दिवाली कब है, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा विधि, दिवाली कथा

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Diwali Kab Hai

आपको दिवाली कब है (Diwali Kab Hai), दिवाली 2023 की तिथि (Diwali 2023 Date), दिवाली का शुभ मुहूर्त (Diwali Shubh Mahurat), दिवाली का महत्व (Diwali Importance), दिवाली की पूजा विधि (Diwali Pujan Vidhi) और दिवाली व्रत कथा (Diwali vrat katha) के बारे में नहीं जाता तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे…

Diwali Kab Hai

दिवाली (Diwali) हिंदुओं के मुख्य त्यौहारों में से एक है। वैसे तो दीपावली के बारे में किसी को भी कुछ भी बताने की जरूरत नहीं है लेकिन फिर भी आज की युवा पीढ़ी को इसके बारे में अवश्य जानना चाहिए कि आखिर दीवाली क्यों मनायी जाती है? तो आपको संक्षिप्त में बता दूं कि अमावस्या को भगवान श्रीराम रावण का वध करके अयोध्या वापल लौटे थे जिनके आगमन की खुशी में समस्त नगर वासियों द्वारा घी के दिये जलाये गये थे। तब से लगातार दीपावली का त्यौहार मनाई जा रही है। इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा (Diwali Puja) की जाती है।

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दिवाली कब है। दिवाली 2023 तिथि( Diwali 2023 Kab Hai)

दिवाली का त्यौहार 2023 में 12 नवम्बर दिन रविवार (Sunday, 12 November 2023) को सम्पूर्ण भारत में मनाया जायेगा।

दिवाली 2023 शुभ मुहूर्त/ दिवाली पूजन मुहूर्त  (Diwali 2023 Subh Mahurat / Diwali Pujan Muhurat 2023)

इस साल लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त निम्न प्रकार रहेगा।

  • दिवाली 12 नवंबर, 2023, रविवार।
  • अमावस्या तिथि प्रारम्भ: 12 नवंबर 2023 को दोपहर 02:44 बजे से प्रारम्भ
  • अमावस्या तिथि समाप्त: 13 नवंबर 2023 को दोपहर 02:56 पर समाप्त।
  • दिवाली लक्ष्मी पूजा मुहूर्त: शाम 6:12 मिनट से रात्रि 8:12 मिनट तक

दिवाली पूजा विधि (Diwali Puja Vidhi)

स्कंद कार्तिक अमावस्या के दिन प्रात: काल स्नान आदि करके सभी देवताओं की पूजा निम्न विधि (Diwali Puja Vidhi) से करनी चाहिए। इस दिन हो सके तो उपवास रखना चाहिए। 

शाम के समय घर में लक्ष्मी और गणेश जी की नई मूर्तियों को एक चौकी पर स्वस्तिक बनाकर तथा चावल रखकर स्थापित करना चाहिए।

मूर्तियों के सामने एक जल से भरा हुआ कलश रखना चाहिए। इसके बाद मूर्तियों के सामने बैठकर हाथ में जल लेकर शुद्धि मंत्र का उच्चारण करते हुए उसे मूर्ति पर, परिवार के सदस्यों पर और घर में छिड़ककर शुद्धिकरण करना चाहिए। 

निम्न सामग्रियों गुड़, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, पंचामृत, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला आदि का प्रयोग करते हुए पूरे विधि- विधान से लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए।

इनके साथ- साथ देवी सरस्वती, भगवान विष्णु, काली मां और कुबेर देव की भी विधिवत पूजा करनी चाहिए। पूजा करते समय 11 छोटे दीप तथा एक बड़ा दीप जलाना चाहिए। 

छोटे दीपकों को घर की खिड़कियों,चौखट, व छतों पर जलाकर रखना चाहिए तथा बड़े दीपक को रात पर जलता हुआ घर के पूजा स्थान पर रख देना चाहिए। 

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पूजा में उपयोग होने वाली आवश्यक साम्रगी (Important Things for Diwali Puja)

दीपावली पूजा के लिए इलायची, धूप, कपूर, रोली, चावल, पान- सुपारी, लौंग, घी या तेल से भरे हुए दीपक, कलावा, नारियल, गंगाजल, गुड़, फल, फूल, मिठाई, दूर्वा, चंदन, घी, पंचामृत, मेवे, खील, बताशे, चौकी, कलश, फूलों की माला, शंख, लक्ष्मी व गणेश जी की मूर्ति, थाली, चांदी का सिक्का, 11 दिए आदि वस्तुएं पूजा के लिए एकत्र कर लेना चाहिए। 

लक्ष्मी मंत्र (Laxmi Mantra in Hindi)

लक्ष्मी जी की पूजा के समय निम्न मंत्र का लगातार उच्चारण करते रहना चाहिए: 
ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: ॥ 

दीवाली की व्रत कथा –Diwali vrat katha in Hindi

एक गांव में एक साहूकार था, उसकी बेटी प्रतिदिन पीपल पर जल चढ़ाने जाती थी। जिस पीपल के पेड़ पर वह जल चढ़ाती थी, उस पेड़ पर लक्ष्मी जी का वास था। एक दिन लक्ष्मी जी ने साहूकार की बेटी से कहा ‘मैं तुम्हारी मित्र बनना चाहती हूँ’। लड़की ने कहा की ‘मैं अपने पिता से पूछ कर आउंगी’। यह बात उसने अपने पिता को बताई, तो पिता ने ‘हां’ कर दी। दूसरे दिन से साहूकार की बेटी ने सहेली बनना स्वीकार कर लिया।

दोनों अच्छे मित्रों की तरह आपस में बातचीत करने लगी। एक दिन लक्ष्मीजी साहूकार की बेटी को अपने घर ले गई। अपने घर में लक्ष्मी जी उसका दिल खोल कर स्वागत किया। उसकी खूब खातिर की। उसे अनेक प्रकार के भोजन परोसे। मेहमान नवाजी के बाद जब साहूकार की बेटी लौटने लगी तो, लक्ष्मी जी ने प्रश्न किया कि अब तुम मुझे कब अपने घर बुलाओगी। साहूकार की बेटी ने लक्ष्मी जी को अपने घर बुला तो लिया, परन्तु अपने घर की आर्थिक स्थिति देख कर वह उदास हो गई। उसे डर लग रहा था कि क्या वह, लक्ष्मी जी का अच्छे से स्वागत कर पायेगी?

साहूकार ने अपनी बेटी को उदास देखा तो वह समझ गया, उसने अपनी बेटी को समझाया, कि तू फौरन मिट्टी से चौका लगा कर साफ-सफाई कर। चार बत्ती के मुख वाला दिया जला और लक्ष्मी जी का नाम लेकर बैठ जा। उसी समय एक चील किसी रानी का नौलखा हार लेकर उसके पास डाल गया। साहूकार की बेटी ने उस हार को बेचकर भोजन की तैयारी की। थोड़ी देर में श्री गणेश के साथ लक्ष्मी जी उसके घर आ गई। साहूकार की बेटी ने दोनों की खूब सेवा की, उसकी खातिर से लक्ष्मी जी बहुत प्रसन्न हुई। और साहूकार बहुत अमीर बन गया। हे लक्ष्मी माता आपने जैसी कृपा उस साधू पर करी वैसी ही कृपा हम सब पर करे।

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