रामभक्त हनुमान जी को उनके अनन्य भक्त बहुत ही श्रद्धा से पूजते है एवं मंगलवार, शनिवार और हनुमान जयंती के दिन उनकी पूजा भक्तों द्वारा बहुत ही विधि-विधान से की जाती है। दोस्तो यहां आज हम बात करने जा रहे हैं बजरंग बाण के महत्व के बारे में तो आपको बता दें कि पुराणों के अनुसार जब कभी आप बहुत ही ज्यादा परेशानियों में फसे हों आपको उनसे निकलने का कोई रास्ता नज़र नहीं आ रहा हो, आप अंदर से बिल्कुल टूट गये हों और मन में भय व्याप्त हो तब तो उस समय आपको मंगलवार या शनिवार के दिन संकटमोचन हनुमान जी को याद करके बजरंग बाण का पाठ विधि-विधान से करना चाहिए।
इस बात का बिशेष ध्यान रहे कि बजरंग बाण का पाठ करते समय आप अपने मन, वचन और कर्म को शुद्ध रखें। बजरंग बाण का शुद्ध उच्चारण करें और ब्रम्हचर्य का पालन करें। बजरंग बाण को एक बार में ही पूरा करें किसी प्रकार का बीच में व्यवधान उत्पन्न न हो।
इस बात का भी ध्यान रखें की कहीं एकांत जगह या एकांत में स्थित हनुमान जी के मंदिर में पाठ करेंगे तो बहुत अच्छा होगा। हनुमान की पूजा में दीपदान का विशेष महत्व होता है। आप पूजा करने से पहले एक-एक मुट्ठी अनाज (गेहूं, चावल, मूंग, उड़द और काले तिल) को शुद्ध गंगाजल में भगों दे और अनुष्ठान(पूजा) वाले दिन इन अनाजों को पीसकर उनका दीया जलाएं।
जब आप किसी भी विशेष कार्य के लिए बजरंग बाण का पाठ करें और वह सफल हो जाता है तो इस बात का प्रण लें कि आप हनुमानजी की सेवा के लिए नियमित अपनी श्रद्धानुसार कुछ न कुछ अवश्य ही करेंगे।
सम्पूर्ण बजरंग बाण (Bajrang Baan in Hindi)
बजरंग बाण ध्यान
श्रीराम
अतुलित बलधामं हेमशैलाभदेहं।
दनुज वन कृशानुं, ज्ञानिनामग्रगण्यम्।।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं।
रघुपति प्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
दोहा
निश्चय प्रेम प्रतीति ते, विनय करैं सनमान।
तेहि के कारज सकल शुभ, सिद्ध करैं हनुमान।।
चौपाई
जय हनुमन्त सन्त हितकारी। सुनि लीजै प्रभु अरज हमारी।।
जन के काज विलम्ब न कीजै। आतुर दौरि महा सुख दीजै।।
जैसे कूदि सिन्धु वहि पारा। सुरसा बदन पैठि विस्तारा।।
आगे जाय लंकिनी रोका। मारेहु लात गई सुर लोका।।
जाय विभीषण को सुख दीन्हा। सीता निरखि परम पद लीन्हा।।
बाग उजारि सिन्धु मंह बोरा। अति आतुर यम कातर तोरा।।
अक्षय कुमार को मारि संहारा। लूम लपेटि लंक को जारा।।
लाह समान लंक जरि गई। जै जै धुनि सुर पुर में भई।।
अब विलंब केहि कारण स्वामी। कृपा करहु प्रभु अन्तर्यामी।।
जय जय लक्ष्मण प्राण के दाता। आतुर होई दुख करहु निपाता।।
एहि प्रकार विनती कपि केरी। जो जन करै लहै सुख ढेरी।।
याके पढ़त वीर हनुमाना। धावत बाण तुल्य बनवाना।।
मेटत आए दुःख क्षण माहिं। दै दर्शन रघुपति ढिग जाहीं।।
पाठ करै बजरंग बाण की। हनुमत रक्षा करै प्राण की।।
डीठ, मूठ, टोनादिक नासै। परकृत यंत्र मंत्र नहीं त्रासे।।
भैरवादि सुर करै मिताई। आयुस मानि करै सेवकाई।।
प्रण कर पाठ करें मन लाई। अल्प-मृत्यु ग्रह दोष नसाई।।
आवृत ग्यारह प्रतिदिन जापै। ताकी छांह काल नहिं चापै।।
दै गूगुल की धूप हमेशा। करै पाठ तन मिटै कलेषा।।
यह बजरंग बाण जेहि मारे। ताहि कहौ फिर कौन उबारे।।
शत्रु समूह मिटै सब आपै। देखत ताहि सुरासुर कांपै।।
तेज प्रताप बुद्धि अधिकाई। रहै सदा कपिराज सहाई।।
दोहा
प्रेम प्रतीतिहिं कपि भजै। सदा धरैं उर ध्यान।।
तेहि के कारज तुरत ही, सिद्ध करैं हनुमान।।
Lata Mangeshkar Bajrang Baan
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