Top 5 famous ancient temples in india – भारत विविधताओं का देश हैं जिसमें विभिन्न धर्म और जाति के लोग एक साथ रहते हैं. यही कारण है कि भारत विश्व का सबसे मजबूत लोकतंत्र माना जाता है.
भारत में कई स्मारक मौजूद हैं जिनमे आप भारतीय संस्कृति को भली भांति देख सकते हैं इसमें सबसे प्रभावशाली प्रतीक भारतीय मंदिर हैं, जो अपने आकर्षण के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं. आज हम आपको उन वैदिक मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका सीधा सरोकार पैराणिक काल से हैं, ऐसे मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने रहस्यमयी इतिहास के बारे में जाने जाते हैं.
रणकपुर जैन मंदिर-Ranakpur Jain Temple
ऐतिहासिक भूमि राजस्थान विभिन्न भव्य स्मारकों व महलों के लिए जाना जाता हैं जिसमें से एक रणकपुर जैन मंदिर भी हैं. यह मंदिर जैन समुदाय का प्रमुख आस्था का केन्द्र है जो उदयपुर से करीब 96 किमी की दूरी पर स्थित है. यह वैदिक मंदिर जैन धर्म के संस्थापक व पहले तीर्थकर ऋषभदेव का चतुर्मुखी मंदिर है. यह वैदिक स्थल जैन धर्म के पांच तीर्थस्थलों में से एक है. इस मंदिर की दीवारों पर उकेरी गईं प्राचीन शैली की कलाकृतियां देखते है बनती हैं जिसकी झलक पाने के लिए यहां रोजाना कई श्रद्धालु व पर्यटक आते हैं.
मंदिर के खम्भो का रहस्य-
इस मंदिर की इमारत भारत में मौजूद समस्त जैन मंदिरों में सबसे विशाल हैं. जिस स्थान पर यह भव्य इमारत खड़ी हैं वहां किसी समय राणा कुंभा का शासन चलता था, यही कारण हैं कि इस जगह का नाम रणकपुर पड़ा हैं। इस मंदिर में 4 प्रवेश द्वार बनाये गये हैं, जिसमें मुख्य गृह में जैन तीर्थकर आदिनाथ की चार बड़ी मूर्तियां स्थापति की गयी हैं. इस मंदिर का मुख्य आकर्षण का केन्द्र मंदिर में मौजूद 1444 खम्भे हैं, जिन्हे आप मंदिर के चारों तरफ छोटे-बड़े आकार में देख सकते हैं. यह 1444 भव्य खम्भे इस मंदिर में आकर्षक के लिए बने गये हैं या कोई और कारण हैं इसकी अभी पूरी जानकारी नहीं मिल पायी हैं.
मीनाक्षी अम्मन मंदिर –Meenakshi Amman Temple
मीनाक्षी अम्मन मंदिर एक एतिहासकि हिन्दु मंदिर हैं जो भारत के तमिलनाडु राज्य के मदुराई शहर की वैगई नदी के दक्षिण ओर पर बना है. तमिलनाडु में स्थित यह मंदिर माता पार्वती को समर्पित हैं जो मीनाक्षी के नाम से जानी जाती हैं और शिव जी जोकि सुन्देश्वर के नाम से जाने जाते हैं. मां मीनाक्षी का यह विशाल मंदिर भव्य मंदिर प्राचीन भारत के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है और अपने धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। इस ऐतिहासिक मंदिर को तीन अलग-अलग नामों से जाना जाता है – मीनाक्षी सुन्दरेश्वर मंदिर , मीनाक्षी अम्मन मंदिर व मीनाक्षी मंदिर. हिन्दु पौराणिक ग्रंथों के मुताबिक भगवान शिव सुंदरेश्वर रूप में अपने गणों के साथ पाड्य राजा मलयध्वज की पुत्री राजकुमारी मीनाक्षी से विवाह रचाने मदुरै नगर आए थे। यह वजह है कि यह मंदिर हिन्दु धर्म को मानने वालों के लिए एक तीर्थ स्थान है।
वास्तु व स्थापत्य का अद्भुत मेल है ये मंदिर-
इस भव्य मंदिर का स्थापत्य एवं वास्तु बहुत ही रोचक हैं। यही वजह है कि इस मंदिर को दुनिया के सात अजूबो में नामांकित किया गया है। इस मंदिर में 12 भव्य गोपुरम है, जिन पर महीन चित्रकारी की गयी है जो देखते ही बनती है. इस मंदिर का वर्णन तमिल साहित्य में भी मिलता है । इस मंदिर को 17 वीं शताब्दी में बनवाया गया था। मंदिर के आठ खम्भों पर लक्ष्मी जी की मूर्तियां अंकित हैं जिन पर भगवान शिव से जुड़ी पौराणिक कथाएं भी लिखी गयीं हैं।
विरूपाक्ष मंदिर हम्पी-Virpaksha temple Hampi
विरूपाक्ष मंदिर हम्पी ऐतिहासिक स्मारकों के समूह का एक मुख्य हिस्सा हैं, जो बंगलौर से करीब 350 किलोमीटर की दूरी पर भारत के कर्नाटक राज्य, हम्पी में स्थित है. यह मंदिर भगवान शिव के अवतार विरूपाक्ष को समर्पित हैं, जिसे दक्षिण भारत के महान राजा कृष्णदेवराय के शासनकाल के दौरान बनवाया गया था। हम्पी नगर के बाजार क्षेत्र में बनी इस भव्य इमारत का निर्माण 15वीं शताब्दी में करवाया गया था। इस मंदिर के अन्दर आपको बहुत सारे छोटे-छोटे प्राचीन मदिंर देखने को मिलेंगे. इस मंदिर को ‘पंपापटी’ के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर के पूर्व में पत्थर की एक विशाल नंदी की प्रतिमा व दक्षिण की ओर गणेश की विशाल प्रतिमा बनी हुई है.
वर्तमान में भी होती है विधिवत पूजा-
विरूपाक्ष मंदिर हम्पी में भगवान विष्णु के नरसिंह अवतारी की 6.7 मीटर ऊंची प्रतिमा बनी हुई हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह भारत के उन् प्राचीन मंदिरों में से एक हैं जहां आज भी विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है. नौ स्तरों और 50 मींटर ऊंचा यह मंदिर तुंगभद्रा नदी के दक्षिणी किनारे पर हेमकूटा पहाड़ी की तरहटी पर बना हुआ है।
बद्रीनाथ मंदिर –Badrinath Temple
बदरी नारायण मंदिर जिसे बद्रीनाथ भी कहते हैं अलकनंदा नदी के किनारे उत्तराखंड राज्य में स्थित है। नर नारायण की गोद में बसा बद्रीनाथ नीलकण्ड पर्वत का पार्श्व भाग है। भगवान विष्णु को समर्पित यह मंदिर आदिगुरू शंकराचार्य द्वारा चारों धाम में से एक के रूप में स्थापित किया गया था। यह मंदिर तीन भागों में विभाजित है, गर्भगृह, दर्शनमण्डप और सभामण्डप। यहां प्रत्येक वर्ष लाखों भक्त अपने मन में बहुत सारी मनोकामनाएं लिए दुर्गम रास्तों से सफर करते हुए पहुंचते हैं. हिन्दु धर्म में माना जाता है कि प्रत्येक मनुष्य को अपने जीवनकाल में बद्रीनाथ एक एक बार दर्शन जरूर करने चाहिए. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार माना जाता है कि भागीरथी के प्रयास से गंगा धरती पर अवतरित हुई, तो यह 12 अलग-अलग धाराओं में बट गई, अलकनंदा उन 12 धाराओं में से एक है।
पौराणिक महत्व-
बद्रीनाथ को शास्त्रों और पुराणों में दूसरा बैकुण्ठ कहा जाता है। एक बैकुण्ठ क्षीर सागर है जहां भगवान विष्णु निवास करते हैं और विष्णु का दूसरा निवास बद्रीनाथ है जो धरती पर मौजूद है। बद्रीनाथ के बारे यह भी माना जाता है कि यह कभी भगवान शिव का निवास स्थान था। लेकिन विष्णु भगवान ने इस स्थान को शिव से मांग लिया था। यह पवित्र धाम दो पर्वतो के बीच स्थित हैं, जिसे नर-नारायण के नाम से भी जाना जाता है.
सूर्य मंदिर, कोणार्क -Sun Temple, Konark
भारत के उड़ीसा राज्य में स्थित कोणार्क सूर्य मंदिर सूर्य देवता को समर्पित है। इसकी भव्यता को देखते हुए इस प्राचीन मंदिर को विश्व धरोहर घोषित किया गय हैं. रथ के आकार में बनाया गया यह मंदिर भारत की मध्यकालीन वास्तुकला का अनोखा उदाहरण है। इस सूर्य मंदिर का निर्माण राजा नरसिंहदेव ने 13वीं शताब्दी में करवाया था। मंदिर अपने विशिष्ट आकार और शिल्पकला के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यदि आप कोणार्क के शाब्दिक अर्थ में जायें तो मालूम होगा कि कोणार्क, दो शब्दो को जोड़कर बना है जिसमें पहला ‘कोण’ जिसका अर्थ है कोना और दूसरा ‘अर्क’ जिसका अर्थ हैं सूर्य। आपको जानकर हैरानी होगी की इस मंदिर में आज तक कभी भी पूजा नहीं की गई.
इसे दूसरे खजुराहो के नाम से भी जाना जाता है –
जानकारों के मुताबिक सूर्य मंदिर का निर्माण कार्य अधूरा ही रह गया, जिसका मुख्य कारण निर्माणकर्ता राजा लांगूल नृसिंहदेव की अकाल मृत्यु है. इस मंदिर की वास्तुकला इतनी अच्छी है कि जो भी एक वार गया उसका मन मोह लिया. इस मंदिर की दीवारों पर उकेरी गईं कामुक मूर्तियां मध्य प्रदेश के खजुराहो के मंदिर से बहुत ज्यादा मिलती है.