महात्मा गांधी की जीवनी /जीवन परिजय व इतिहास

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Mahatma Gandhi biography in Hindi – हमारे देश की मिट्टी ने अनेकों महापुरूषों को जन्म दिया है जिन्होंने देश की आन-वान-शान और आजादी के लिए अपने बहुत संघर्ष किया। इन्ही में से एक नाम है महात्मा गांधी का। हम आप इन्हे बापू , महात्मा, राष्ट्रपिता के नाम से भी जानते हैं। बापू जी का पूरा नाम “मोहनदास कर्मचंद गांधी” था।

सत्य, अंहिसा और सत्याग्रह के संघर्ष से उन्होंने भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्रता दिलाई। उनका मानना था बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो। गांधी जी सत्य और अहिंसा के पूजारी थे। तो आइये आज महात्मा गांधी के जीवन परिचय के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बाते जान लेते हैं।

महात्मा गांधी की जीवनी – Mahatma Gandhi Biography in hindi

नाममोहनदास करमचंद गांधी
माता/पिता का नामपुतलीबाई/ करमचंद गांधी
जिन्म तिथि2 अक्टूबर, 1869
जन्म स्थलीगुजरात के पोरबंदर में
राष्ट्रीयताभारतीय
शिक्षा1889 में मैट्रिक परीक्षा पास | 1891 में बैरिस्टर की पढ़ाई इंग्लैंड से
पत्निकस्तूरबाई माखंजी कपाड़िया(कस्तूरवा गांधी)
बच्चे4 पुत्र(हरिलाल, मणिलाला, रामदास, देवदास)
उल्लेखनीय कार्यभारत की स्वतंत्रता के लिए अहसयोग आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन, स्वदेशी आंदोलन आदि

छुआ-छूत जैसी गंभीर बीमारियों को दूर किया।

मृत्यु30 जनवरी 1948

महात्मा गांधी जी का प्रारंभिक जीवन( Early Life Of Mahatma Gandhi)

महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1969 में गुजरात के पोरबंदर नामक स्थान पर हुआ था। बापू जी के पिता श्री करमचंद गांधी पोरबंदर के ‘दीवान’ थे और माता का नाम पुतलीबाई था। उनकी माता भक्ति आदि पर ज्यादा जोर देती थी जिसका प्रभाव महात्मा गांधी के जीवन पर भी पड़ा।

उस समय बाल विवाह का प्रचलन था जिस कारण महात्मा गांधी का 13 वर्ष की अल्प आयु में ही सन 1883 में कस्तूरबा माखनजी से विवाह कर दिया। कस्तूरबा को लोग प्यार से बा भी कहते थे।

गांधी जी की प्रारम्भिक शिक्षा पोरबंदर और राजकोट से हुई। इसके बाद उन्होंने भावनगर के सामलदास कॉलेज में दाखिला लिया था और यहां से डिग्री प्राप्त की। इसके बाद वह अपने 19वें जन्मदिन से करीब एक माह पहले ही 4 सितम्बर 1888 को गांधी यूनिवर्सिटी कॉलेज लन्दन में कानून की पढ़ाई करने और बैरिस्टर बनने के लिए इंग्लैंड चले गये।

इंग्लैंड से भारत लौटने के बाद उन्होंने वकालत की प्रैक्टिश करना आरम्भ कर दिया लेकिन उसमें सफल नहीं हुए।

इसके बाद उन्हे सन 1893 में दक्षिण अफ्रीका की एक कंपनी में कानूनी सलाहकार के रूप में काम मिला जिसे उन्होंने स्वीकार्य कर लिया। उस वक्त अफ्रीका में बहुत ज्यादा नस्लवाद हो रहा था जिसका सामना गांधी जी को भी करना पड़ा और उनके पास प्रथम श्रेणी कोच का टिकट होने के वाबजूद तीसरी श्रेणी के कोच में भी नहीं जाने दिया और ट्रेन से धक्का मारकर बाहर फेंक दिया गया।

महात्मा गांधी जी ने होने वाले अन्याय के खिलाफ ‘अवज्ञा आंदोलन’ चलाया और इसके पूर्ण होने के उपरांत 1915 में भारत लौट आये।

सन 1914-1919 प्रथम विश्व युद्ध के दौरान गांधी जी ने ब्रिटिश सरकार को इस शर्त पर सहयोग दिया था कि वह भारत को आज़ाद कर देंगे, परन्तु अंग्रेजों द्वारा ऐसा नहीं किया गया जिसके बाद गांधीजी ने अनेकों आदोलन चलाये. जिनका विवरण निम्नवत है-

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चंपारन और खेड़ा सत्याग्रह( सन 1918)

‘चंपारन और खेड़ा सत्याग्रह’ गांधी जी द्वारा किये गये आंदोलनों की शुरूआत थी जिसमें वह सफल रहे। यह आंदोलन ब्रिटिश लैंडलॉर्ड के खिलाफ चला गया था। अंग्रेजों द्वारा भारतीय किसानों को नील की पैदावार करने के लिए दबाव डाला जा रहा था इसके साथ ही उन्हे नील एक निश्चित कीमत पर बेचने के लिए भी विवश किया जा रहा था और भारतीय किसान ऐसा नही चाहते थे। तब उन्होंने महात्मा गांधी जी की मदद ली. इस पर उन्होंने एक अहिंसात्मक आंदोन चलाया और इसमें वह सफल रहे अंग्रेजों को उनकी बात माननी पड़ी।

असहयोग आंदोलन(सन 1920) – Non Co-Opration Movement

अंग्रेजों द्वारा विभिन्न आंदोलनों से निवटने के लिए सन 1919 में रोलेट एक्ट (Rowlett Act) लाघू किया. इसी बीच गांधी जी द्वारा कुछ सभाओं का आयोजन किया गया था. इसी तरह की एक शांति सभा पंजाब के अमृतसर के जलायांवाला बाग में बुलाई गयी थी। लेकिन अंग्रेजो द्वारा इस शांति सभा को बहुत ही बेरहमी से रौंद दिया गया था, जिसके विरोध में गांधीजी ने सन 1920 में असहयोग आंदोलन की शुरूआत की थी। इस आंदोलन का मतलब था भारतीयों द्वारा अंग्रेजों की किसी भी प्रकार से मदद न करना लेकिन इसमें किसी प्रकार की हिंसा न हो।

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चौरा-चौरी कांड –Chaura Chauri incident

हमारे देश में असहयोग आंदोलन को अहिंसात्मक तरीके से चलाया जा रहा था इसी दौरान उत्तर प्रदेश के चौरा चौरी नामक स्थान पर कुछ लोग शांतिपूर्वक रैली निकाल रहे थे तभी अंग्रेजों ने उन पर गोलिया बरसा दी जिसमें कुछ लोगों की मौत हो गयी थी। जिस कारण गुस्साये लोगों ने वहां के पुलिस स्टेशन में आग लगा थी साथ ही करीब 22 सैनिकों की हत्या कर दी। इसी बीच गांधी जी ने कहा था कि हमे संपूर्ण आंदोलन के दौरान किसी भी हिंसात्मक गतिविधि को नहीं करना था, शायद अभी हम आज़ादी के पाने लायक नहीं हुए हैं और इस हिंसात्मक गतिविधि के कारण उन्होंने आंदोलन वापस ले लिया। जिसमें उन्हे 2 वर्ष कारवास में भी व्यतीत करने पड़े जिसमें उन्हे 1924 को रिहाई मिल गयी थी।

नमक सत्याग्रह-दांडी यात्रा(Salt Satyagrah-Dandi March)

गांधी जी द्वारा कारावास के दौरान दो भागों में बट चुकी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को भी एक करने का हर संभव प्रयास किया।

1928 में गांधीजी ने कलकत्ता के कांग्रेस अधिवेशन में भारतीय साम्राज्य को सत्ता सौंपने की मांग की तथा विरोध करने पर देश को स्वतंत्रता दिलाने हेतु असहयोग आन्दोलन छेड़ने की बात कही | इसके बाद महात्मा गांधी ने 1930 में नमक पर लगे कर (Tax) के विरुद्ध सत्याग्रह आन्दोलन प्रारम्भ किया, जिसमें दांडी यात्रा (Dandi March) प्रमुख रही |

इसके बाद देश की जनता को जागरूक होते तथा जोश में देखकर सरकार ने बापू के साथ वार्तालाप किया जिसका नतीजा गांधी-इरविन की संधि के रूप में आया | इस संधि के अनुसार सविनय अवज्ञा आन्दोलन को समाप्त करने के बदले सभी राजनैतिक भारतीय कैदियों को आज़ाद किया |

इसके पश्चात Gandhi Ji कांग्रेस का मुख्य चेहरा बनकर गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे जिसका परिणाम नकारात्मक रहा | इसके पश्चात इरविन के उत्तराधिकारी के प्रतिनिधित्व में फिर भारतीयों पर अत्याचार बढ़ा तथा गांधी जी को फिर एक बार कारावास भेजा गया | परन्तु उनके समर्थकों द्वारा यह आन्दोलन जारी रहा तथा अंग्रेजों को असफलता का मुख देखना पड़ा |

 भारत छोड़ो आंदोलन (सन 1942) – Quit India Movement

गांधी जी द्वारा सन 1942 में चलाया गया तीसरा सबसे बड़ा आंदोलन था ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ , लेकिन इस आंदोलन में हुई गलतियों के कारण यह आंदोलन असफल रहा था। इस आंदोलन के असफल होने के कई कारण थे. इस आंदोलन में किसान, विद्यार्थी आदि सभी वर्गों द्वारा भाग लिया जा रहा था और इस आंदोलन की देश में लहर चल रही थी. यह आंदोलन सम्पूर्ण देश में एक साथ शुरू न होकर अलग-अलग तिथियों पर शुरू हुआ जिस कारण इसका प्रभाव कम हो गया.

इसी बीच लोगों को ऐसा लग रहा था कि यह स्वतंत्रता संग्राम अपने आखिरी समय में है हमे आजादी मिल ही जायेगी, इसी सोच ने आंदोलन को कमजोर कर दिया. लेकिन यहां सबसे अच्छी बात यह रही कि इस आंदोलन से ब्रिटिश शासकों को यह महसूस हो गया थी कि अब भारत पर वह राज नहीं कर सकते उन्हे बहुत जल्द भारत छोड़कर जाना पड़ सकता है।

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सामाजिक बुराई छुआछूत को दूर करना –Abolition of Untouchability)

भारत में फैली छुआछूत की बीमारी को दूर करने के लिए बापू जी ने बहुत प्रयास किए. वह जीवन पर्यंत उनके उत्थान के लिए प्रयासरत रहे. उन्होंने पिछड़ी जातियों को ईश्वर के नाम ‘हरि जन’ नाम दिया.

महात्मा गांधी की मृत्यु – Death Of Mahatma Gandhi

महात्मा गांधी 30 जनवरी 1948 को दिल्ली के ‘बिरला हाउस’ में शाम एक सभा को सम्बोधित कर रहे थे तभी नाथूराम गोडसे ने उनके सीने में 3 गोलियां दाग दी जिससे उनकी समय करीब 5.17 पर मृत्यु हो गयी। ऐसा माना जाता है कि जब बापू जी अंतिम सांस ले रहे थे तो उनके मुंह से अंतिम शब्द ’हे राम’ नकला था। नाथूराम गोडसे और उसके सहयोगी पर मुकदमा चलाया गया और 1949 में उन्हे मौत की सजा सुनाई गयी। महात्‍मा गांधी की समाधि दिल्ली के राजघाट में है।

गांधीजी ने स्वतंत्रता के लिए सदैव सत्‍य और अहिंसा का मार्ग चुना और आंदोलन किए। उन्होने बिना शस्त्र उठाये अंग्रेजों को इस देश से बाहर कर दिया। अपने परिवार और आराम का त्याग करते हुए उन्होंने जीवन पर्यंत संघर्ष किया जिसका परिणाम यह ह कि आज हम आजाद भारत में सांस ले रहे हैं। महात्मा गांधी की जीवनी(Mahatma Gandhi Autobiography) तथा जीवन हमारे देश के सभी उम्र के लोगों के लिए प्रेरणादायक बन गया। आज हम उनके सिद्धातों को अमल में लाकर अपने समाज में महत्वपूर्ण बदलाव ला सकते हैं।

महात्मा गांधी पर लिखी गयी महत्वपूर्ण पुस्तकें (Books Written on Mahatma Gamdhi)

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