घरेलू हिंसा एक व्यापक सामाजिक समस्या है। भारतीय समाज में पितृसत्तात्मक व्यवस्था के कारण महिलाएं दोयम दर्जे पर ही रहती है। समाज समयानुसार जैसे-जैसे प्रगति पर उन्मुख हो रहा है वैसे-वैसे समाज में घरेलू हिंसा की प्रवृति भी बढ़ती जा रही है। आज के इस लेख मे हम घरेलू हिंसा पर एक निबंध लिखेंगे जिसमे हम घरेलू हिंसा कारणों के बारें में भी जानेगें।
महिलाओं के साथ घरेलू हिंसा
घरेलू हिंसा पर निबंध (Essay on Domestic violence in hindi)
घरेलू हिंसा का अर्थ
राज्य महिला आयोग के अनुसार “”कोई भी महिला यदि परिवार के पुरूष द्वारा की गई मारपीट अथवा अन्य प्रताड़ना से त्रस्त है तो वह घरेलू हिंसा की शिकार कहलाएंगे। घरेलू हिंसा वैसे तो परिवार में उत्पन्न किसी भी तरह के लड़ाई झगडें को कहा जा सकता है लेकिन घरेलू हिंसा का अधिकांश महिलाऐ ही शिकार होती है इसलिए हम इस लेख मे महिलाओं की ही अधिक बात करेंगे।
घरेलू हिंसा में ऐसा किसी भी तरह का व्यवहार शामिल है जिसमें महिला के स्वास्थ्य, सुरक्षा, जीवन तथा सुख से रहने की इच्छा का हनन होता हो।
घरेलू हिंसा अधिनियम 2005
घरेलू हिंसा से बचाने के लिए भारत सरकार ने घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 (domestic violence act 2005) का निर्माण भी किया है। इस अधिनियम को 26 अक्टूबर, 2006 से लागू किया गया है। घरेलू हिंसा अधिनियम 2005 को महिला आयोग एवं विकास द्वारा संचालित (चलाया जाता है) किया जाता है।
लैंगिक असमानता के व्यवहारिक रूपों को लेकर महिलाओं के विरूध्द क्रूरता महिलाओं पर अत्याचार की अनेक घटनाएं घटित होती रहती हैं। घरेलू हिंसा के कारण अधिकतर मामले फाँसी लगाने के होते है। घरेलू हिंसा का सबसे मुख्य कारण दहेज रहा है, दहेज भौतिक सुख-सुविधाएं बढ़ने के साथ-साथ दहेज लोभियों की मांग भी बढ़ती जा रही है। मौखिक रूप से या भावनात्मक रूप से भी महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार किया जाता है जैसे ” उपेक्षा कर देना, भेदभाव करना या दहेज न लाने हेतु उसे अपमानित करना, पुत्री का जन्म होने पर उसे ताने देना या अपमानित रकना। अप्रतिष्ठित अपमानजनक टिप्पणी करना, हंसी उड़ाना, निंदा करना आदि अनेक बाते शामिल है। घर परिवार में ही महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। अक्सर छोटी-छोटी बातों पर ही उन्हें मारपीट का शिकार होना पड़ता है। पुलिस थानों मे मानसिक तथा शारीरिक प्रताड़ना देने के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। गरीब अशिक्षित वर्गों में प्रताड़ना के मामले अधिक होते हैं। यद्यपि हमारे भारतीय संविधान में महिला समानता के लिए प्रावधान किए गए हैं, किन्तु विडंबना यह है कि लोकतंत्रात्मक देश मे अधिकांश महिलाए घर के अंदर ही लोकतंत्र नहीं पाती।
महिलाओं के साथ किये जाने वाले दुर्व्यवहार के स्वरूप
1. शारीरिक दुर्व्यवहार; शारीरिक दुर्व्यवहार मे महिला को मारपीट, डराना, धमकाना, स्वास्थ्य को नष्ट करने वाली चेष्टा, अंग-भंग करना शामिल हैं।
2. मौखिक या भावनात्मक दुर्व्यवहार
उपेक्षा करना, भेदभाव करना, देहज न लाने हेतु अपमानित करना, पुत्र का जन्म न होने पर अपमानित करना, अप्रतिष्ठित अपमानजनक टिप्पणी करना, हंसी उड़ान, निंदा करना, घर से बाहर जाने के लिए रोकना, विद्यालय, महाविद्यालय या नहीं कोई शिक्षण-प्रशिक्षण कार्यस्थल पर जाने से रोकना, अपनी इच्छा के विरुद्ध विवाह करने पर बल देना। इस तरह के सभी व्यवहार भावनात्मक दुर्व्यवहार मे सम्मिलित किए जा सकते हैं।
3. अर्थिक दुर्व्यवहार
भरण-पोषण कि पूर्ति न करना, स्त्री व उसकी संतानों को भोजन, दवाइयां उपलब्ध न करवाना, नौकरी करने मे बाधा डालना, प्राप्त आय बलपूर्वक ले लेना, घर-गृहस्थी के उपयोग कि वस्तुओं के उपयोग पर प्रतिबंध लगाना आदि इस तरह के व्यवहार आर्थिक दुर्व्यवहार मे शामिल किए जा सकते जा सकते है।
घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम 2005 के अनुसार यह स्पष्ट जानना आवश्यक है कि पीड़ित कौन है एवं कानून की सहायता से पीड़ित संरक्षण कैसे प्राप्त कर सकता है, इन पहलुओं पर यहाँ क्रमशः चर्चा करेंगे—
पीड़ित कौन हैं?
घरेलू हिंसा से संरक्षण अधिनियम 2005 का उद्देश्य महिलाओं को घरेलू नातेदारी से उपजे दुर्व्यवहार से सम्बंधित करना है। घरेलू नातेदारी का अभिप्राय किन्हीं दो या दो से अधिक व्यक्तियों के बीच के उन संबंधों से है जिसमे वे या तो साझी गृहस्थी मे एक साथ रहते है या पहले कभी रह चुके है। इसमें निम्न संबंध शामिल हो सकते है—
1. रक्त जनित संबंध जैसे– माँ-बेटा, पिता-पुत्री, भाई-बहन इत्यादि।
2. विवाह जनित संबंध जैसे– पति-पत्नी, सास-बहु, ससुर-बहु, देवर-भाभी, ननद, परिवार मे विधवा महिला से संबंध।
3. दत्तक ग्रहण अथवा गोद लेने से उपजे संबंध जैसे– गोद ली हुई बेटी और पिता।
4. विवाह जैसे रिश्ते जैसे– लिव इन संबंध कानूनी तौर पर अमान्य तौर पर अमान्य विवाह उदाहरण के लिए पति ने दूसरी बार शादी की है अथवा पति और पत्नी समरक्त संबंधी है अतः विवाह अवैध है।
यहाँ यह उल्लेखनीय है कि घरेलू हिंसा नातेदार के दायरे मे आने के लिए जरूरी नही कि दो व्यक्ति वर्तमान मे किसी साझा घर मे रह हो। उदाहरण के लिए यदि पति ने अपनी पत्नी को अपने घर से निकला दिया तो वह भी घरेलू नातेदारी के दायरे मे आएया।
घरेलू हिंसा के प्रमुख कारण
1. महिलाओं का असक्षित होना।
2. पति का शराबी होना।
3. पुरूष की आराम की लत होना।
4. महिला के चरित्र पर संदेह होना।
5. महिला का सरल स्वाभाव का होना
6. महिलाओं की पुरूषों पर आर्थिक निर्भरता का होना।
7. महिला को स्वावलंबी बनने से रोकना।
8. समाज मे दहेज प्रथा का होना।
उक्त बातों के आधार पर यह स्पष्ट हो जाता है की मारपीट करना, थप्पड़ मारना, ठोकर मारना, धकेलना, गन्दी तस्वीरे देखने के लिए विवश करना, अपमानित करना, गालियाँ देना, पुत्री होने पर महिला को अपमानित करना, नौकरी छोड़ने के लिए विवश करना तथा आत्महत्या करने की धमकी देना, साधारण घरेलू उपयोग के कपड़ो, वस्तुओं अथवा चीजों के इस्तेमाल की अनुमति न देना ही घरेलू हिंसा है।
इस आर्टिकल को कैलाश मीणा द्वारा लिखा गया हैं आप इनकी वेबसाइट पर अपराध का अर्थ और कारण https://www.kailasheducation. com/2019/10/apradh-arth- paribhasha-karan.html जानने के लिए विजिट कर सकते हैं।
Very nice informations.