Vinayaka Chaturthi – प्रत्येक माह में हिन्दु कैलेण्डर के अनुसार दो चतुर्थी होती है, हिन्दु ग्रंथों के मुताबिक प्रत्येक चतुर्थी भगवान गणेश को समर्पित है. प्रत्येक अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को विनायक चतुर्थी कहते हैं एवं प्रत्येक पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं।
हालांकि विनायक चतुर्थी का व्रत प्रत्येक महीने में होता है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण विनायक चतुर्थी का व्रत भाद्रपद के माह में होता है । भाद्रपद माह के बीच में पड़ने वाली विनायक चतुर्थी को गणेश चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. यह गणेश चतुर्थी पूरे भारत में भगवान गणेश के जन्मदिन के रूप में मनायी जाती है.
विनायक चतुर्थी व्रत 2018 तारीख व समय
तारीख | माह | दिन | चतुर्थी व्रत | शुभ मुहूर्त |
20 | जनवरी | (शनिवार) | विनायक चतुर्थी | 11.19 से 13.35 |
19 | फरवरी | (सोमवार) | विनायक चतुर्थी | 11.28 से 13.19 |
20 | मार्च | (मंगलवार) | विनायक चतुर्थी | 11.58 से 14.22 |
19 | अप्रैल | (बृहस्पतिवार) | विनायक चतुर्थी | 11.40 से 13.37 |
18 | मई | (शुक्रवार) | विनायक चतुर्थी | 11.30 से 14.28 |
16 | जून | (शनिवार) | विनायक चतुर्थी | 11.30 से 14.36 |
15 | जुलाई | (रविवार) | विनायक चतुर्थी | 12.05 से 14.39 |
14 | अगस्त | (मंगलवार) | विनायक चतुर्थी | 11.43 से 14.30 |
12 | सितम्बर | (बुधवार) | गणेश चतुर्थी | 11.43 से 14.13 |
12 | अक्टूबर | (शुक्रवार) | विनायक चतुर्थी | 11.43 से 13.54 |
11 | नवम्बर | (रविवार) | विनायक चतुर्थी | 10.49 से 12.43 |
10 | दिसम्बर | (सोमवार) | विनायक चतुर्थी | 11.03 से 12.47 |
विनायक चतुर्थी का महत्व –Vinayaka Chaturthi Importance
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि विनायक चतुर्थी का व्रत प्रत्येक माह पड़ता हैं. विनायक चतुर्थी को वरद विनायक चतुर्थी के नाम से भी जानते हैं. भगवान से अपनी किसी भी मनोकामना पूर्ति के आशीर्वाद को वरद कहा जाता है. जो भक्तगण भगवान गणेश जी का विनायक चतुर्थी के दिन व्रत रखते हैं उन्हे गणेश जी ज्ञान और धौर्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं.
प्रत्येक व्यक्ति ज्ञान और नैतिक गुणों के वारे में भली भॉति जानता है. जिनके पास यह गुण होते है वह जीवन में बहुत उचाईंयों को एवं मनवांछित फल की प्राप्ति करता है.
गणेश पूजन कैसे करते हैं
विनायक चतुर्थी के दिवस दोपहर को मध्याह्न काल में पूजा करना शुभ माना जाता है। इस दिन प्रातः उठकर स्नान आदि कर लेना चाहिए। इसके बाद भगवान गणेश जी के सामने हाथ जोड़कर विनायक चतुर्थी का व्रत करने का संकल्प लें। इसके बाद मध्याह्न काल में एक पटा पर लाल कपड़ा बिछाकर गणेश जी की छोटी प्रतिमा को स्थापित करें। इसके बाद कलश स्थापित कर विधि -पूर्वक उनकी पूजा एवं कथा पढ़ना चाहिए. गणेश जी को मोदक का भोग लगाकर आरती आदि करें।
विनायक चतुर्थी कथा | Vinayaka Chaturthi Katha in hindi
पैराणिक कथा के अनुसार – एक बार भगवान शंकर और माता पार्वती नर्मदा नदी के करीब बैठे हुए थे। इस दौरान देवी पार्वती ने भगवान भोलेनाथ से चौपड़ खेलने को कहा। भगवान शंकर भी चौपड़ खेलने को तैयार हो गए लेकिन सवाल उठा कि हार-जीत का निर्णय कौन करेगा।
ऐसे में भगवान भोलेनाथ ने कुछ तिनके एकत्रित कर उसका पुतला बनाकर उसमें प्राण प्रतिष्ठा कर दी। इसके बाद शंकर जी ने उससे कहा कि वह और पार्वती चौपड़ खेलना चाहते हैं। इसलिए तुम ध्यान पूर्वक देखकर बताना की हम मे से कौन जीता और कौन हारा। इस खेल में तीन बार चाल हुई और तीनों बार मां पार्वती जी की जीत हुई जब उस बालक से पूछा गया तो उसने शंकर जी को विजयी बताया। इस पर पार्वती जी बहुत क्रोधित हुई और उन्होंने उस बच्चे को लंगड़ा होने और कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया। बालक बहुत दुःखी हुआ और उसने पार्वती जी से क्षमा मांगते हुए खुद को अज्ञान बताया। इस पर माता ने उस बालक को क्षमा करते हुए कहा कि जब यहां गणेश पूजन के लिए नाग कन्याएं आएंगी तब तुम भी उनसे विधि पूछकर गणेश जी का व्रत करोगे।
ऐसा करने के बाद तुम मुझे प्राप्त करोगे। नाग कन्याओं के आने के बाद उस बालक ने उनके कहे अनुसार 21 दिन लगातार गणेश जी का व्रत किया। श्री गणेश जी ने प्रसन्न होकर उस बालक को मनोवांछित फल मांगने के लिए कहा। बालक ने कहा कि मैं अपने पैरों से चलकर अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पर पहुंच सकूं। गणेश जी के वरदान देने के बाद वह बालक कैलाश पर्वत पर माता पार्वती और शिव जी के पास पहुंच गया।
यहां पर उसने भगवान शिव को पूरी कथा सुनाई। इसके बाद जब पार्वती जी शिवजी से विमुख हो गई तो उन्होंने भी श्री गणेश का व्रत 21 दिनों तक किया। इससे पार्वती जी खुश हो गईं और शिव जी ने पार्वती जी को यह पूरी कथा बताई। इतना सुनने के बाद पार्वती के मन में भी अपने पुत्र कार्तिकेय से मिलने की इच्छा हुई और उन्होंने 21 दिन तक श्री गणेश व्रत किया। इसके बाद कार्तिकेय स्वयं अपनी मां पार्वती से मिलने आ पहुंचे। इस तरह से चतुर्थी को गणेश जी का पूजन किया जाने लगा।
कष्ट दूर करते गणेश जी
विनायक चतुर्थी की पूजा करते वक्त भगवान गणेश गणेश जी के इन 10 नामों को पढ़ते हुए 21 दुर्वा उन पर जरूर चढ़ानी चढ़ायें। ॐ गणाधिपाय नम, ॐ उमापुत्राय नम, ॐ विघ्ननाशनाय नम, ॐ विनायकाय नम, ॐ ईशपुत्राय नम, ॐ सर्वसिद्धिप्रदाय नम, ॐ एकदंताय नम, ॐ इभवक्ताय नम, ॐ मूषकवाहनाय नम,ॐ कुमारगुरवे नम। इससे गणेश जी अपने भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। इसके अलावा भक्तों के कष्टों को दूर कर उनके जीवन में खुशियां लाते हैं।