श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कब है और क्यों मनायी जाती है? जानें व्रत व पूजा विधि

2
517
Krishna Janmashtami Kab Hai

सभी जानना चाहते हैं कि वर्ष 2020 में जन्माष्टमी कब है जन्माष्टमी 2022 की तारीख व मुहूर्त। जैसा कि आप सभी जानते ही हैं कि जन्माष्टमी का त्यौहार भगवान श्री कृष्ण के जन्मदिन के रूप में प्रत्येक वर्ष बहुत ही हर्ष और उल्लास के साथ सम्पूर्ण भारत में मनाया जाता है। मथुरा में असुरराज कंस के कारागृह में देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को हुआ। जब उनका जन्म हुआ था तो उस समय अर्धरात्रि (आधी रात) थी, चन्द्रमा उदय हो रहा था और उस समय रोहिणी नक्षत्र भी था। यही कारण है कि इस दिन हर वर्ष कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है।

Krishna Janmashtami Kab Hai

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी कब है 2020 में

जन्माष्टमी त्यौहार वर्ष 2020 में 12 अगस्त को मनाया जा रहा है जहां तक जन्माष्टमी के शभ मुहूर्त की बात की जाये तो पूजा मुहूर्त 24:04:31 से 24:47:38 तक अवधि :0 घंटे 43 मिनट है।

जन्माष्टमी व्रत व पूजन विधि

1.  जन्माष्टमी व्रत में अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी के पारणा से व्रत की पूर्ति होती है।जो इस व्रत को करता है उसको व्रत से एक दिन पूर्व (सप्तमी को) हल्का तथा सात्विक भोजन करना चाहिे। इसके साथ ही रात्रि को स्त्री संग से दूर रहें एवं सभी इन्द्रियों और मन को शांत एवं शुद्द रखना चाहिए।
जिस दिन उपवास रखना है उस दिन प्रातः स्नानादि से निवृत होकर सभी देवताओं को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर को मुख करके बैठना चाहिए। इसके बाद  हाथ में जल, फल और फूल लेकर संकल्प करके मध्यान्ह के समय काले तिलों के जल से स्नान (छिड़ककर) कर देवकी जी के लिए प्रसूति गृह बनाएँ। अब इस सूतिका गृह में सुन्दर बिछौना बिछाकर उस पर शुभ कलश स्थापित करें।

इसके  साथ ही भगवान श्रीकृष्ण जी को स्तनपान कराती माता देवकी जी फोटो आदि की स्थापना या चस्पा करें। पूजन में देवकी, वासुदेव, बलदेव, नन्द, यशोदा और लक्ष्मी जी इन सबका नाम क्रमशः लेते हुए विधिवत पूजन करें।

सबसे बड़ी और ध्यान रखने वाली बात यह है कि यह व्रत रात्रि बारह बजे के बाद ही खोला जाता है। इस व्रत में अनाज का उपयोग नहीं किया जाता। फलहार के रूप में कुट्टू के आटे की पकौड़ी, मावे की बर्फ़ी और सिंघाड़े के आटे का हलवा बनाया जाता है।

इसे भी पढ़ेंः श्री कृष्ण जन्माष्टमी की शुभकामना सन्देश

जन्माष्टमी कथा

स्कन्द पुराण के मुताविक द्वापर युग के अंत में मथुरा में उग्रसेन राजा राज्य करते थे। उग्रसेन के पुत्र का नाम कंस था। कंस ने उग्रसेन को बलपूर्वक सिंहासन से उतारकर जेल में डाल दिया और स्वयं राजा बन गया। कंस की बहन देवकी का विवाह यादव कुल में वासुदेव के साथ निश्चित हो गया। जब कंस देवकी को विदा करने के लिए रथ के साथ जा रहा था तो आकाशवाणी हुई, हे कंस! जिस देवकी को तू बड़े प्रेम से विदा कर रहा है उसका आठवाँ पुत्र तेरा संहार करेगा। आकाशवाणी की बात सुनकर कंस क्रोध से भरकर देवकी को मारने के लिए तैयार हो गया। उसने सोचा – न देवकी होगी न उसका कोई पुत्र होगा।वासुदेव जी ने कंस को समझाया कि तुम्हें देवकी से तो कोई भय नहीं है। देवकी की आठवीं संतान से भय है। इसलिए मैँ इसकी आठवीं संतान को तुम्हे सौंप दूँगा। कंस ने वासुदेव जी की बात स्वीकार कर ली और वासुदेव-देवकी को कारागार में बंद कर दिया। तत्काल नारद जी वहाँ आ पहुँचे और कंस से बोले कि यह कैसे पता चलेगा कि आठवाँ गर्भ कौन-सा होगा। गिनती प्रथम से शुरू होगी या अंतिम गर्भ से। कंस ने नारद जी के परामर्श पर देवकी के गर्भ से उत्पन्न होने वाले समस्त बालकों को एक-एक करके निर्दयतापूर्वक मार डाला।भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में श्रीकृष्ण जी का जन्म हुआ। उनके जन्म लेते ही जेल की कोठरी में प्रकाश फैल गया। वासुदेव-देवकी के सामने शंख, चक्र, गदा एवं पदमधारी चतुर्भुज भगवान ने अपना रूप प्रकट कर कहा, अब में बालक का रूप धारण करता हूँ। तुम मुझे तत्काल गोकुल में नन्द के यहाँ पहुँचा दो और उनकी अभी-अभी जन्मी कन्या को लेकर कंस को सौंप दो। वासुदेव जी ने वैसा ही किया और उस कन्या को लेकर कंस को सौंप दिया।कंस ने जब उस कन्या को मारना चाहा तो वह कंस के हाथ से छूटकर आकाश में उड़ गई और देवी का रूप धारण कर बोली कि मुझे मारने से क्या लाभ है? तेरा शत्रु तो गोकुल पहुँच चुका है। यह दृश्य देखकर कंस हतप्रभ और व्याकुल हो गया। कंस ने श्रीकृष्ण को मारने के लिए अनेक दैत्य भेजे। श्रीकृष्ण जी ने अपनी आलौकिक माया से सारे दैत्यों को मार डाला। बड़े होने पर कंस को मारकर उग्रसेन को राजगद्दी पर बैठाया।

इसे भी पढ़ेंः श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर शायरी

जन्माष्टमी का महत्व

हिन्दुओं के लिए यह त्यौहार बहुत ही पवित्र एवंं प्रमुख त्यौहार होता है। इस दिन देश के समस्त मंदिरों को अच्छे से सजाया जाता है,  श्री कृष्णावतार के उपलक्ष्य में झाकियाँ सजाई जाती हैं। भगवान श्रीकृष्ण का श्रृंगार करके झूला सजा के उन्हें झूला झुलाया जाता है। सभी नागरिक रात के बारह बजे तक व्रत रखते हैं।उसके बाद रात को बारह बजे शंख तथा घंटों की आवाज से श्रीकृष्ण के जन्म के समय पूजा अर्चना कर उनकी आरती उतारी जाती है और प्रसाद वितरण किया जाता है।

दोस्तो हम उम्मीद करते है कि जन्माष्टमी के पावन पर्व पर आपको भगवन कृष्ण की असीम कृपा प्रदान हो।

इसे भी पढ़ेंः श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की इमेजेज

Disclaimer: Please be aware that the content provided here is for general informational purposes. All information on the Site is provided in good faith, however we make no representation or warranty of any kind, express or implied, regarding the accuracy, adequacy, validity, reliability, availability or completeness of any information on the Site.

2 COMMENTS

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here