राहत इन्दौरी जाने माने भारतीय उर्दू शायर व हिंदी फिल्मों के गीतकार हैं। इतना ही नहीं यह मशहूर शायर देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर में उर्दू साहित्य का प्राध्यापक भी रह चुका हैं।
जहां तक उनके प्रारम्भिक जीवन की बात की जाये तो उनका जन्म 1 जनवरी 1950 में इंदौर में हुआ था उनके पिता रफ्तुल्लाह कुरैशी एक कर्मचारी के रूप में कपड़ा मिल में कार्य करते थे. इंदौरी साहब की मता का नाम निशा बेगम था। अपने माता पिता की चौथी संतान थे।
दोस्तो आज यहां हम राहत इंदौरी साहब की मशहूर शायरी लेकर आये हैं, आपको उनकी यह शायरी बहुत पसंद आयेंगी।
राहत इंदौरी की शायरी – Rahat Indori Shayari in Hindi
अजनबी ख़्वाहिशें , सीने में दबा भी न सकूँ |
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे , कि उड़ा भी न सकूँ ||
अब हम मकान में ताला लगाने वाले हैं,
पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं||
अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब हैं
लोगो ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया।।
आँख में पानी रखो , होंटों पे चिंगारी रखो |
ज़िंदा रहना है तो , तरकीबें बहुत सारी रखो ||
रोज़ तारों को नुमाइश में , खलल पड़ता हैं |
चाँद पागल हैं , अंधेरे में निकल पड़ता हैं ||
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए
उसकी याद आई हैं , साँसों ज़रा धीरे चलो |
धड़कनो से भी इबादत में , खलल पड़ता हैं ||
ये हादसा तो किसी दिन , गुज़रने वाला था |
मैं बच भी जाता तो , इक रोज़ मरने वाला था ||
आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो
ना त-आरूफ़ ना त-अल्लुक हैं , मगर दिल अक्सर |
नाम सुनता हैं , तुम्हारा तो उछल पड़ता हैं ||
अंदर का ज़हर चूम लिया , धुल के आ गए |
कितने शरीफ़ लोग थे , सब खुल के आ गए ||
दो गज सही ये , मेरी मिलकियत तो हैं |
ऐ मौत तूने मुझे , ज़मीदार कर दिया ||
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे,
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते!!
इरादा था कि में कुछ देर तुफानो का मजा लेता
मगर बेचारे दरिया को उतर जाने की जल्दी थी।
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते।
चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं,
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश,
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।
तेरी हर बात मोहब्बत में गँवारा करके,
दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके,
मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी,
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो,
एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं।
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है।।
मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया।
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।।
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर।
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ।।
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है।
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है।।
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता।
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी।।
मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया।
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए।।
कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए।
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है।।
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे।
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो।।
शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए।
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए।।
रोज़ तारों को नुमाइश में , खलल पड़ता हैं।
चाँद पागल हैं , अंधेरे में निकल पड़ता हैं।।
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है।
उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते।।
उम्मीद है कि आपको राहत इन्दौरी की शायरी पसंद आयी होगंी। आप इन शायरियों को अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते हैं।
Atif Aslam Lyrics
“Jeena Jeena”
(from “Badlapur”)
Dehleez pe mere dil ki
Jo rakhe hain tune kadam
Tere naam pe meri zindagi
Likh di mere humdum
Haan seekha maine jeena jeena kaise jeena
Haan seekha maine jeena mere humdum
Na seekha kabhi jeena jeena kaise jeena
Na seekha jeena tere bina humdum
Dehleez pe merey dil ki
Jo rakhe hain tune kadam
Tere naam pe meri zindagi
Likh di mere humdum
Haan sikha maine jeena jeena kaise jeena
Haan sikha maine jeena, mere humdum
Na sikha kabhi jeena jeena kaise jeena
Na sikha jeena tere bina humdum
Sacchi si hain yeh taareefein
Dil se jo maine kari hain…
Sacchi si hain yeh taareefein
Dil se jo maine kari hain…
Jo tu mila to saji hain
Duniya meri humdum
O aasma mila zameen ko meri
Aadhe aadhe poore hain hum
Tere naam pe meri zindagi
Likh di mere humdum
Haan seekha maine jeena jeena, kaise jeena
Haan seekha maine jeena, mere humdum
Na seekha kabhi jeena jeena kaise jeena
Na seekha jeena tere bina humdum
Kalle Kalle Song – Shalmali Kholgade
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