भारत के राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है? भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां सबसे बड़ा पद राष्ट्रपति का होता है। राष्ट्रपति जल सेना, थल सेना और वायु सेना का अध्यक्ष भी होता है। जैसा कि आपको मालूम है प्रधानमंत्री का चुनाव जनता के द्वारा होता है। किसी भी बहुमत दल अपने किसी एक सांसद को नेता चुनता है जो प्रधानमंत्री बनता है।
लेकिन राष्ट्रपति का चुनाव डायरेक्ट जनता के द्वारा नहीं होता है आइए जाने कि भारत में राष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है। पूरी चुनाव प्रक्रिया के बारे में यहां हम बताने जा रहे हैं। बता दें कि भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद के। और इस समय (2022) भारत से राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द हैं।
भारत का सबसे बड़ा संवैधानिक पद कौन सा है?
भारत का सबसे बड़ा संवैधानिक पद राष्ट्रपति का होता है। विश्व का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश भारत है। हर 5 साल में राष्ट्रपति का चुनाव होता है यानी कि राष्ट्रपति का पद 5 वर्षों के लिए होता है। आइए जानें राष्ट्रपति चुनाव कैसे होता है –
राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया
भारत देश में राष्ट्रपति के चुनाव का तरीका अलग है। पूरी दुनिया में राष्ट्रपति पद के चुनाव के अच्छे तरीके को यहां पर शामिल किया गया है। राष्ट्रपति चुनाव में सभी राजनीतिक दल से विजयी उम्मीदवार को इसमें शामिल किया गया है। इससे देश की जनता का भी अप्रत्यक्ष रूप से राष्ट्रपति चुनने की भागीदारी तय होती है।
राष्ट्रपति का चुनाव कौन करता है?
लोकसभा और विधानसभा के चुनाव में चुनाव आयोग चुनाव करवाता है। जनता अपने मनपसंद के नेता को वोट करते हैं, जो बहुमत हासिल करता है, वह उस क्षेत्र का लोकसभा सदस्य, विधान सभा सदस्य कहलाता है। लेकिन भारत के राष्ट्रपति का चुनाव एक इलेक्ट्रोल कॉलेज करता है। राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने वाले सदस्यों का मत अनुपातिक भी होता है। अपना वोट देने वाला मतपत्र में सभी उम्मीदवारों में से पहली, दूसरी तीसरी चौथी इत्यादि पसंद के उम्मीदवारों को चिन्हित करता है।
पहली पसंद के उम्मीदवारों की गिनती होती उसके बाद दूसरी पसंद के उम्मीदवारों की भी गिनती होती है, आइए जाने किस तरीके से राष्ट्रपति का चुनाव होता है, पूरी प्रक्रिया निम्नलिखित तरीके से।
अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव
राष्ट्रपति का चुनाव निर्वाचक मंडल यानी इलेक्ट्रोल कॉलेज से करता है। इसका मतलब की राष्ट्रपति का चुनाव जनता सीधे नहीं चुनती है। बल्कि जनता द्वारा चुने गए सांसद विधानसभा सदस्य के सदस्य के द्वारा राष्ट्रपति का चुनाव होता है।
राष्ट्रपति के चुनाव में कौन वोट करता है?
राष्ट्रपति के चुनाव में भारत के सभी प्रदेशों की विधानसभाओं के चुने सदस्य और लोकसभा के सांसद वोट डालते हैं। जबकि राष्ट्रपति द्वारा संसद में नामित सदस्य और राज्यों की विधान परिषदों के सदस्य को राष्ट्रपति चुनाव में वोटिंग करने का अधिकार नहीं होता है क्योंकि यह जनता के द्वारा चुने गए सदस्य नहीं होते हैं बल्कि यह नामित सदस्य होते है।
राष्ट्रपति के चुनाव की वोटिंग प्रक्रिया
राष्ट्रपति के चुनाव में सिंगल ट्रांसफरेबल वोट सिस्टम का इस्तेमाल होता है। इसका अर्थ यह हुआ कि उसके बैलट पेपर पर राष्ट्रपति चुनाव के लिए खड़े सभी उम्मीदवारों का नाम होता है। अपने मनपसंद उम्मीदवार को पहला, दूसरा, तीसरा वरीयता क्रम में मतदाता चुनता है।
वोट की गिनती पहली पसंद वाले उम्मीदवार से वोट से विजेता का फैसला नहीं हो सकने पर दूसरी पसंद वाले वोट को नए सिंगल वोट की तरह ट्रांसफर करके किया जाता है।
प्रेसिडेंट के चुनाव में अनुपातिक व्यवस्था क्या होता है?
आपको बता दें कि वोट डालने वाले सांसद और विधायकों के वोट का वेटेज यानी कीमत अलग-अलग होती है। 2 राज्यों के विधायकों के वोट का वेटेज यानी अधिभार के अलग-अलग होता है। ऐसी व्यवस्था को अनुपातिक व्यवस्था कहते हैं।
राष्ट्रपति चुनाव में विधायकों और सांसदों का वोट वेटेज
किसी राज्य के विधायकों और सांसदों का दूसरे राज्य के विधायकों और सांसदों के वोट का वेटेज राष्ट्रपति चुनाव में अलग अलग होता है आइए इसे जाने-
vidhayak ke vote का वेटेज: विधायक का राष्ट्रपति के चुनाव में कितना vote weightage होता है, यह उस राज्य की आबादी के अनुसार तय होती है। इसके साथ ही विधानसभा के सदस्यों की संख्या को भी ध्यान रखा जाता है। किसी राज्य के विधायक के राष्ट्रपति चुनाव में मत देने का वेटेज इस तरह से निकाला जाता है-
इसी प्रदेश की जनसंख्या को चुने गए विधायकों की संख्या से भाग दिया जाता है फिर जो नंबर आता है उसमें 1000 भाग दिया जाता है। अब जो आंकड़ा मिलता है, वह उस राज्य के विधायक का वेटेज हो जाता है। अगर शेष पांच सौ से ज्यादा हो तो वेटेज में एक और जोड़ दिया जाता है।
सांसद के वोट का वेटेज कैसे निकाला जाता है?
राष्ट्रपति के चुनाव में मतदाता के रूप में सांसद के वोट का वेटेज कैसे निकाला जाता है इसका गणित इस तरह से है-
- सबसे पहले सभी रा्ज्यों की विधानसभाओं के चुन गए सदस्य के वोटों का वेटेज जोड़ा जाता है।
- अब इस सामूहिक वेटेज का राज्यसभा और लोकसभा के चुने गए सदस्य की कुल संख्या से भाग दिया जाता है।
- इस तरह जो आंकड़ा प्राप्त होता है वह एक सांसद के एक वोट का वेटेज होता है। यदि इस तरह भाग देने पर शेष 0.5 से ज्यादा बचता हो तो वेटेज में एक जोड़ दिया जाता है।
प्रेसिडेंट इलेक्शन कि कैसे होती है गिनती
आपको बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में सबसे ज्यादा वोट पाने से कोई विजेता नहीं हो जाता है, बल्कि भारत के इस संवैधानिक के लिए विजयी होने के खातिर वोटरों यानी सांसदों और विधायकों के वोटों के कुल वेटेज का आधे से अधिक वेटेज प्राप्त करना होता है, तभी वह इस पद के लिए विजेता बन सकता है।
इसका मतलब कि इस चुनाव में पहले से ही वेटेज तय हो जाता है।
वर्तमान में राष्ट्रपति चुनाव में जीतने वाले को कितने वोट या वेटेज पाना है इसका इलेक्टोरल कॉलेज है। उसके सदस्यों के कुल वोटों का वेटेज 10,98,882 है। राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार को जीतने के लिए इसमें से कुल 5,49,442 वोट प्राप्त कर लेता है तो वह राष्ट्रपति पद का विजेता होता है।
राष्ट्रपति के चुनाव में पहली पसंद का मतलब
बैलेट पेपर पर सांसद विधायक वोट देते वक्त अपने मतपत्र पर वरीयता अनुसार अपनी पसंद के उम्मीदवार बता देते हैं कि पहला, दूसरा, तीसरा कौन है।
जब वोटिंग होती है तो सबसे पहले मतपत्रों पर दर्ज पहली वरीयता के वोट गिने जाते हैं। यदिपहेली गिनती में ही कोई उम्मीदवार जीत जाता है और जितना वेटेज तय किया गया है उतना प्राप्त कर लेता है तो वह उम्मीदवार राष्ट्रपति के लिए चुना जाता है।
सर्वप्रथम उस उम्मीदवार को बाहर किया जाता है जो पहली गिनती में सबसे कम वोट हासिल किए हैं। इसके बाद देखा जाता है कि दूसरी पसंद के कितने वोट किस उम्मीदवार को मिले हैं।
दूसरी वरीयता के वोट ट्रांसफर करने के बाद अब या देखा जाता है किस उम्मीदवार को सबसे कम वोट मिले हैं। इसके लिए अगर दो उम्मीदवार को सबसे कम वोट मिले हैं तो उसे बाहर किया जाता है जिसकी पहली प्राथमिकता वाले वोट कम हो।
आपको बता दें कि अगर अंत तक किसी को तय वेटेज के अनुसार वोट नहीं मिलता है तो उम्मीदवार बाहर होते रहते हैं।अंत में जिसे सबसे अधिक वोट मिलता है वहीं राष्ट्रपति पद के लिए विजई घोषित होता है।