बंदूक का आविष्कार किसने किया । Bandook Ka Avishkar Kisne Kiya और बंदूक की गोली की स्पीड क्या होती है, साथ में ही बुलेट किसकी बनी होती है इसके बारे में यदि आप जानना चाहते है तो इस आर्टिकल को पूरा पढ़ें।
बंदूक का आविष्कार किसने किया । Bandook Ka Avishkar Kisne Kiya
बंदूक Gun आविष्कार 9वीं शताब्दी में चीन में हुआ था। काला पाउडर का निर्माण सीन से होकर कई प्रांतों तक फैल गया और फिर अफ्रीका यूरोप में यह खबर फैल गई कि काले पाउडर से बंदूक बनाई जा सकती थी फिर वैज्ञानिकों ने कई तरह के अलग-अलग हथियार बनाने में जुट गए।
बंदूक के अविष्कार के बाद रिवाल्वर का आविष्कार 1836 में कोर्ट ने किया था। बंदूक में पांच गोलियां भरकर इसका इस्तेमाल किया जा सकता था।
बंदूक से प्रेरित होकर निम्नलिखित हथियार बनाए गए -रिवॉल्वर, पिस्तौल, राइफल, मस्कट, मशीनगन, राकेट लांचर।
बंदूक की गोली bullet किसकी बनी होती है
बंदूक में गन पाउडर gun powder जो कि रासायनिक फार्मूला के जरिए बारूद गंधक कोयला या शोरा जैसे पोटैशियम नाइट्रेट या सॉल्ट पीटर के रासायनिक मिश्रण से तैयार किया जाता है।
बंदूक से निकलने गोली की स्पीड कितनी होती है?
साधारण बंदूक की रफ्तार बहुत तेज होती है 25000 fit की दूरी 1 सेकंड में तय कर लेती है। आसान भाषा में 17 सौ मील प्रति घंटे की रफ्तार से बंदूक की गोली चलती है।
गन पाउडर बंदूक की गोली
बन्दूक की गोली गनपाउडर और रासायनिक मिश्रण से बनाई जाती है। इस गनपाउडर का इस्तेमाल आर्म्स और अम्मुनिशंस में फायर आर्म्स में कई सदियों से प्रयोग किया जाता था। जिसकी खोज इसकी खोज 19वीं शताब्दी में चीन में की गई। इस गनपाउडर का युद्ध लड़ने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
सबसे पहली बंदूक बांस की बनी थी bamboo gun
पहले युद्ध में तलवार का इस्तेमाल होता था। बन्दूक का निर्माण हुआ। पहला बन्दूक बम्बू यानि लकड़ी का बनाया गया था। फ़ायरलान्स नाम की गन बम्बू bamboo gun उस समय युद्ध के लिए उपयोग किया जाता रहा है। धीरे-धीरे बंदूक को लकड़ी से लोहे में बनाने लगे और यह बंदूक काफी मजबूत और सख्त होती थी।
18 वीं शताब्दी में ऐसी बंदूके बनाई गई जिसमें गोली का इस्तेमाल होता था जो निशाने पर लगने के बाद विस्फोट (ब्लास्ट) हो जाता था।
19वीं शताब्दी में कारतूस वाली बंदूकें बहुत प्रसिद्ध हुए जहां गोलियां bullet पीछे की तरफ से भरी जाती थी। इससे पहले बंदूक में गोलियां आगे से भरी जाती थी। बाद में बंदूक में कारतूस बनने के लिए मैगजीन का इस्तेमाल किया जाने लगा। कारतूस को बंदूक की नली में भेजने के लिए बोर्ड का इस्तेमाल किया जाने लगा। विश्व युद्ध 1 और 2 में इस तरह की बंदूकें इस्तेमाल की गई और कोहराम मचा दिया। 19वीं शताब्दी तक मिलिट्री में मशीन का इस्तेमाल होने लगा।