जा कुंभ मेला इलाहाबाद में पड़ने वाले शाही स्नानों के बारे में व कुंभ का इतिहास

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Kumbh Mela History in hindi

kumbh mela Allahabad in Hindi – हिन्दु धर्म में कुंभ मेले (Kumbh Mela ) का अपना अलग ही महत्व है। वर्षों से कुंभ मेले में स्नान (Kumbh mela Snan  )का चलन चला आ रहा है। इसे मेला के तौर पर नहीं, बल्कि एक पर्व के रूप में देखा जाता है। सनातन धर्म के अनुसार मनुष्य की मृत्यु के बाद उसका पुनर्जन्म होता है। ऐसी मान्यता है कि कुंभ के दौरान गंगा नदी (Ganga River) में स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, कुंभ का अर्थ कलश होता है।

कुंभ मेले के लिए स्थान चयन –

कुंभ मेले का आयोजन किसी भी जगह नहीं हो सकता है. शास्त्रों के मुताबिक इसके लिए चार स्थान तय किये गये है। यह चार स्थान है- नासिक में गोदावरी के तट पर, उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर, हरिद्वार में गंगा नदी के तट पर एवं प्रयाग संगम(गंगा, यमुना व सरस्वती नदी का संगम) के तट पर. कुंभ मेला हर 12 साल में आता है. दो बड़े कुंभ मेलों के बीच एक अर्धकुंभ मेला भी लगता है. इन मेलों के आयोजन की तिथि व समय धार्मिक और ज्योतिष शास्त्र के आधार पर होता है. इलाहाबाद संगम ( kumbh mela Sangam Allahabad ) पर प्रत्येक वर्ष माघ के महीने में ‘माघ मेला’ लगता है. यही मेला छः वर्ष में “अर्ध कुंभ’ और बारह वर्ष में ‘कुंभ मेला ’ का रूप ले लेता है.

कुंभ मेले का इतिहास – Kumbh Mela History in hindi

कुंभ मेला के इतिहास (Kumbh Mela History in hindi ) की बात की जाये तो कुम्भ मेले का आयोजन प्राचीन काल से हो रहा है, लेकिन मेले का प्रथम लिखित प्रमाण महान बौद्ध तीर्थयात्री ह्वेनसांग के लेख से मिलता है जिसमें आठवीं शताब्दी में सम्राट हर्षवर्धन के शासन में होने वाले कुम्भ का प्रसंगवश वर्णन किया गया है।

कुंभ मेले के आयोजन का प्रावधान कब से है इस बारे में विद्धानो में अनेक भ्रांतियां है। माना जाता है कि आदि शंकराचार्य ने इसकी शुरुआत की थी, लेकिन कुछ कथाओं के अनुसार कुंभ की शुरुआत समुद्र मंथन के आदिकाल से ही हो गई थी।

मंथन में निकले अमृत का कलश हरिद्वार, इलाहबाद, उज्जैन और नासिक के स्थानों पर ही गिरा था, इसीलिए इन चार स्थानों पर ही कुंभ मेला हर तीन बरस बाद लगता आया है। 12 साल बाद यह मेला अपने पहले स्थान पर वापस पहुंचता है। जबकि कुछ दस्तावेज बताते हैं कि कुंभ मेला 525 बीसी में शुरू हुआ था।

कुंभ मेला की पौराणिक कथा- Kumbh Mela Katha/Story in hindi

अगर कुंभ मेला से जुड़ी पारंपरिक कथा ( Kumbh Mela Katha in hindi) के बारे में बात करें तो पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार इन्द्र देवता ने महर्षि दुर्वासा को रास्ते में मिलने पर जब उन्हे प्रणाम किया तो दुर्वासाजी ने प्रसन्न होकर उन्हें अपनी माला दी, लेकिन इन्द्र ने उस माला का आदर न कर अपने ऐरावत हाथी के मस्तक पर डाल दिया। जिसने माला को सूंड से घसीटकर पैरों से कुचल डाला। इस पर दुर्वासाजी ने क्रोधित होकर इन्द्र को श्रीविहीन होने का शाप दिया। इस घटना के बाद इन्द्र घबराए हुए ब्रह्माजी के पास गए। ब्रह्माजी ने इन्द्र को लेकर भगवान विष्णु के पास गए और उनसे इन्द्र की रक्षा करने की प्रार्थना की। भगवान ने कहा कि इस समय असुरों का आतंक है। इसलिए तुम उनसे संधि कर लो और देवता और असुर दोनों मिलकर समुद्र मंथन कर अमृत निकालों। जब अमृत निकलेगा तो हम तुम लोगों को अमृत बांट देंगे और असुरों को केवल श्रम ही हाथ मिलेगा।

पृथ्वी के उत्तर भाग मे हिमालय के समीप देवता और दानवों ने समुद्र का मन्थन किया। इसके लिए मंदराचल पर्वत को मथानी और नागराज वासुकि को रस्सी बनाया गया। जिसके फलस्वरूप क्षीरसागर से पारिजात, ऐरावत हाथी, उश्चैश्रवा घोड़ा रम्भा कल्पबृक्ष शंख, गदा धनुष कौस्तुभमणि, चन्द्र मद कामधेनु और अमृत कलश लिए धन्वन्तरि निकलें। इस कलश के लिए असुरों और दैत्यों में संघर्ष शुरू हो गया। अमृत कलश को दैत्यों से बचाने के लिए देवराज इन्द्र के पुत्र जयंत बृहस्पति, चन्द्रमा, सूर्य और शनि की सहायता से उसे लेकर भागे। यह देखकर दैत्यों ने उनका पीछा किया। यह पीछा बारह दिनों तक होता रहा। देवता उस कलश को छिपाने के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान को भागते रहे और असुर उनका पीछा करते रहे।

इस भागदौड़ में देवताओं को पूरी पृथ्वी की परिक्रमा करनी पड़ी। इन बारह दिनों की भागदौड़ में देवताओं ने अमृत कलश को हरिद्वार, प्रयाग, नासिक तथा उज्जैन नामक स्थानों पर रखा। इन चारों स्थानों में रखे गए कलश से अमृत की कुछ बूंदे छलक पड़ी। अंत में कलह को शांत करने के लिए समझौता हुआ। भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर दैत्यों को भरमाए रखा और अमृत को इस प्रकार बांटा कि दैत्यों की बारी आने तक कलश रिक्त हो गया। देवताओं का एक दिन मनुष्य के एक वर्ष के बराबर माना गया है। इसलिए हर 12 वें वर्ष कुंभ की परंपरा है।

आगामी कुंभ मेले का समय और स्थान ( Next kumbh mela )

Next kumbh mela 2019 में इलाहाबाद में अर्द्ध कुंभ मेले का आयोजन होने वाला है जिसकी तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. इसकी तिथि 14 जनवरी से 4 मार्च तक की हैं. इसके पश्चात 3 वर्ष बाद मतलब 2022 में हरिद्वार में कुंभ मेला लगेगा. इसके बाद 2025 में पुनः इलाहाबाद में महाकुंभ मेला का आयोजन होगा और फिर इसके बाद वर्ष 2027 में नासिक में भी कुंभ मेला का आयोजन किया जायेगा.

वर्ष 2019 के कुंभ मेले की शाही स्नान की तिथियां । Allahabad maha kumbh mela 2019 dates shahi snan

 दरअसल kumbh mela Allahabad में इस साल 2019 में आने वाला कुंभ मेला, अर्धकुंभ ही है. लेकिन इस अर्धकुंभ मेले की तैयारियां बहुत ही जोरों शोरों से चल रही हैं जिसे देखकर ऐसा लगता हैं कि यह एक पूर्ण कुंभ ही है.

इस बार होने वाले कुंभ में आपको बहुत सी चीजें अलग देखने को मिल सकती हैं. क्योंकि सरकार द्वारा युवाओं के लिए सेल्फी प्वाइंट से लेकर वाटर एम्बुलेंस तक तैयारी की गयी हैं. इसके अलावा और भी कई सास्कृतिक कार्यक्रम होंगे. यहां करीब 10 एकड़ जमीन पर “ संस्कृत ग्राम “ बसाया जाएगा, जहां कुंभ के महत्व और इतिहास के बारे में बताया जाएगा।

Allahabad Maha kumbh mela 2019 dates Sahi Snan

यहां हमने Allahabad maha kumbh mela 2019 dates Shahi snan के बारे में बताया है, कि किस दिन इलाहाबाद कुंभ मेले में शाही स्नान पड़ेगे.

दिनांक स्नान तिथि
15.01.2019 मकर संक्रांति (पहला शाही स्नान)
21.01.2019 पौष पूर्णिमा
31.01.2019 पौष एकादशी स्नान
04.02.2019 मौनी अमावस्या (मुख्य शाही स्नान, दूसरा शाही स्नान)
10.02.2019 बसंत पंचमी (तीसरा शाही स्नान)
16.02.2019 माघी एकादशी
19.02.2019 माघी पूर्णिमा
04.03.2019 महा शिवरात्रि

कुंभ मेले का दर्शन कैसे करें – kumbh mela 2019 in hindi

यदि इस बार आप भी प्रयागराज में आयोजित होने वाले कुंभ मेले ( kumbh mela 2019 in hindi ) में जाना चाहते हैं और स्नान का पुण्य उठाना चाहते हैं तो आपको यहां तक ट्रेनों और बसों से आसानी से पहुंच सकते हैं चूंकि प्रयागराज (इलाहाबाद ) एक बहुत ही प्रसिद्ध नगरी हैं तो यहां के लिए यातायात व्यवस्था अच्छी हैं. इस मेले में स्वदेशी श्रद्धालुओं के साथ विदेशी नागरिक भी आते हैं. इन सब के लिए सरकार द्वारा ठहरने आदि की विशेष व्यवस्था की जाती हैं.

आप यहां से कुंभ मेला मोबाइल एप्प को डाउनलोड करके इन्स्टाल कर सकते हैं

प्रयागराज कुंम्भ मेला एप्प 2019 एंड्रायड यूजर (Prayagraj Kumbh Mela Android user app)

प्रयागराज कुंम्भ मेला एप्प 2019 आईफोन यूजर (Prayagraj Kumbh Mela Iphone user app)

कुंभ मेला 2019 Online Booking एवं Social Media Pages

कुंभ मेला के लिए कोई भी आम नागरिक Online Booking मोबाइल एप्प व आधिकारिक वेबसाइट से कर सकते हैं.

आधिकारिक साइट (kumbh mela Official website)www.kumbh.gov.in/en
कुंभ मेला फेसबुक पेजwww.facebook.com/prayagrajkumbh
कुंभ मेला ट्विटर पेजwww.twitter.com/PrayagrajKumbh
कुंभ मेला इस्टाग्राम पेजwww.instagram.com/kumbh.2019
कुंभ मेला यूटूब पेजwww.youtube.com/kumbh2019
मेला आईडी (Email ID)Web.kumbh-up@gov.in

दोस्तो मुझे उम्मीद है कि आपको Kumbh Mela History in hindi व Allahabad maha kumbh mela 2019 dates SHahi snan के बारे में दी गयी जानकारी पसंद आयी होगी. आप इस जानकारी को अपने दोस्तों के साथ भी शेयर कर सकते हैं.

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