अरविंद केजरीवाल का जीवन परिचय

आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेता और दिल्ली के सीएम श्री अरविन्द केजरीवाल के जीवन परिचय (Arvind Kejriwal Biography in Hindi) के बारे में बताएंगे। आप उनकी आयु, जीवनी, शिक्षा, पत्नी, जाति, संपत्ति, भाषण के बारे में भी जान पायेंगे।

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Arvind Kejriwal Biography in Hindi
निजी जीवन
पूरा नाम-  अरविंद केजरीवाल
जन्म तिथि-  16 August 1968 (53 Years)
जन्म स्थान-  ग्राम सिवानी, जिला हिसार हरियाणा
पार्टी का नाम- आम आदमी पार्टी(AAP)
शिक्षा- इंजीनियरिंग
व्यवसाय- भारतीय राजनेता, पूर्व जॉइंट कमिशनर ऑफ इन्कमटैक्स डिपार्टमेंट
पिता का नाम– गोविन्द केजरीवाल
माता का नाम– गीता देवी
पत्नी का नाम– सुनीता केजरीवाल
पत्नी का व्यवसाय– पूर्व कमिशनर इन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट
संतान– 1 पुत्र (पुलकित) 1 पुत्री (हर्षिता)
सम्पर्क
स्थाई पता – 87 ब्लॉक, बी.के.दत्त कॉलोनी नई दिल्ली -110001
वर्तमान पता : बंगला नंबर 6, फ्लैग स्टाफ रोड, सिविल लाइंस, दिल्ली
सम्‍पर्क नंबरः 9911576726
ईमेल आईडी- parivartanindia@gmail.com
वेबसाइट-http://aamaadmiparty.org/

इस आर्टिकल में हम आपको आम आदमी पार्टी के प्रमुख नेता और दिल्ली के सीएम श्री अरविन्द केजरीवाल की जीवनी के बारे में बताएंगे. अरविन्द केजरीवाल के एक सामन्य व्यक्ति से दिल्ली का मुख्यमंत्री बनने तक का सफ़र आसान नही रहा.

दिल्ली के मुख्यमंत्री बनने से पहले ये सिविल सर्विस में थे. उसके बाद गवर्मेन्ट सिस्टम में भ्रष्टाचार को देखते हुए, इसे बदलने की सोची. सिविल सर्विस की जॉब छोडकर इन्होने गाँधी जी के सत्याग्रह की राह अपनायी. और एक सत्याग्रही नेता बने.

आज के समय में अरविन्द केजरीवाल भारत के जाने माने राजनेताओं में से एक है. चलिए जानते है अरविन्द केजरीवाल की सम्पूर्ण जीवनी के बारे में.

अरविन्द केजरीवाल का प्रारम्भिक जीवन और शिक्षा

भूतपूर्व नौकरशाह, एक आंदोलन कारी नेता और आम आदमी पार्टी के संस्थापक श्री अरविन्द केजरीवाल का जन्म 16 अगस्त 1968 को हरियाणा के सिवानी गांव, हिसार जिले में हुआ था. इनका जन्म एक मध्यम वर्गीय अग्रवाल परिवार में हुआ था.

इनके पिताजी का नाम गोविन्द केजरीवाल और माताजी का नाम गीता देवी है. अरविन्द केजरीवाल इनकी तीन संतानों में से पहली संतान है. इनके पिता एक इंजिनियर थे. इन्होने बिरला इंस्टिट्यूट से इलेक्ट्रिकल में इंजीनियरिंग की थी. इनके पिता की जॉब होने की वजह से अरविन्द केजरीवाल का बचपन उत्तर भारत के अलग अलग स्थानों पर गुजरा.

Arvind Kejriwal Family
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अरविन्द केजरीवाल की शिक्षा (Arvind Kejriwal Education)

इनकी प्रारम्भिक शिक्षा हिसार के इंग्लिश मीडियम केम्पस स्कूल से और सोनीपत के होली चिल्ड्रन स्कूल से हुई थी.1985 में इन्होने इंजीनियरिंग की सबसे टफेस्ट एग्जाम आईआईटी जेई की तैयारी की. इसमें इनकी आल इंडिया 563 वीं रैंक आई थी. बाद में इन्होने आइआइटी, खड़गपुर से मकैनिकल इंजीनियरिंग की पढाई पूरी की.

कॉलेज के दौरान इन्हें राजनीति में कोई दिलचस्पी नही थी. उस समय उन्हें थियटर में फिल्मे देखने का बड़ा शौक था. खास तौर पर आमीर खान की फिल्मे देखने के लिए थियटर में जाते थे. मकैनिकल इंजिनियर में ग्रेजुएशन पूरी करने के बाद इन्होने 1989 में टाटा स्टील में जॉब करी. लेकिन कुछ ही साल बाद 1992 में इन्होने यह जॉब छोड़ दी. क्योंकि उनका इरादा सिविल सर्विसेज में जाना था. इस कारण इन्होने सिविल सर्विसेज एग्जाम की तैयारी शुरू की. इसी दौरान अरिवन्द केजरीवाल ने अपना समय कलकत्ता में बिताया. यहाँ पर इन्होने मदर टेरेसा से मिले. यहाँ पर इन्होने मिशनरी ऑफ़ चेरिटी, नेहरु युवा केंद्र और रामकृष्ण मिशन में एज ए वालंटियर काम किया.

अरविन्द केजरीवाल का परिवार (Arvind Kejriwal Family)

Arvind Kejriwal Parents
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अरविन्द केजरीवाल का जन्म अग्रवाल परिवार में हुआ था. सन 1995 में इन्होने सुनीता केजरीवाल से शादी की. जो कि उनकी IRS बेचमेट थी. साल 2016 में सुनीता केजरीवाल ने एज ए कमिशनर इन इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से स्वेच्छिक सेवानिवृत्ती ली. इनके दो बच्चे है. एक पुत्री है जिसका नाम हर्षिता है और छोटा वाला लड़का पुलकित है.

करियर (Career of Arvind Kejriwal)

अरविन्द केजरीवाल ने अपने पहले अटेम्प्ट में ही सिविल सर्विस एग्जाम को क्लियर कर लिया. इन्हें इंडियन रेवेन्यु सर्विस का केडर मिला. 1995 में इन्होने इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में बतौर असिस्टेंट कमिशनर काम किया. कुछ साल बाद सन 2000 में इन्होने दो साल की स्टडी लीव ली. सन 2002 में इन्होने पुनः विभाग जॉइन किया. लेकिन लगभग एक साल तक इन्हें कई पोस्टिंग नही दी गई. आखिर में साल 2006 में इन्होने जॉइंट कमिशनर के पद से त्यागपत्र दे दिया. और ऐसा इसलिए किया ताकि वे सरकारी तंत्र में होने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ आम जनता में जागरूकता ला सके.

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अरविन्द केजरीवाल भ्रष्टाचार विरोधी के रूप में

भ्रष्टाचार का नाम ले और केजरीवाल का नाम नही आए. ये तो हो नही सकता. अरविन्द केजरीवाल को एक भ्रष्टाचार विरोधी नेता के रूप में जाना जाता है. इन्होने सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने और सरकारी कामों में पारदर्शिता लाने के लिए समय समय पर कई आंदोलन किए. जैसे सन 1999 में जब अरविन्द केजरीवाल इनकम टैक्स डिपार्टमेंट में कार्यरत थे, तब इन्होने अपने दोस्त मनीष सिसोदिया के साथ मिलकर “परिवर्तन” नाम की संस्था बनाई थी. यह एक एनजीओ नही था लेकिन कई लोग यहाँ डोनेशन करते थे. यह एक ऐसी संस्था थी जो, आम जनता के लिए काम करती थी. डिपार्टमेंट में रहते हुए इन्हें सिस्टम में भ्रष्टाचार जैसी समस्याओं से जूझना पड़ा था. इसलिए साल 2005 में इन्होने कबीर नाम से एक एनजीओ खोला. इसका मुख्य उद्देश्य सुचना के अधिकार को लागू करना और इनकम टैक्स में पारदर्शीता लाने पर जोर देना था. इनके कई प्रयासों से साल 2005 में सुचना का अधिकार नियम आया जो साल 2006 में पुरे भारत में लागू हुआ.

अरविन्द केजरीवाल गाँधीवादी विचारधारा वाले थे. इन्होने आंदोलनों को सत्याग्रह का रूप दिया. साल 2010 में, इन्होने क्रांतिकारी अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन (जन लोकपाल आंदोलन) में भाग लिया. इन्होने कई दिनों की भूख हड़ताल भी की. वही से इन्होने भारत की मीडिया का ध्यान अपनी और खिंचा. ये अरविन्द केजरीवाल के करियर के शुरुआती संघर्ष के दिन थे.

आम आदमी पार्टी की स्थापना

अन्ना हजारे के आंदोलन के दौरान अरविन्द केजरीवाल को महसूस हुआ कि, यदि सत्ता में परिवर्तन करना है तो हमे सत्ता में उतरना ही होगा. बिना तख्ते ताज पाकर हम कोई परिवर्तन नही ला सकते. क्योंकि अरविन्द केजरीवाल गाँधीवादी विचार के थे. इसलिए इन्होने 2012 में आम आदमी पार्टी (AAP) की स्थापना की. और चुनाव चिह्न झाड़ू रखा. पहले ये गांधी टोपी भी लगाते थे. उस टोपी पर पर लिखा होता था “मै आम आदमी हूँ”.

अरविन्द केजरीवाल का राजनैतिक करियर

ये तो अरविन्द केजरीवाल के संघर्ष के दिन थे. उनकी राजनैतिक करियर की शुरुआत तो तब हुई जब साल 2013 में इन्होने दिल्ली विधानसभा का इलेक्शन जीता. अरविन्द केजरीवाल का राजनैतिक करियर जन लोकपाल आंदोलन के मैदान से शुरू हो गया था. 2012 में AAP के राष्ट्रीय संयोजक बने. 2013 में दिल्ली विधानसभा का चुनाव लड़ा. और 70 सीटो में से 28 सीटे जीती. केजरीवाल ने कोंग्रेस की नेता शीला दीक्षित को हराया था.

दिसम्बर 2013 में दुसरे सबसे युवा मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ग्रहण की. इससे पहले चौधरी बह्र्म प्रकाश जो कि पहले सबसे युवा मुख्यमंत्री बने थे. लेकिन साल 2014 में अरविन्द केजरीवाल ने अपने मुख्यमंत्री पद से रिजाइन दे दिया. क्योंकि इस दौरान इन्हें दिल्ली विधानसभा में “जन लोकपाल बिल” लाने में सफलता नही मिली थी. बाद मे इन्होने माना कि मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना उनकी बड़ी भूल थी. लेकिन यह भूल अरविन्द केजरीवाल और उनकी पार्टी (आप) कुछ बिगाड़ नही पाई.

साल 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव ने उनकी पार्टी ने एक तरफा जीत दर्ज की. 70 सीटों में से 67 सीटे आम आदमी पार्टी ने जीती और बाकि तीन सीटे बीजेपी ने जीती. जहाँ पुरे देश में बीजेपी की गूंज थी वही दिल्ली में आम आदमी पार्टी की धूम थी.

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अवार्ड एंड अचीवमेंट्स (Awards and Achievments)

साल 2005 में पारदर्शी सरकारी तंत्र के लिए कैम्पेन चलाने के लिए आइआइटी, कानपूर ने इन्हें सत्येन्द्र के. दुबे मेमोरियल अवार्ड से नवाजा था.

अरविन्द केजरीवाल साल 2006 में रेमन मेग्सेसे अवार्ड से सम्मानित किया गया था. रेमन मेग्सेसे अवार्ड को अर्थशास्त्र के क्षेत्र में एशिया का नोबेल प्राइज माना जाता है. इन्हें ये अवार्ड उभरते हुए नेतृत्वकर्ता के लिए मिला था.

साल 2006 में ही CNN-IBN इंडियन ऑफ़ दी इयर का अवार्ड मिला था.

वर्ष 2013 में Foreign Policy की मैगज़ीन में अरविन्द केजरीवाल ने टॉप 100 थिंकर में अपनी जगह बनाई.

वर्ष 2014 में इन्होने टाइम्स मैगज़ीन की टॉप 100 मोस्ट इन्फ़्लुएन्स पीपल इन दी वर्ल्ड में अपनी जगह बनाई.

अरविन्द केजरीवाल पर साल 2017 में “एन इन्सिगनिफिकेट मेन” नाम से डॉक्युमेंट्री रिलीज हुई थी. जिसमे इनकी पूरी पॉलिटिकल जर्नी को दिखाया गया था.

अरविन्द केजरीवाल द्वारा लिखी गई पुस्तक

स्वराज (swaraj) नामक पुस्तक अरविन्द केजरीवाल द्वारा लिखी गई है. यह पुस्तक अन्ना हजारे के साथ मिलकर किए जन लोकपाल आंदोलन के ऊपर लिखी गई थी. और बताया कि सरकारी तंत्र में उन्होंने किस तरह भ्रष्टाचार से जंग लड़ी.

विवाद

अरविन्द केजरीवाल एक सच्चे और ईमानदार राजनेता और भ्रष्टाचार विरोधी भी है. इस कारण ये कई बार विवादों में रहे और रहते है. और कई बार इन पर मानहानि का मामला दर्ज हुआ. कई बार इन्हें बड़े नेताओं को माफ़ी नामा पत्र देना पड़ा.

इनके चर्चित विवादों में से कुछ निम्नलिखित है. अरविन्द केजरीवाल और भूतपूर्व एलजी (लेफ्टिनेंट गवर्नर) नजीब के बीच विवाद, केजरीवाल का अरुण जेटली के साथ विवाद, जिसमे अरुण जेटली ने इनपर दस करोड़ का मानहानि का केस दर्ज करवाया था.

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