रख हौसला कदम बढ़ाये जा,
मंज़िल के और पास तू आते जा..
न थकना न हार मानना कभी
सिर्फ तू मेहनत किये जा..
हौसलों की उड़ान कैसे भरी जाती है इस बात का जीता जागता उदाहरण हैं। Mery Kom
मेरी कॉम का जन्म 1 मार्च 1983 को मणिपुर के एक छोटे से कस्बे कंगठेई में हुआ था। लगातार तीन बार वर्ल्ड चैंपियनशिप का रिकॉर्ड हांसील करने वाली। 6 गोल्ड मेडल जीतने वाली दुनियां की पहली महिला बॉक्सर।
मेरी कॉम का जन्म एक किसान परिवार में छोटे से गांव में हुआ था जहां की आबादी केवल 250 लोगों की थी और जहां कुल 50 परिवार ही रहा करते थे। गांव में साधनों का बड़ा अभाव था जैसा कि आज भी भारत में कोई छोटा सा गांव साधनों का अभाव सह रहा होता है।
मेरी कॉम का जीवन बचपन से ही संघर्षों से घिरा हुआ था। कहते हैं ना की अभाव में प्रभाव नजर आता है। मेरी कॉम का बचपन जितना अभावग्रस्त रहा उनका उतना ही प्रभाव विश्व स्तर पर नजर आया।
तो दोस्तो यहां सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर कहां से आई मेरी कॉम में वह अद्भुत क्षमता, जिसके बल पर उन्हे विश्व स्तर पर पहचान मिली।
मेरी कॉम अपने मां को उनके दैनिक कार्यों मे हांथ बटाया करती थी। वह बर्तन मांजती, खाना बनाती, पानी भरती, खेत के काम करती, गाय चराती, भारी भारी लकड़ियों की गठ्ठे उठाया करती और हर वह कार्य करती जो एक ग्रामीण घर की लड़किया आज भी किया करती हैं।
मेरी कॉम ने अपने द्वारा रचित बायोपिक में बतलाया है। की उन्हें रोजाना तब तक कार्य करना पड़ता था। जब तक शरीर का अंग अंग टूटकर थक ना जाए, जिस बात ने उन्हें अथक बनाया।
दोस्तो आज भी अगर लड़किया कुछ अलग करना चाहती है तो उनका परिवार, गांव वाले, समाज के लोग उसके बारे में तामम तरह की बातें करते है
इसीलिये मेरी कॉम घर वालों से चोरी छुपकर बॉक्सिंग की ट्रैनिंग लिया करती थी।
जब वह पहली राज्य स्तरीय बॉक्सिंग चैंपियनशिप जीती तब अखबारों, न्यूज चैनलों में उनका नाम आने पर उनके घर वालों को उनके बॉक्सिंग के हुनर के बारे में पता चला। फिर उनके माता पिता जो बेहद ही गरीब थे दोनों तन, मन, धन से मेरी कॉम को उनके बॉक्सिंग करियर में सहयोग करने लगे।
दोस्तो जमाना रिजल्ट मांगता है, आप कितनी भी मेहनत करें अगर रिजल्ट आपका निगेटिव है तो समाज और दुनिया की नज़रों में आपकी कोई वेल्यू नहीं, वहीं अगर आपने शांत रहकर अपना काम दिल से किया और उसमें आपको सफलता मिलती है तो समाज आपको हाथों हांथ लेता है और आप लोगों के हीरो बन जाते है।
यही मेरी कॉम के साथ भी हुआ, उन्होंने सुविधाओं के अभाव में भी अपने काम को बहुत ही इमानदारी से किया और उसमें सफलता हासिल की।
कुदरत जब किसी को नैचुरल तौर पर कुछ बनाता है तो वह यूनिक पीस बनता है। गांव के घरेलू कार्य करने के बहाने कुदरत ने मेरी कॉम को नैचुरल तौर पर बॉक्सिंग के लिए ही तैयार किया था।
शहरों में जिन एक्सरसाइज के द्वारा बॉडी को बॉक्सिंग के योग्य बनाया जाता है। तो मेरी कॉम को गांव के घर के कार्य में परफेक्शन ही उसे अंदर- बाहर, तन-मन से बॉक्सिंग के योग्य मजबूत बना रही थी।
मेरी कॉम अपना अनुभव शेयर करते हुवे बतलाती हैं की उनके अंग अंग थक जाते थे कार्य करते करते पर जहां तन और मन पूरी तरह से थक जाता था। वह उसके बाद भी काम किया करती थी धीरे धीरे इससे उनके आंतरिक और बाहरी स्टेमिना का अद्भुत विकास हुआ।
दोस्तो क्या आप जानते है आखिरकार जीम या अन्य एक्सरसाइज वाली जगहों पर स्टेमिना कैसे बढ़ाया जाता है।तो यहां हम आपको बता दें कि जितना हम खुद के माइंडसेट के limits, believes तोड़ते हैं। उतना ही ज्यादा हम शक्तिशाली बनते हैं।
दोस्तो एक बात और है कि यदि आपको जो आपकी बॉडी या अापके मन के हिसाब से, जिसे आप करना चाहते है काम नहीं मिला तो उस काम को आप अपना पूरा 100 प्रतिशत नहीं दे पाओंगे, वहीं यदि आपने अपने हिसाब का काम ढ़ूढ़ लिया जो आपके शरीर और आपके Interest से मेल खाता है तो आप वहां गारंटी के साथ सफलता पा सकते है।
दोस्तो मेरी कॉम के जीवन में ट्विस्ट तब आया जब
शादी होने के बाद मेरी कॉम अपने करियर के ऊंची स्टेज पर पहुंची ही थी, तभी उनके जुड़वा बच्चे हो गये जिसके बाद उन्होंने दो वर्ष का ब्रेक ले लिया।
दो वर्ष ब्रेक के बाद जब मेरी कॉम पुनः बॉक्सिंग करियर में आईं तो उन्हें पुनः सफलता जल्दी नहीं मिली बल्कि इसकी जगह उन्हे निराशा हांथ लगी।
जिससे वह अंदर से थोड़ी टूट गईं। फिर वह अपने गुरु के पास गई और उनसे कहा की सचमुच आपके बिना मैं कुछ भी नहीं। आपने मुझे विश्व स्तर की पहचान दिलवाई है। अब इस कमजोर पड़ी हुई एक मां को आपको फिर से वही पहले वाली मैरी कॉम बनाना है।
तब उसके गुरु ने कहा की आप कमजोर नहीं बल्कि दो बच्चों की मां बनने के बाद जिम्मेदारी डबल बढ़ने पर आप तो डबल पावरफुल बन चुकी हो। तब उन्होंने उस मन से मरी हुई मेरी कॉम को एक मातृत्व शक्ति का अहसास दिलाया और एक बार फिर से उन्होंने मेरी कॉम में जान फूंकी तब जाकर मेरी कॉम फिर से बॉक्सिंग करियर में अपना वर्चस्व स्थापित कर पाई अपने पुराने खोए हुवे स्वरूप को पुनः वापस पा सकीं।
दोस्तो यह बात सच है कि जब आप किसी काम को परफेक्शन के साथ कर रहे होते है और किसी कारण वश आप उस काम को नहीं कर पाते है तो जो एक रिदम होता है वह टूट जाता है जिस कारण ब्रेक के बाद लौटने पर फिर वह काम आप उतना परफेक्शन के साथ नहीं कर पाते है, तो यहां आपको मोटिवेशन और एक अच्छे गुरू की जरूरत पड़ती है, जिससे की आप जो कमियां कर रहे है उनको सुधारा जा सके। इसके बाद फिर से आप अपने काम को परफेक्ट करे लगते है।
तो दोस्तो रेगुलरिटी बहुत जरूरी है जीवन में।
मेरी कॉम बतलाती हैं की उनके पति उनके कैरियर में कभी बाधक नहीं बनें बल्कि हमेशा ही उन्होंने सपोर्टर की भूमिका निभाई। यह उनके लिए बड़े खुशी की बात थी।
दोस्तो यदि आपने अपने लिए एक अच्छा काम फाइन्ड कर लिया जो आपकी पर्सनेलिटी को मैच करता है और उसको करने के लिए आपके परिवार का भी साथ मिल जाता है तो आप कॉन्फिडेंस से भर जाते है, जो आपके लिए बहुत ही ज्यादा फायदेमंद साबित होता है।
मेरी कॉम ने कभी किस्मत, situation, साधन, व्यक्ति, टाइम या किसी को नहीं कोसा बल्कि हर संघर्ष के दौरान उनका मनोबल उनके लिए नए रास्ते बनाता गया। इसलिए कहा भी जाता है जहां चाह है वहां राह है।
मेरी कॉम का त्याग और लोगों के लिए कुछ कर दिखलाने का जज्बा
दोस्तो यदि आप जीवन में सफल हो जाते है तो आपकी केवल यह जिम्मेदारी नहीं है कि आप केवल अपने बारे में या अपने परिवार तक ही सीमित रहें, बल्कि आपकी रेस्पान्सविलिटी और बढ़ जाती है, क्योंकि जब आपके पास कुछ नहीं था तब आपने जिन परेशानियों को सामना किया, वह परेशानिया आज किसी को आगे बढ़ने से रोके नहीं, इसके लिए आप कुछ अच्छा करेंगे तो बहुत अच्छा होगा, क्योंकि आज आप उस काबिल है। उनके लिए कुछ अच्छा कर सकते है।
मेरी कॉम चाहती तो बॉक्सिंग की सफलता से मिले पैसों से मर्सिडीज कार खरीद सकती थी, और तमाम तरह के ऐसो आराम कर सकती थी, मगर उन्होंने उन सब बातों पर फोकस न करते हुए, बॉक्सिंग के संस्कार डालने के लिए एक बॉक्सिंग एकेडमी ही खोल ली।
रख हौसला वो मंज़र भी आएगा,
प्यासे के पास चलकर समंदर भी आएगा
थक कर न बैठ ये मंज़िल के मुसाफिर
मंज़िल भी मिलेगी और मिलने का मज़ा भी आएगा।
पहली बार वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाने पर मणिपुर सरकार द्वारा मेरी कॉम को हवलदार की नौकरी दी गई। पर मेरी कॉम ने उस नौकरी को ठुकरा दिया। क्योंकि उन्हे लगा कि एक वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर को उसकी योग्यता के मुताबिक पद मिलना चाहिए। वह उसका अधिकार भी है।
उसके बाद जब मेरी कॉम वर्ल्ड रिकॉर्ड हांसील कर सक्सेस पर सक्सेस पाती गई तब उनके हौसलों की उड़ान ने वह सब लाकर उनके सामने रख दिया जिसकी वह हकदार थी। फिर वह मंजर भी आया जब मेरी कॉम को मणिपुर सरकार के द्वारा सब इंस्पेक्टर की नौकरी से नवाजा गया। तब मेरी कॉम ने उस नौकरी स्वीकार किया। मेरी कॉम को सरकार के द्वारा राज्य सभा सांसद भी बनाया गया था।
तो दोस्तो यहां एक बात सीखने को मिलती है कि अपने काम को इतनी सिद्धत से करो कि अधेंरे में भी उजाला फैल जाये, तो इस जहां की हर मुश्किल लगने वाली चीज आपके कदमों में होगी। इसके लिए आपको दृढ़ संकल्प के साथ मेहनत करना होगा।
दोस्तों मेरी कॉम एक पॉवर फुल दृण संकल्प की उदाहरण हैं जिन्होंने हौसलों के बल पर उड़ान भरी और कथनी करनी एक समान करके, सच्ची लगन, कड़ी मेहनत के बल पर अपना लक्ष्य हांसील किया।
आपको यह मोटिवेशनल कहानी कैसी लगी और मेरी कॉम की वह कौन सी बात है। जिसने आपको ज्यादा प्रभावित किया हमें कॉमेंट बॉक्स में जरूर बताएं।
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