महिला सशक्तिकरण पर निबंध – Women empowerment essay in Hindi

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महिला सशक्तिकरण पर निबंध

Essay on Women Empowerment in Hindi is Important for Class 5,6,7,8,9,10,11 and 12th.

स्टूडेन्ट्स इस आर्टिकल में हम महिला सशक्तिकरण क्या है और इसका अर्थ, भारत में महिला सशक्तिकरण की आवश्यकता एवं महिला सशक्तिकरण के लाभ पर बात करेंगे।

महिला सशक्तिकरण‘ से आप क्या समझते हैं। दोस्तो ‘सशक्तिकरण’ का सीधा मतलब उसकी क्षमता से है, इसका तात्पर्य यह है कि कोई भी व्यक्ति या क्षेत्र जिसमें किसी चीज के बारे में योग्यता आ जाना जिससे वह अपने से जुड़ी सभी प्रकार के निर्णय स्वंय ले सकते हैं। महिला सशक्तिकरण से भी हमारा यही तात्पर्य है कि महिलाओं को जो समाज व परिवार की तरफ से कुछ बंधनों में रखा जाता हैं, महिलाएं उन बन्धनों से मुक्त होकर अपने निर्णय स्वंय लें।

महिला सशक्तिकरण निबंध (Short and Long Essay on Women Empowerment in Hindi)

महिला सशक्तिकरण पर निबंध

महिला सशक्तिकरण महिलाओ को सशक्त बनाने की प्रक्रिया है जिसमे महिलाओ को स्वयं फैसले लेने का अधिकार दिया गया है। आज भी समाज, परिवार, मे महिलाओ को नीचे स्तर पर रखा जाता है, अधिकार के लिए लड़ने पर उनका शोषण कर दिया जाता है या पुरुषो द्वारा उन्हे नीचा दिखाया जाता है।

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महिला सशक्तिकरण के अंदर महिलाओ को समाज, देश, ज़िंदगी को अपने फ़ैसलों पर जीने का अधिकार दिया जाता है जो उन्हे सशक्त बनाता है। सशक्तिकरण मे शिक्षा के जरिये महिलाओं की आगे बढ़ाने, जागरूकता बढ़ाने, साक्षरता, और प्रशिक्षण को बढ़ाया गया है। सशक्तिकरण सभी के बारे में है जो समाज में विभिन्न समस्याओं के माध्यम से महिलाओं को जीवन जीने के निर्णय लेने की अनुमति देता है। महिला सशक्तिकरण विकास और अर्थशास्त्र के क्षेत्रों मे एक महत्वपूर्ण विषय बनना है।

महिला सशक्तिकरण क्या है? 

महिला सशक्तिकरण से मतलब है महिलाओ को अपने लिए फैसले लेने के लिए सक्षम बनाने के लिए शक्तिशाली बनाना। वह अधिकार जिसके अंदर वह अपने जीवन के सभी फ़ैसलों को खुद ले सके तथा परिवार, समाज, देश मे बिना किसी तनाव, दबाव के ज़िंदगी बिता सके।
महिलाओ को उनके अधिकार के लिए सक्षम बनाना महिला सशक्तिकरण है। क्योंकि महिलाओ को स्वयं के लिए फैसले लेने का अधिकार नही था। महिला सशक्तिकरण मे महिलाओ अपनी ज़िंदगी को बिना किसी रोक टॉक के जीने का अधिकार दिया गया है।

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महिला सशक्तिकरण क्यों आवश्यक है।

भारत देश एक पुरुष प्रधान देश रहा है जिसके चलते महिला व पुरुष के आधार पर भेदभाव किया जाता है। महिलाओ के ज़िंदगी के सभी फैसले पुरुषो द्वारा लिए जाते है, जिससे उन्हे उनके अधिकारों के जानकारी नही होती। इस परेशानी से निपटने के लिए महिला सशक्तिकरण का होना जरूरी है।

महिलाओ को पुरुष की तुलना मे कम आका जाता है। कई महिलाए राजनैतिक कार्यो को कर के देश को चला रही है परंतु अधिकांश क्षेत्रों मे महिलाओ को घर के कामो तक ही रखा जाता है। जिसमे महिलाओ को घर के कामो को करना, बच्चो का पालना तक ही रखा जाता है। जिससे उन्हे अपने स्वास्थ्य व जरूरी सुविधा नही मिल पाती है।
शिक्षा मे भी महिलाओ को पुरुषो के जितना अधिकार नही दिया जाता है। भारत मे महिलाओ का शिक्षा का स्तर घट रहा है। जिसके कारण महिला इस देश मे बहुत पीछे रहती जा रही है।

भारत समाज मे इस भेदभाव की वजह से सती प्रथा, नगर वधु व्यवस्था, दहेज प्रथा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, गर्भ में बच्चियों की हत्या, पर्दा प्रथा, कार्य स्थल पर यौन शोषण, बाल मजदूरी, बाल विवाह, देवदासी प्रथा, कन्या भ्रूण हत्या जैसी प्रथा का चलन थी। इन प्रथा को खत्म करने के लिए महिला सशक्तिकरण होने की जरूरत है।

चाहे देश का विकास हो, घर के अधिकार हो, महिलाओ को प्राथमिकता देनी चाहिए। महिला और पुरुष दोनों के इस भेदभाव के कारण देश के विकास मे भी बाधा आती है।  महिला सशक्तिकरण इसलिए जरूरी होने लगा आज हमारे देश मे नही बल्कि कही देशो मे भी महिलाओ की भेदभाव करके चुप करवा दिया जाता है। जिसके चलते उन्हे अपने अधिकार के लिए बोलने पर या तो मर दिया जाता है, या योन शोषण कर डरा दिया जाता है।

महिला और पुरुष दोनों एक समान काम करने मे सक्षम है तो महिलाओ का अधिकार है की उन्हे भी समाज मे पुरुषो के बराबर अधिकार मिले। महिला सशक्तिकरण से महिला को घर के कामो से ही नही बल्कि देश के हर क्षेत्रों मे अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके इसके लिए अवसर मिले।

परिवार के आर्थिक स्थिति को समझ कर परिवार को सही से संभाल सके। महिलाए किसी भी प्रकार की हिंसा को संभाल पाने मे भी सक्षम होती है चाहे वह परिवार की हो या समाज की महिलाओ सशक्तिकरण के लिए बहुत से समाज सुधारको ने लोगो मे जरुकता फैलाने का काम किया है। जिसके चलते समाज मे आज कन्या भूर्ण हत्या, दूसरे विवाह न करने पर रोक, सती प्रथा, बाल विवाह जैसी प्रथा पर रोक लगाई है। परंतु आज भी दहेज प्रथा, यौन हिंसा, घरेलू हिंसा, कार्य स्थल पर यौन शोषण, बाल मजदूरी जैसी काम हो रहे। इस तरह के हिंसा को पूरी तरह से रोकने के लिए महिलाओ सशक्तिकरण की जरूरत है।

महिला सशक्तिकरण के सरकार द्वारा किया गए महत्वपूर्ण कार्य

कानूनी तोर पर महिलाओ के साथ घरेलू हिंसा, बल विवाह पर अपराधियो को दंड दिया जाने लगा है।

गांवों एवं शहरों चलिये जाने वाली योजनाओ मे महिलाओ को अवसर दिया जाने लगा है।

महिलाओ के प्रति किसी भी तरह की हिंसा को कानूनी अपराध घोषित कर दिया गया है।

महिलाओं के शिक्षा स्तर को बढ़ाया गया जिससे वह अपने ज़िंदगी मे फैसले ले सके।

सरकार द्वारा महिला एंव बाल विकास कल्याण मंत्रालय और भारतीय महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए कई सारी योजनाएं चलायी जा रही है।

महिला सशक्तिकरण मे दिये जाने वाले अधिकार

महिलाओ के साथ किसी भी प्रकार के भेद भाव ना किया जा सके इसलिए महिला सशक्तिकरण मे सरकार द्वारा कुछ अधिकार को निर्धारित किया है जो निम्न प्रकार से है- 

समान वेतन का अधिकार

समान परिश्रम अधिकार के तहत महिलाओ व पुरुषो मे वेतन एक समान दिया जाना है।  कार्य क्षेत्रों मे परेशान करने पर कानूनी अधिकार: यौन उत्पीड़न अधिनियम के तहत अगर महिला के साथ दुर्व्यवहार किए जाने पर कानूनी कार्यवाही का अधिकार महिलाओ को दिया गया है। जिसमे यौन उत्पीड़न के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का पूरा हक है। यौन शोषण की शिकायत होने पर महिलाओं को जांच करवाने व रिपोर्ट आने तक 90 दिन तक भुगतान कर छुट्टी दी जाएगी।

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कन्या भ्रूण हत्या के खिलाफ अधिकार

भारत मे रहने वाले हर नागरिक की जिम्मेदारी है को महिलाओ को जीने का अधिकार दिया जाए। गर्भावती महिला के पहले गर्भ की जांच करवाने पर कन्या भ्रूण हत्या करने पर सजा देने का प्रावधान है।

संपत्ति पर अधिकार

हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम के अनुसार निर्धारित नियमों के आधार पर संपत्ति पर महिला और पुरुष दोनों का बराबर का हिस्सा होगा।

निष्कर्ष

आज देश की इस तरक्की के महिलाओ का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है। आने वाले समय मे महिला सशक्तिकरण को बड़ावा देने की जरूरत है। ताकि देश तरक्की की दिशा मे बदलता चले। महिला सशक्तिकरण के आने से आज महिला के खिलाफ होने वाली सामाजिक बुराइयों को दूर करने मे भी लाभ मिला है। अब सिर्फ जरुरत है कि हम महिलाओं के खिलाफ पुरानी सोच को बदले और संवैधानिक और कानूनी प्रावधानों में भी बदलाव को ला सके।

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