Poem on earth day in hindi – धरती को बचाने का आशय है इन सभी की रक्षा के लिए पहल करना। लेकिन इसके लिए किसी एक दिन को ही माध्यम बनाया जाए, क्या यह उचित है? हमें हर दिन को पृथ्वी दिवस मानकर उसके बचाव के लिए कुछ न कुछ उपाय करते रहना चाहिए। आज हम आपके लिए प्रथ्वी दिवस पर कुछ कविताएं लेकर आये हैं उम्मीद है आपको पसंद आयेंगी-
Poem on earth day in hindi | पृथ्वी दिवस पर कवितायें
धरती माता ( कविता)
धरती हमारी माता है,
माता को प्रणाम करो
बनी रहे इसकी सुंदरता,
ऐसा भी कुछ काम करो
आओ हम सब मिलजुल कर,
इस धरती को ही स्वर्ग बना दें
देकर सुंदर रूप धरा को,
कुरूपता को दूर भगा दें
नैतिक ज़िम्मेदारी समझ कर,
नैतिकता से काम करें
गंदगी फैला भूमि पर
माँ को न बदनाम करें
माँ तो है हम सब की रक्षक
हम इसके क्यों बन रहे भक्षक
जन्म भूमि है पावन भूमि,
बन जाएँ इसके संरक्षक
कुदरत ने जो दिया धरा को
उसका सब सम्मान करो
न छेड़ो इन उपहारों को,
न कोई बुराई का काम करो
धरती हमारी माता है,
माता को प्रणाम करो
बनी रहे इसकी सुंदरता,
ऐसा भी कुछ काम करो
-सीमा सचदेव
Earth Day Poems In Hindi | पृथ्वी दिवस पर कवितायें
सब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती।
ग्रह-ग्रह पर लहराता सागर
ग्रह-ग्रह पर धरती है उर्वर,
ग्रह-ग्रह पर बिछती हरियाली,
ग्रह-ग्रह पर तनता है अम्बर,
ग्रह-ग्रह पर बादल छाते हैं, ग्रह-ग्रह पर है वर्षा होती।
सब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती।
पृथ्वी पर भी नीला सागर,
पृथ्वी पर भी धरती उर्वर,
पृथ्वी पर भी शस्य उपजता,
पृथ्वी पर भी श्यामल अंबर,
किंतु यहाँ ये कारण रण के देख धरणि यह धीरज खोती।
सब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती।
सूर्य निकलता, पृथ्वी हँसती,
चाँद निकलता, वह मुसकाती,
चिड़ियाँ गातीं सांझ सकारे,
यह पृथ्वी कितना सुख पाती;
अगर न इसके वक्षस्थल पर यह दूषित मानवता होती।
सब ग्रह गाते, पृथ्वी रोती।
-हरिवंशराय बच्चन
Earth Day Poems In Hindi | पृथ्वी दिवस पर कवितायें
आओ, धरती बचाएँ
बड़ी-बड़ी बातों से
नहीं बचेगी धरती
वह बचेगी
छोटी-छोटी कोशिशों से
मसलन
हम नहीं फेंकें कचरा
इधर-उधर
स्वच्छ रहेगी धरती,
हम नहीं खोदें गड्ढे
धरती पर
स्वस्थ रहेगी धरती,
हम नहीं होने दें उत्सर्जित
विषैली गैसें
प्रदूषणमुक्त रहेगी धरती,
हम नहीं काटे जंगल
पानीदार रहेगी धरती,
धरती को पानीदार बनाएँ
आओ, धरती बचाएँ।
Poem on earth day in hindi | पृथ्वी दिवस पर कविता
माटी से ही जन्म हुआ है..
माटी से ही जन्म हुआ है
माटी में ही मिल जाना है
धरती से ही जीवन अपना
धरती पर ही सजे सब सपना
सब जीव जन्तु धरती पर रहते
गंगा यमुना यही पर बहते
सब्जी फल यहाँ ही उगते
धन फसल यहाँ ही उपजे
धरती माँ की देख रेख कर
हमको फर्ज़ निभाना है
– अनुष्का सूरी
पृथ्वी दिवस पर बहुत अच्छी सार्थक कविता प्रस्तुति हेतु धन्यवाद!