अपरा एकादशी व्रत विधि कथा एवं महत्व..

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Apara Ekadashi Vrat Katha in Hindi

Apara Ekadashi Vrat Vidhi Katha and Importance in Hindi | पद्म पुराण के अनुसार ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को अपरा एकादशी कहा जाता है। अपरा एकादशी को अचला एकादशी के नाम से भी जाना जाता हैं। इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु के पांचवे अवतार वामन ऋषि की पूजा की जाती है। अपरा एकादशी व्रत ( Apara Ekadashi Vrat ) रखने वालों को खुशियों की प्राप्ति व पाप नष्ट होते हैं।

अपरा एकादशी व्रत ( Apara Ekadashi Vrat 2018  Dates )

अपरा एकादशी व्रत वर्ष 2018 में 11 मई पड़ रहा हैं।

अपरा एकादशी व्रत कथा ( Apara Ekadashi Vrat Katha in Hindi )

आदि काल में महीध्वज नाम एक धर्मात्मा राजा था. उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही क्रूर, अधर्मी तथा अन्यायी व्यक्ति था। वह अपने बड़े भाई से द्वेष भावना रखता था। उस पापी ने एक दिन रात्रि में अपने बड़े भाई की हत्या करके उसकी देह को एक जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया। इस अकाल मृत्यु से राजा प्रेतात्मा के रूप में उसी पीपल पर रहने लगा और अनेक उत्पात करने लगा।

एक दिन अचानक धौम्य नामक ॠषि उधर से गुजरे। उन्होंने प्रेत को देखा और तपोबल से उसके अतीत को जान लिया। अपने तपोबल से प्रेत उत्पात का कारण समझा। ॠषि ने प्रसन्न होकर उस प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया।

दयालु ॠषि ने राजा की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए स्वयं ही अपरा (अचला) एकादशी का व्रत किया और उसे अगति से छुड़ाने को उसका पुण्य प्रेत को अर्पित कर दिया। इस पुण्य के प्रभाव से राजा की प्रेत योनि से मुक्ति हो गई। वह ॠषि को धन्यवाद देता हुआ दिव्य देह धारण कर पुष्पक विमान में बैठकर स्वर्ग को चला गया।

अपरा एकादशी व्रत विधि ( Apara Ekadashi Vrat Vidhi in Hindi )

अपरा एकादशी व्रत (Apara Ekadashi Vrat ) को उठाने के लिए संकल्प लेना पड़ता हैं। इस कारण इस व्रत को रखने के एक दिन पहले ही नारायण का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। इस व्रत को रखने के लिए व्रत रखने वाले व्यक्ति को दशमी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में विस्तर छोड़ कर नित्य क्रिया से निवृत होकर स्नानादि करके नये वस्त्र धारण करना चाहिए। यदि संभव हो तो पीले वस्त्रों को धारण करें

अपरा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के वामन स्वरूप की पूजा के साथ उनके मूल स्वरूप की भी पूजा की जाती है. नारायण के दोनों अवतारों को प्रणाम करें और धूप व दीप जलाएं. साथ में नेवैद्य, फल और फूल, अगरबत्ती, चावल, चंदन, दूध, हल्दी और कुमकुम से भगवान विष्णु की पूजा करें.

पूजा में तुलसी पत्ता, श्रीखंड चंदन, गंगाजल एवं मौसमी फलों का प्रसाद अर्पित करें. इसके बाद विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें व कथा पढ़ें. अपरा एकादशी व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन व फलों का दान करें. अपरा एकादशी की रात को सोए नहीं. उस दिन जागरण और कीर्तन करें. द्वादशी के दिन स्‍नान और पूजन करने के बाद ब्राह्मणों को दान दें और फिर अपना व्रत खोलें.

अपरा एकादशी व्रत का महत्त्व (Importance of Apara Ekadashi Vrat in Hindi)

धर्म शास्त्रों के अनुसार अपरा एकादशी व्रत करने से गर्भपात, ब्रह्महत्या, राक्षस योनि, झूठ, बुराई व अन्य पापों से मुक्ति मिलती है। इस पुण्य व्रत के प्रभाव, तीर्थ यात्रा, पिंड दान, सुवर्ण दान आदि से बढ़कर है। जो व्यक्ति पूरे विधि- विधान से अपरा एकादशी व्रत करता है, उसे सौभाग्य की प्राप्ति, पापों से मुक्ति तथा मृत्यु के बाद भगवान विष्णु का धाम प्राप्त होता है।

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