नवरात्र का चौथा दिन माता कूष्मांडा की पूजा विधि, व्रत, आरती एवं मंत्र

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नवरात्रि के दौरान चौथे दिन दुर्गा के कुष्मांडा स्वरूप की उपासना होती हैं। दुर्गा के इस स्वरूप के अंदर त्रिवीधताप युक्त संसार इन के उदर में विराजमान हैं, यही कारण हैं कि यह देवी ‘कूष्मांडा” कहलाती हैं। इन्ही देवी ने सृष्टि (ब्रह्माण्ड) की रचना की थी।

नवरात्रि ( 4th Day of Navratri ): इस दिन देवी के स्वरूप कूष्मांडा की उपासना चैत्र नवरात्रि में 21 मार्च 2018 को की जायेगी व शारदीय नवरात्रि में देवी जी की पूजा 12 अक्टूबर 2018 को की जायेगी।

माता कूष्मांडा का स्वरूप

माता कूष्मांडा की आठ भुजाएं हैं जिस कारण इन्हे अष्टभुजा देवी के नाम से भी जाना जाता हैं। इनके हांथो में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र एवं गथा हैं। देवी के आठवे हांथ में सभी सिद्दियों और निधियों के देने वाली जपमाला हैं। देवी का वाहन सिंह हैं।

देवी की आराधना का महत्व

इन देवी की उपासना से भक्तगणों के सभी दुःख-दर्द दूर हो जाते हैं। देवी कूष्मांडा से आपके व्यापार, व्यवसाय आदि में उन्नति  होती हैं एवं आपकी आय के नये द्वार खुलते हैं।

देवी कूष्मांडा का उपासना मंत्र

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

देवी की पूजा में उपयोग में आने वाली वस्तुएं

चदुर्थी के दिन माता कूष्मांडा को मालपुए का नैवेद्य अर्पित किया जाए इसके उपरांत इसे किसी योग्य ब्राह्मण को दे दिया जाये। इस अपूर्व दान से सभी प्रकार के विघ्न दूर होते हैं।

देवी कूष्मांडा की आरती

कुष्मांडा जय जग सुखदानी
मुझ पर दया करो महारानी
पिंगला ज्वालामुखी निराली
शाकम्बरी माँ भोली भाली
लाखो नाम निराले तेरे
भगत कई मतवाले तेरे
भीमा पर्वत पर है डेरा
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा
संब की सुनती हो जगदम्बे
सुख पौचाती हो माँ अम्बे
तेरे दर्शन का मै प्यासा
पूर्ण कर दो मेरी आशा
माँ के मन मै ममता भारी
क्यों ना सुनेगी अर्ज हमारी
तेरे दर पर किया है डेरा
दूर करो माँ संकट मेरा
मेरे कारज पुरे कर दो
मेरे तुम भंडारे भर दो
तेरा दास तुझे ही ध्याये
‘भक्त’ तेरे दर शीश झुकाए

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