What is Sixth Sense in Hindi – सिक्स्थ सेंस को छटी इंद्रिय भी कहते हैं। वैसे तो इंसान की पांच इंद्रियां होती हैं- नेत्र, नाक, जीभ, कान और त्वचा। इसी को दृश्य, सुगंध, स्वाद, श्रवण और स्पर्श भी कहा जाता है, लेकिन एक और छठी इंद्री भी होती है जो दिखाई नहीं देती, लेकिन इसके अस्तित्व का अहसास किया जा सकता है। इसे परामनोविज्ञान भी माना जाता है। इस छठी इंद्री के बारे में आपने पूर्व में भी सुना और पढ़ा भी होगा लेकिन ये क्या और कहां होती है और कैसे इसे जाग्रत किया जा सकता है इस सिक्स्थ सेंस से जुड़ी कुछ ऐसी ही बातों को जानते हैं…
कहां होती है छठी इंद्री | What is Sixth Sense in Hindi
मस्तिष्क के अन्दर कपाल के नीचे एक कोमल छिद्र होता है जिसे ब्रह्मरंध्र कहते हैं। वहीं से सुषुम्ना नाड़ी रीढ़ से होती हुई मूलाधार तक जाती है। ऐसा माना जाता है कि इड़ा नाड़ी शरीर के बाएं हिस्से में और पिंगला नाड़ी दांयी तरफ होती है। इसके बीच में सुषुम्ना नाड़ी स्थित होती है। यही नाड़ी सात चक्रों और छटी इंद्री का केंद्र मानी जाती है। सामान्यत: छटी इंद्री सुप्तावस्था में होती है इसे अलग-अलग तकनीकों के माध्यम से एक्टिव किया जाता है।
छठी इंद्री के जागने पर क्या होता है | Benefits of Activation of Sixth Sense in Hindi
- इसके जागृत होने पर व्यक्ति के अन्दर भविष्य में झांकने की क्षमता बढ़ती है। जिससे व्यक्ति भविष्य की घटनाओं को जान सकता है।
- इसके कारण व्यक्ति कोसों दूर बैठे व्यक्ति की बातें सुन सकता हैं। इसके साथ ही किसके मन में क्या विचार चल रहा है इसका पता भी लग जाता है।
- जिस व्यक्ति की छठी इंद्री पूरी तरह जागृत हो जाती है तो उससे कुछ भी छिपा नहीं सकता और इसकी क्षमताओं के विकास की संभावनाएं अनंत हैं। यह इंद्री हर समय मदद करने के लिए तैयार रहती है, ध्यान रहे उस व्यक्ति को इसके प्रति समर्पित रहना होगा।
- जिस व्यक्ति के यह इंद्री पूरी तरह जागृत हो जाती है वह स्वयं के साथ अन्य लोगों की बीमारी को भी दूर कर सकता है।
क्या है छठी इंद्री का विज्ञान | Science of Sixth Sense in Hindi
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया के एक अध्ययन के अनुसार छठी इंद्रिय के कारण ही हमें भविष्य में होने वाली घटनाओं का पूर्वाभास होता है। रेसिक के अनुसार छठी इंद्रिय जैसी कोई भावना तो है और यह सिर्फ एक अहसास नहीं है। वास्तव में होशो-हवास में आया विचार या भावना है, जिसे हम देखने के साथ ही महसूस भी कर सकते हैं और यह हमें घटित होने वाली बात से बचने के लिए प्रेरित करती है। करीब एक-तिहाई लोगों की छठी इंद्रिय काफी सक्रिय होती है।
छठी इंद्री को इन तकनीकों से जागृत किया जा सकता है | How To Develop Sixth Sense in Hindi
- नियमित प्राणायम करने से-
छठी इंद्री को जाग्रत करने के लिए प्राणायाम का नियमित अभ्यास करना सबसे अच्छा तरीका है. हमारी भौहों के बीच छठी इंद्री होती है। सुषुम्ना नाड़ी के जाग्रत होने से ही छठी इंद्री जाग्रत हो जाती है। यही छठी इंद्री है। आप अपनी छठी इंद्री को प्राणायम के माध्यम से छह माह में जाग्रत कर सकते हैं, लेकिन छह माह के लिए आपको दुनियादारी से अलग होना भी जरूरी है। जब हमारी नाक के दोनों स्वर चलते हैं तो माना जाता है कि सुषम्ना नाड़ी सक्रिय है। इस सक्रियता से ही सिक्स्थ सेंस जाग्रत होता है। - नियमित ध्यान करने से –
दोनों भौहों की बीच वाली जगह पर नियमित ध्यान करते रहने से आज्ञाचक्र जाग्रत होने लगता है। जो हमारे सिक्स्थ सेंस को बढ़ाता है। प्रत्येक दिन करीब 40 मिनट का ध्यान लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है। ध्यान देने वाली वात यह है कि अनावश्यक कल्पना व विचारों को मन से हटाकर आपको शुद्ध और निर्मल मौन में से इस क्रिया को करना है। जब आप इस स्थिति को प्राप्त कर लेते है तो अपने आप ही आपकी छठी इंद्री जाग्रत हो जाती है। - त्राटक से –
त्राटक क्रिया से भी इस छठी इंद्री को जाग्रत कर सकते हैं। जितनी देर तक आप बिना पलक झपकाए किसी एक बिंदु, क्रिस्टल बॉल, मोमबत्ती या घी के दीपक की ज्योति पर देख सकें देखते रहिए। इसके बाद आंखें बंद कर लें। कुछ समय तक इसका अभ्यास करें। इससे आप की एकाग्रता बढ़ेगी और धीरे धीरे छठी इंद्री जाग्रत होने लगेगी। - नियमित योग निद्रा से
कल्पना करें कि धरती माता ने आपके शरीर को गोद में उठाया हुआ है। अब मन को अपने दाहिने हाथ के अंगूठे, सभी उंगलियों पर ले जाइए। कलाई, कोहनी, भुजा व कंधे पर ले जाइए। इसी तरह अपने मन को बाएं हाथ पर ले जाएं। दाहिना पेट, पेट के अंदर की आंतें, जिगर, अग्नाशय दाएं व बाएं फेफड़े, हृदय व समस्त अंग शिथिल हो गए हैं। ऐसी कल्पना कीजिए और आखिर में अपने ध्यान को सांस पर ले आएं।