Social Media का समाज पर प्रभाव – निबंध, मोटिवेशनल लेख

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social Media Ka samaj pr Prabhav

Social Media का समाज पर प्रभाव: 2012 के बाद से भारत में इंटरनेट (Internet) ने तीव्रता से अपनी पकड़ रखी है. इंटरनेट के माध्यम से  हमें  कुछ एप्प प्राप्त हुए जिससे हमें इंटरनेट यानी अंतरजाल में लोगों से जुड़ने का मौका हासिल हुआ.

जैसा की हम जानते है फेसबुक (Facebook) ,व्हाट्स एप्प (Whatsapp) ,इंस्टाग्राम अप्प (Instagram App) अगर हमारे पास न हो तो हमारा जीवन सुना सा लगता है. यानी हम इन् अप्पो से इतना जुड़ गए है की हमे इनकी आदत हो गयी है.

social Media Ka samaj pr Prabhav

अगर हम कुछ नहीं करते तो हमेशा फ़ोन की तरफ देखकर सोशल मीडिया(Social Media) के इन सारे माधयमो का प्रयोग करके अपनी सेल्फी भेजते है ,या किसी के फोटो पर कमेंट करते है. हमे कितने लाइक्स मिले हमारा ध्यान उसी पर रहता है.

इंस्टाग्राम पर हमारे कितने फॉलोवर्स (Followers) है. हमारे फेसबुक पर कितने चाहने वाले है .हमारे यूट्यूब चैनल (Youtube Channel) के कितने प्रसंशक है इत्यादि . सोशल मीडिया के बगैर हमारी ज़िन्दगी जैसे पानी बिन मछली . इसका गहरा प्रभाव अच्छा या बुरा समाज पर पढता है.सोशल मीडिया के ज़रिये सेलिब्रिटीज फ्लिम प्रमोशन (Celebrities Film Promotion) के साथ -साथ अपने फैन के साथ भी जुड़ जाते है.फैंस उन्हें करीब से जानने की कोशिश करती है. एक गलत फोटो सोशल मीडिया में किसी भी इंसान को नकारत्मक कमैंट्स का शिकार बना सकता है या कोई भी गलत या नाजायज़ कमेंट के लिए किसी भी इन्सान को सोशल मीडिया के प्लेटफार्म के ज़रिये माफ़ी भी मांगनी पड़ सकती है.

सोशल मीडिया जैसे टिक टोक स्टार जल्दी बन जाते है .कभी -कभी वह इतनी ज़्यादा कामयाबी हैंडल नहीं कर पाते है. वह इतना पैसा कमा लेते है की रातों -रात स्टार बन जाते है. कभी – कभी यह फैन फोल्लोविंग कम होने पर डिप्रेशन में आ जाते है. कुछ फैंस के नकारात्मक कमैंट्स को पढ़कर सुसाइड जैसे गलत कदम भी उठा लेते है.

कभी -कभी युवा स्टार डिप्रेशन या तनाव में आकर आत्महत्या जैसे गलत कदम उठा लेते है. रातों-रात विख्यात होने का रास्ता इतना आसान नहीं होता. आजकल हर चीज़ इंसान सोशल मीडिया पर पोस्ट करता है जैसे कहीं खाना खा रहा है या कहीं घूमने जा रहा है ,जन्मदिन या अंनिवरसरी की तस्वीरें डालना . अगर यह फोटोज पोस्ट न हो तो जैसे उनका दिन बेकार हो जाए. आजकल हर त्यौहार की बधाई हम सोशल मीडिया पर देते है. चिट्ठी और ग्रीटिंग कार्ड से बधाई देना हम जैंसे भूल गए है. हर ख़ुशी और गम हम सोशल मीडिया पर शेयर करते है.

हर लम्हे पर वीडियोस बनाकर उन्हें अपलोड करना हमारे लिए एक जूनून सा बन गया है. इसे अंग्रेज़ी में एडिक्शन और हिंदी भाषा में नशा या लत कहा जा सकता है. इस पर नियंत्रण हमारा होना ज़रूरी है.

सोशल मीडिया का बुरा असर बच्चो पर पड़ता है. अगर तीन घंटे तक बच्चे सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते है तो आगे चलकर उन्हें डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारी हो सकती है. अभी लोखड़ौन चल रहा है. हमसे फिलहाल आज़ादी छीन ली गयी है. आजकल सेलिब्रिटीज से लेकर आम आदमी सोशल मीडिया पर ज़्यादा एक्टिव रहते है. हमें यह विशेष ध्यान देने की ज़रूरत है की बच्चे ज़्यादा सोशल मीडिया पर एक्टिव न रहे. उन्हें अलग तरीके के कामो में व्यस्त रखा जाए.

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