National Song Vande matram in hindi: आज हम राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम् की लिरिक्स लिखे हैं, आपको यह बहुत अच्छी लगेगी. अक्सर हम राष्ट्रीय दिवसों पर इस गीत को गाते हैं।
National Song Vande matram in hindi
वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
सस्य श्यामलां मातरंम् .
शुभ्र ज्योत्सनाम् पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् .
सुखदां वरदां मातरम् ॥
सप्त कोटि कण्ठ कलकल निनाद कराले
द्विसप्त कोटि भुजैर्ध्रत खरकरवाले
के बोले मा तुमी अबले
बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीम् मातरम् ॥
तुमि विद्या तुमि धर्म, तुमि ह्रदि तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारै प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे ॥
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलां मातरम् ॥
श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषिताम्
धरणीं भरणीं मातरम् ॥
- वन्दे मातरम्
सुजलाम् सुफलाम् मलयज शीतलाम्
शस्य-श्यामलाम् मातरम्॥ वन्दे मातरम्॥ १॥
अर्थ – हे माँ मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ. माँ तुम पानी से भरी हुई हो, फलों से भरी हुई हो. हे माँ तुम्हें मलय से आती हुई हवा शीतलता प्रदान करती है. हे माँ तुम फसल से ढकी रहती हो. हे माँ मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ. - वन्दे मातरम् = हे माँ मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ. सुजलाम = पानी से भरी हुई, सुफलाम् = फलों से भरी हुई, मलयज = मलय जो केरल का एक तट, शीतलाम = शीतलता प्रदान करती है. मलयज शीतलाम = हे माँ तुम्हें मलय से आती हुई हवा शीतलता प्रदान करती है,शस्य-श्यामलाम्= हे माँ तुम जो फसल से ढकी रहती हो. शस्य = फसल / उपज / खेती श्यामला = गहरा रंग
- शुभ्र-ज्योत्सनां पुलकित यामिनीम्
फुल्ल कुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्
सुहासिनीम् सुमधुर-भाषिणीम्।
सुखदाम् वरदाम् मातरम्॥ वन्दे मातरम्॥ २॥
अर्थ – वो जिसकी रात्रि को चाँद की रौशनी शोभायमान करती है. वो जिसकी भूमि खिले हुए फूलों से सुसज्जित पेड़ों से ढकी हुई है.
सदैव हंसने वाली, मधुर भाषा बोलने वाली. सुख देने वाली, वरदान देने वाली माँ. मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ. - शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं– वो जिसकी रात्रि को चाँद की रौशनी शोभायमान करती है. शुभ्र = चमकदार, ज्योत्सना = चन्द्रमा की रोशनी, पुलकित = अत्यधिक खुश / रोमांचित, यामिनी = रात्रि, फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं = वो जिसकी भूमि खिले हुए फूलों से सुसज्जित पेड़ों से ढकी हुई है. फ़ुल्ल = खिले हुए, कुसुमित = फूल, द्रुम = वृक्ष, दल = समूह, शोभिनीं = शोभा बढ़ाते हैं.
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं सुहासिनीं = सदैव हंसने वाली, सुमधुर भाषिनी = मधुर भाषा बोलने वाली सुखदां वरदां मातरम् =
सुखदां = सुख देने वाली, वरदां = वरदान देने वाली. - कोटि-कोटि कंठ कल-कल निनाद कराले
कोटि-कोटि भुजैर्धृत खरकरवाले,
के बोले माँ तुमी अबले
बहुबल धारिणीम् नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीम् मातरम्॥ वन्दे मातरम्॥ ३॥
अर्थ – करोड़ों कंठ मधुर वाणी में तुम्हारी प्रशंसा कर रहे हैं. करोड़ों हाथों में तेरी रक्षा के लिए धारदार तलवारें निकली हुई हैं. माँ कौन कहता है कि तुम अबला हो. तुम बल धारण की हुई हो. तुम तारने वाली हो, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ. माँ तुम शत्रुओं को समाप्त करने वाली हो. माँ मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ. - कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले= करोड़ों कंठ मधुर वाणी में तुम्हारी प्रशंसा कर रहे हैं. कोटि = करोड़, कंठ = गला, कल-कल = बहती हुई जलधारा की मधुर ध्वनि. निनाद = गुनगुनाहट, कराले = आवाज़.
कोटि-कोटि-भुजैधृत-खरकरवाले – करोड़ों हाथों में तेरी रक्षा के लिए धारदार तलवारें निकली हुई हैं. भुजै धृत = भुजाओं में निकली हुई, खर = धारदार, करवाल = तलवार. के बोले माँ तुमी अबले = माँ कौन कहता है कि तुम अबला हो.
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं – तुम बल धारण की हुई हो. तुम तारने वाली हो, मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ. बहुबलधारिणीं = बहुत बल धारण किये हुए / बहुत शक्तिशाली, नमामि = में प्रणाम करता हूँ, तारिणीं = तारण करने वाली / बचाने वाली. रिपुदलवारिणीं मातरम् – माँ तुम शत्रुओं को समाप्त करने वाली हो. रिपुदल = शत्रुओं का दल, वारिणी = रोकने वंदे मातरम् । - तुमि विद्या तुमि धर्म
तुमि हृदि तुमि मर्म
त्वं हि प्राणा: शरीरे
बाहु ते तुमि मां शक्ति
हृदये तुमि मां भक्ति
तोमारइ प्रतिमा गङि मंदिरे मंदिरे॥ वन्दे मातरम्॥ ४॥
अर्थ – तुम हीं विद्या हो, तुम हीं धर्म हो. तुम हीं हृदय, तुम हीं तत्व हो. तुम हीं शरीर में स्थित प्राण हो. हमारी बाँहों में जो शक्ति है वो तुम ही हो. हृदय में जो भक्ति है वो तुम ही हो. तुम्हारी हीं प्रतिमा हर मन्दिर में गड़ी हुई है. माँ मैं तुम्हें प्रणाम करता हूँ. - तुमि विद्या, तुमि धर्म– तुम हीं विद्या हो , तुम हीं धर्म हो.
तुमि हृदि, तुमि मर्म– तुम हीं हृदय, तुम हीं तत्व हो.
त्वं हि प्राणाः शरीरे – तुम हीं शरीर में स्थित प्राण हो.
बाहुते तुमि मा शक्ति – हमारी बाँहों में जो शक्ति है वो तुम ही हो.
हृदये तुमि मा भक्ति – हृदय में जो भक्ति है वो तुम ही हो.
तोमारई प्रतिमा गडि मन्दिरे-मन्दिरे मातरम् – तुम्हारी हीं प्रतिमा हर मन्दिर में गड़ी हुई है. वंदे मातरम् । - त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणीम्
कमला कमलदल विहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वां, नमामि कमलाम्।
अमलाम्, अतुलाम्, सुजलाम्, सुफलाम्, मातरम्॥ ५॥
अर्थ –तुम ही दस अस्त्र धारण की हुई दुर्गा हो. तुम ही कमल पर आसीन लक्ष्मी हो. तुम वाणी एवं विद्या देने वाली ( सरस्वती ) हो , तुम्हें प्रणाम. तुम धन देने वाली हो, तुम अति पवित्र हो, तम्हारी कोई तुलना नहीं हो सकती है, तुम जल देने वाली हो, तुम फल देने वाली हो माँ हो. - त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी– तुम ही दस अस्त्र धारण की हुई दुर्गा हो.कमला = लक्ष्मी जी कमलदलविहारिणी = तुम ही कमल पर आसीन लक्ष्मी हो. वाणी विद्यादायिनी, नामामि त्वाम् = तुम वाणी एवं विद्या देने वाली ( सरस्वती ) हो , तुम्हें प्रणाम.
कमलां अमलां अतुलां सुजलां सुफलां मातरम् ॥ कमलां = धन देने वाली देवी / लक्ष्मी, अमलां = अति पवित्र, अतुलां = जिसकी कोई तुलना न हो, सुजलां = जल देने वाली , सुफलां = फल देने वाली. वंदे मातरम् ।