अक्षय तृतीया व्रत विधि कथा एवं महत्व….

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Akshaya Tritiya Vrat Katha in hindi

Akshaya Tritiya Vrat Katha in hindi –  वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता हैं। अक्षय तृतीया का दिन बहुत ही शुभ माना जाता हैं। अन्य दिनों में यदि कोई शुभ कार्य करना चाहता है तो उसे पंचाग देखना पड़ता हैं लेकिन अक्षय तृतीया के दिन बिना मुहूर्त के विचार किये बगैर कोई भी शुभ कार्य जैसे विवाह, निर्माण, यज्ञ, दान, सम्पत्ति की खरीददारी आदि कर सकते हैं। इस दिन व्रत और पूजा पाठ करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती हैं।

अक्षय तृतीया 2018  एवं शुभ मुहूर्त – Akshaya Tritiya 2018 dates and Shubh Muhurt

साल 2018 में अक्षय तृतीया 18 अप्रैल को पड़ रही हैं।  अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त- दिनांक 18-04-2018 को प्रातः 05.56 से दोपहर 12.20 तक एवं तृतीया तिथि प्रारम्भ – 18 अप्रैल 2018 समय 03.45 बजे से 19 अप्रैल 2018 समय 01.29 बजे तक।

अक्षय तृतीया व्रत विधि- Akshaya Tritiya Vrat vidhi in hindi

 अक्षय तृतीया के दिन व्रत रखने वाले व्यक्ति को जल्दी सुबह खड़े होकर घर की साफ-सफाई व स्नान आदि  से निवृत हो लें. इसके पश्चात जिस स्थान पर पूजा करनी हैं वहां भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर को साफ और स्वच्छ स्थान पर स्थापित करें। इसके बाद पूजन प्रारम्भ करें जिसमें सबसे पहले विष्णु जी को पंचामृत से स्नान कराएं, इसके पश्चात फूलों की माला चढ़ाएं. ध्यान दें कि विष्णु भगवान को पूजा में जौ, चावल और चने की दाल अर्पित करें। इसके बाद भगवान विष्णु की कथा एवं सहस्त्रनाम का पाठ करें। पूजा समाप्त होने के बाद भगवान को भोग लगाएं और प्रसाद को सभी भक्तों में वितरित कर स्वंय भी ग्रहण करें।

अक्षय तृतीया व्रत कथा- Akshaya Tritiya Vrat Katha in hindi

हिन्दु धर्म ग्रंथों के अनुसार प्राचीन काल में एक धर्मदास नामक वैश्य था। वह वहुत सदाचारी एवं देव और ब्राह्मणों के प्रति काफी श्रद्धा थी। इस व्रत के महात्म्य को सुनने के पश्चात उसने इस पर्व के आने पर गंगा में स्नान करके विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की, व्रत के दिन स्वर्ण, वस्त्र तथा दिव्य वस्तुएं ब्राह्मणों को दान में दी।

अनेक रोगों से ग्रस्त तथा वृद्ध होने के बावजूद भी उसने उपवास करके धर्म-कर्म और दान पुण्य किया। यही वैश्य दूसरे जन्म में कुशावती का राजा बना। कहते हैं कि अक्षय तृतीया के दिन किए गए दान व पूजन के कारण वह बहुत धनी प्रतापी बना। वह इतना धनी और प्रतापी राजा था कि त्रिदेव तक उसके दरबार में अक्षय तृतीया के दिन ब्राह्मण का वेश धारण करके उसके महायज्ञ में शामिल होते थे।

अपनी श्रद्धा और भक्ति का उसे कभी घमंड नहीं हुआ और महान वैभवशाली होने के बावजूद भी वह धर्म मार्ग से विचलित नहीं हुआ। माना जाता है कि यही राजा आगे चलकर राजा चंद्रगुप्त के रूप में पैदा हुआ।

अक्षय तृतीया के दिन सोने-चांदी के दिन आभूषण खरीदना बहुत शुभ माना जाता हैं, यदि इस दिन आप आभूषण खरीदते हैं तो उन्हे तिजोरी में रखने से पहले लक्ष्मी पूजान जरूर करना चाहिए। इस दिन आप क्या-क्या खरीद सकते हैं आइये जानते हैं उन वस्तुओं के बारे में-

  • अक्षय तृतीया के दिन आप सोने और चांदी के गहने खरीद सकते हैं, यदि आप का बजट कमजोर हैं तो जितना कम से कम हो सके खरीद लें।
  • इस दिन आप चाहे तो घरेलू वर्तन भी खरीद सकते हैं।
  • जैसा कि मैने ऊपर बताया इस दिन आप कोई भी कार्य करते हैं तो बहुत ही शुभ माना जाता हैं जैसे की घर बनाना आदि।
  • इस दिन आप दो पहिया या चार पहिया वाहन भी खरीद सकते हैं।

अक्षय तृतीया की बहुत-बहुत शुभकामनाएं आप सभी को, मुझे उम्मीद है कि आपको अक्षय तृतीया की कथा व व्रत विधि पसंद आयी होगी ऐसे ही साल भर पड़ने वाले समस्त त्यौहारों के बारे में जानें, और यदि संभव हो तो यह जानकारी अपने दोस्तों व रिश्तेदारों तक सोशल मीडिया के माध्यम से शेयर जरूर करें। धन्यवाद!

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