Rohini vrat katha aur puja Vidhi – भारत एक विशाल देश हैं जिसमें विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग रहते हैं और उन सब को अपने रिति रिवाज से अपनी मान्याताओं के अनुरूप त्यौहारों को मनाने की पूरी छूट हैं. उन्ही में से एक है जैन धर्म जिसमें कई व्रत एवं उपवास रखने की मान्यताएं हैं. आज हम जैन समुदाय में मनाए जाने वाले रोहिणी व्रत के बारे में बात करने जा रहे हैं. यह व्रत जैन धर्म का महत्वपूर्ण त्यौहार है. इस व्रत को महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना के लिए रखनती हैं. मान्यता है कि इस व्रत को रखने से सभी प्रकार के दुःख दर्द आदि से छुटकारा मिलता हैं. स व्रत पर दान देने का विशेष महत्व होता है.
रोहिणी व्रत की तिथि – Rohini Vrat
धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप जैन समुदाय में कुल 27 नक्षत्रों में से एक नक्षत्र रोहिणी नक्षत्र होता है. इस व्रत की खास बात यह है कि साल में यह व्रत एक बार नहीं बल्कि हर महीने में आता हैं. यह त्यौहार सामान्यता प्रत्येक महीने के 27 वें दिन रोहिणी नक्षत्र में पड़ता है. इस प्रकार रोहिणी व्रत पूरे साल में 13 बार मनाया जात है.
यह व्रत विशे, रूप से जैन धर्म के अनुयायियों द्वारा किया जाता है इस दिन वे भगवान वासुपूज्य की पूजा करते हैं. इसे 3, 5 या 7 वर्षों तक करने के बाद ही उद्यापन किया जा सकता है.
रोहिणी व्रत का महत्व – Importance of Rohini Vrat
महिलाओं के लिए यह व्रत अधिक महत्वपूर्ण माना गया है। जैन परिवारों की महिलाओं के लिए तो इस व्रत का पालन करना अति आवश्यक माना गया है। यह व्रत ‘रोहिणी देवी’ से जुड़ा है। इस दिन पूरे विधि-विधान से उनकी पूजा की जाती है। इस पूजा में जैन धर्म के लोग भगवान वासुपूज्य की पूजा करते हैं। महिलायें अपने पति की लम्बी आयु एवम स्वास्थ्य के लिए करती हैं। इस व्रत को करने से धन, धान्य, और सुखों में वृद्धि होती है। इस दिन व्रत करने वाले भगवान से अपने अपराधों की क्षमा मांग कर मुक्त होते हैं।
रोहिणी व्रत 2018 में कब हैं- (Rohini Vrat 2018 date)
जैसा कि ऊपर बताया गया हैं कि यह व्रत प्रत्येक माह महीने की 27 वें दिन रोहिणी नक्षत्र में पड़ता हैं जिसका तिथि वार विवरण निम्न प्रकार है-
तारीख | महीना | दिन | व्रत |
27 | जनवरी | शनिवार | रोहिणी व्रत |
24 | फरवरी | शनिवार | रोहिणी व्रत |
23 | मार्च | शुक्रवार | रोहिणी व्रत |
19 | अप्रैल | गुरूवार | रोहिणी व्रत |
17 | मई | गुरूवार | रोहिणी व्रत |
13 | जून | बुधवार | रोहिणी व्रत |
10 | जुलाई | मंगलवार | रोहिणी व्रत |
7 | अगस्त | मंगलवार | रोहिणी व्रत |
3 | सितम्बर | सोमवार | रोहिणी व्रत |
30 | सितम्बर | रविवार | रोहिणी व्रत |
28 | अक्टूबर | रविवार | रोहिणी व्रत |
24 | अक्टूबर | रविवार | रोहिणी व्रत |
21 | दिसम्बर | शुक्रवार | रोहिणी व्रत |
रोहिणी व्रत की पूजा विधि- Rohini Vrat Puja Vidhi
रोहिणी व्रत के दिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर नित्य क्रिया कर पवित्र होकर पूजा करती हैं. इस दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा-अर्चना की जाती है. पूजा के लिए सामग्री- भगवान वासुपूज्य की पांचरत्न, ताम्र या स्वर्ण की प्रतिमा स्थापित की जाती है. वासुपूज्य की अराधना करके दो वस्त्रों, फल, फूल और नैवेध्य का भोग लगायें. इस दिन गरीबों में दान करने का बड़ा महत्व हैं. यह व्रत उदिया तिथि में रोहिणी नक्षत्र के दिन से प्रारम्भ होकर अगले नक्षत्र मार्गशीर्ष तक चलता है.
रोहिणी व्रत का उद्यापन विधि- Rohini Vrat Udyapan Vidhi
यह व्रत एक निश्चित समय तक ही किया जाता हैं. इस व्रत को कब तक कना है ये व्रत रखने वाले पर निर्भर करता हैं. मानी गई व्रत अवधि पूर्ण होने पर इस व्रत का उद्यापन कर दिया जाता है.
उद्यापन के दिन भगवान वासुपूज्य की पूजा की जाती है साथ ही दर्शन भी किये जाते हैं.
सामान्यतः इस व्रत के लिए 5 वर्ष 5 माह की अवधि श्रेष्ठ मानी गयी है. उद्यापन के लिए इस व्रत को नियमित रूप से करके गरीबों को भोजन कराया जाता है.