वह अपने साथ, अपने परिवार, समाज और देश का भी नुकसान कर रहे हैं। तो इन सब बुरी आदतों को छोड़कर अच्छी आदतों को अपनाएं और देश को महान बनाने में अपना योगदान दें।

दोस्तो मुझे उम्मीद है कि आपको international youth day in hindi & Short Biography Swami Vivekananda in hindi के बारे में दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी.

Disclaimer: Please be aware that the content provided here is for general informational purposes. All information on the Site is provided in good faith, however we make no representation or warranty of any kind, express or implied, regarding the accuracy, adequacy, validity, reliability, availability or completeness of any information on the Site.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here