Navratri Vrat Katha in Hindi | नवरात्रि व्रत कथा

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Navratri Vrat Katha in Hindi- जब नवरात्र आती है तो हमारे मन में माता के प्रति बड़ा ही प्रेम भाव और पूजा-अर्जना आदि की बात उठती है। जिसको लेकर मैया जी के भक्त माता की मूर्तियां आदि पांडालों में रख कर पूजा अर्चना आदि करते हैं लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि नवरात्रि पर्व क्यों मनाया जाता है और माँ दुर्गा की आराधना क्यों की जाती है? इनको लेकर मान्यता क्या हैं।

दोस्तो नवरात्र से जुड़ी पौराणिक कहानियां है जिसके माध्यम से आप समझ सकते हैं कि नवरात्रि का त्यौहार क्यों मनाया जाता है।

नवरात्रि की प्रथम कथा

प्रथम कथा के अनुसार लंका-युद्ध में ब्रह्माजी ने श्रीराम से रावण वध के लिए चंडी देवी का पूजन कर देवी को प्रसन्न करने को कहा और विधि पूर्वक चंडी पूजन और हवन हेतु दुर्लभ 108 नीलकमल की व्यवस्था की गई।

वहीं दूसरी तरफ रावण ने भी अमरता के लोभ में विजय कामना से चंडी पाठ प्रारंभ कर दिया । यह बात जब इंद्र देव ने पवन देव के माध्यम से श्रीराम के पास पहुँचाई और परामर्श दिया कि चंडी पाठ यथासभंव पूर्ण होने दिया जाए।

इधर हवन सामग्री में पूजा स्थल से एक नीलकमल रावण की मायावी शक्ति से गायब हो गया और राम का संकल्प टूटता-सा नजर आने लगा। भय इस बात का था कि देवी माँ रुष्ट न हो जाएँ। दुर्लभ नीलकमल की व्यवस्था तत्काल असंभव थी, तब भगवान राम को सहज ही स्मरण हुआ कि मुझे लोग ‘कमलनयन नवकंच लोचन’ कहते हैं, तो क्यों न संकल्प पूर्ति हेतु एक नेत्र अर्पित कर दिया जाए और प्रभु राम जैसे ही तूणीर से एक बाण निकालकर अपना नेत्र निकालने के लिए तैयार हुए, तब देवी ने प्रकट हो, हाथ पकड़कर कहा- राम मैं प्रसन्न हूँ और विजयश्री का आशीर्वाद दिया।

वहीं दूसरी तरफ रावण के चंडी पाठ में यज्ञ कर रहे ब्राह्मणों की सेवा में ब्राह्मण बालक का रूप धर कर हनुमानजी सेवा में जुट गए। निःस्वार्थ सेवा देखकर ब्राह्मणों ने हनुमानजी से वर माँगने को कहा। इस पर हनुमान ने विनम्रतापूर्वक कहा- प्रभु, आप प्रसन्न हैं तो जिस मंत्र से यज्ञ कर रहे हैं, उसका एक अक्षर मेरे कहने से बदल दीजिए। ब्राह्मण इस रहस्य को समझ नहीं सके और तथास्तु कह दिया।

मंत्र में जयादेवी… भूर्तिहरिणी में ‘ह’ के स्थान पर ‘क’ उच्चारित करें, यही मेरी इच्छा है। भूर्तिहरिणी यानी कि प्राणियों की पीड़ा हरने वाली और ‘करिणी’ का अर्थ हो गया प्राणियों को पीड़ित करने वाली, जिससे देवी रुष्ट हो गईं और रावण का सर्वनाश करवा दिया। हनुमानजी महाराज ने श्लोक में ‘ह’ की जगह ‘क’ करवाकर रावण के यज्ञ की दिशा ही बदल दी।

नवरात्रि की दूसरी कथा

महिषासुर नाम का एक बड़ा ही शक्तिशाली राक्षस था। वो अमर होना चाहता था और उसी इच्छा के चलते उसने ब्रह्मा की कठोर तपस्या की। ब्रह्माजी उसकी तपस्या से खुश हुए और उसे दर्शन देकर कहा कि उसे जो भी वर चाहिए वो मांग सकता है। महिषासुर ने अपने लिए अमर होने का वरदान मांगा।

महिषासुर की ऐसी बात सुनकर ब्रह्मा जी बोले, ‘जो इस संसार में पैदा हुआ है उसकी मौत निश्चित है। इसलिए जीवन और मृत्यु को छोड़कर जो चाहो मांग लोग।’ ऐसा सुनकर महिषासुर ने कहा,’ ठीक है प्रभु, फिर मुझे ऐसा वरदान दीजिए कि मेरी मृत्यु ना तो किसी देवता या असुर के हाथों हो और ना ही किसी मानव के हाथों। अगर हो तो किसी स्त्री के हाथों हो।’

महिषासुर की ऐसी बात सुनकर ब्रह्माजी ने तथास्तु कहा और चले गए। इसके बाद तो महिषासुर राक्षसों का राजा बन गया उसने देवताओं पर आक्रमण कर दिया। देवता घबरा गए। हालांकि उन्होंने एकजुट होकर महिषासुर का सामना किया जिसमें भगवान शिव और विष्णु ने भी उनका साथ दिया, लेकिन महिषासुर के हाथों सभी को पराजय का सामना करना पड़ा और देवलोक पर महिषासुर का राज हो गया।

महिषासुर से रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की आराधना की। उन सभी के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली जिसने एक बेहद खूबसूरत अप्सरा के रूप में देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया। देवी दुर्गा को देख महिषासुर उन पर मोहित हो गया और उनसे शादी करने का प्रस्ताव सामने रखा। बार बार वो यही कोशिश करता।

देवी दुर्गा मान गईं लेकिन एक शर्त पर उन्होंने कहा कि महिषासुर को उनसे लड़ाई में जीतना होगा। महिषासुर मान गया और फिर लड़ाई शुरू हो गई जो नौ दिनों तक चली। दसवें दिन देवी दुर्गा ने महिषासुर का अंत कर दिया और तभी से ये नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

नवरात्रि एक महत्वपूर्ण प्रमुख त्योहार है जिसे पूरे भारत में बहुत ही उत्साह के साथ मनाया जाता है।

इस त्यौहार को नौं दिनों तक मनाया जाता है जिनमें प्रत्येक दिन अलग-अलग नौ देवियों की पूजा अर्चना की जाती  है :-

  • शैलपुत्री- इसका अर्थ- पहाड़ों की पुत्री होता है।
  • ब्रह्मचारिणी- इसका अर्थ- ब्रह्मचारीणी।
  • चंद्रघंटा- इसका अर्थ- चाँद की तरह चमकने वाली।
  • कूष्माण्डा– इसका अर्थ- पूरा जगत उनके पैर में है।
  • स्कंदमाता- इसका अर्थ- कार्तिक स्वामी की माता।
  • कात्यायनी- इसका अर्थ- कात्यायन आश्रम में जन्मि।
  • कालरात्रि- इसका अर्थ- काल का नाश करने वली।
  • महागौरी- इसका अर्थ- सफेद रंग वाली मां।
  • सिद्धिदात्री- इसका अर्थ- सर्व सिद्धि देने वाली।

 

 

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