आखिर कौन है MDH के विज्ञापन में दिखाई देने वाले दादा जी?

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आखिर कौन है MDH के विज्ञापन में दिखाई देने वाले दादा जी?

यदि आप टी.वी. देखते है तो निश्चित ही आपने कभी न कभी MDH मसलों का विज्ञापन देखा ही होगा! और आपने इस विज्ञापन में एक दादा जी को भी देखा ही होगा | आपने साथ ही में यह अनुमान भी लगाया ही होगा की 

“हो सकता है के वह MDH मसलों के मालिक हो!” 

मैं आपको बताना चाहता हु आपका यह अनुमान बिलकुल सही है | आज हम इन्हीं MDH मसलों वाले दादा जी के बारे में विस्तरित रूप में आपको बताएंगे | ऐसे ही रोचक कहानी आप feelbywords.com पर जाकर पढ़ सकते है।

MDH मसलों वाले दादा जी इनका असली नाम स्व. श्री धर्मपाल गुलाटी जी है | यह दुखद बात है की वे आज इस दुनिया में नहीं है परंतु इनके द्वारा प्रस्थापित की गई कंपनी MDH मसाले आज भी देश और दुनिया में नाम कमा रही है |

शिक्षा का हर किसी के जीवन में बहुत महत्वपूर्ण स्थान है आमतौर पर लोगों में यह धारणा बन जाती है की शिक्षा के बिना तरक्की सम्भव नहीं है | लेकिन कम पढ़ा लिखा होना अभिशाप नहीं है | देश हो या विदेश कुछ हस्तियां ऐसी भी हुई है जिनके जीवन में कम पढ़ा लिखा होना अड़चन नहीं बना | 

आज हम एक ऐसी ही हस्ती की बात कर रहे है जो कम पढ़े लिखे होने के बाद भी एक सफल व्यवसायी बने | MDH मसाले के मालिक स्व. श्री धर्मपाल गुलाटी जी, वे सिर्फ 5वी कक्षा तक पढ़े है | इन्होंने मसाला व्यवसाय में इतना नाम कमाया की आज बच्चे से लेकर वृद्ध तक हर कोई इन्हें जानता है | 

तो चलिए जानते है की कैसे इन्होंने ने MDH मसलों को सफलता के शिखर तक पहुंचाया और इस सफर में इन्हें किन-किन समस्याओं का सामना करना पड़ा |

जन्म और परिवार –

 स्व. श्री धर्मपाल गुलाटी जी का जन्म पाकिस्तान के सियालकोट में मियांपुरा मोहल्ला ,नवसारी में  27 मार्च 1923 को हुआ | इनके पिताजी का नाम महाशय चुन्नी लाल और माताजी का नाम चनन देवी था | सियालकोट के बाजार में उनके पिताजी की ” महाशय दी हट्टी ” नामक मसाले की दुकान थी | इनके दो भाई 

और पांच बहने थी | स्व. श्री धर्मपाल गुलाटी जी  का 18 वर्ष की उम्र में 1941 में विवाह लीलावती से हुआ ,लेकिन उनका 1992 में देहांत हो गया उनका एक बेटा था उसका नाम संजीव था | वे भी 1992 में ही अपनी माँ की मौत के दो महीनों बाद दुनिया को अलविदा कह गया | धर्मपाल गुलाटी जी अपने पोते और उसके परिवार के साथ रहा करते थे | उनकी 6 बेटियां है | 

1947 में भारत पाकिस्तान विभाजन के बाद जब गुलाटी परिवार पाकिस्तान से भारत आया, उन्हें अमृतसर के शिविर में रखा गया था | इस दौरान धर्मपाल जी अपने जीजाजी के साथ काम की तलाश में दिल्ली पहुंच गए | शुरु वात में उन्होंने अपनी भतीजी के करोलबाग स्थित घर पर रहना शुरू किया | खास बात है की इस घर में न तो बिजली थी ,न पानी और न ही टॉयलेट था | जब गुलाटी दिल्ली आ रहे थे , तो पिता ने 

उन्हें 1500 रु. दिए थे | इन रुपयों से उन्होंने एक तांगा खरीदा था | हालाँकि यह काम उन्हें ज्यादा दिन रास नहीं आया और तांगा बेच दिया | अपने परिवार के मसाले के कारोबार को दोबारा शुरू करने के लिए , गुलाटी जी ने तांगा बेच कर करोलबाग में एक दुकान तैयार की | इस काम में मिली सफलता के बाद चांदनी चौक में 1953 में एक और दुकान किराए पर ली एक साल बाद 1954 में उन्होंने करोलबाग में ‘रूपक स्टोअर्स’ शुरू किया | यह उस दौर में दिल्ली में भारत का पहला आधुनिक मसाला स्टोर था | बाद में इस कारोबार को उन्होंने अपने छोटे भाई को सौंप दिया था | उनका नाम सतपाल गुलाटी था | १९३७ में अपने पिता की मदत से आईने का छोटा सा व्यवसाय स्थापित किया | इसके बाद साबुन व्यापार और अनेको नौकरियां और व्यापार किए | पर उनका मन किसी भी व्यवसाय में नहीं लगा | 

इसके बाद वे अपने पिता के व्यवसाय में हाथ बटाने लगे | देश के विभाजन के बाद वह भारत आए और दिल्ली पहुंच कर मसाला व्यवसाय में सफलता हासिल की | 

टी.वी विज्ञापन से मशहूर हुए थे स्व. श्री धर्मपाल गुलाटी जी  !

वे खुद के विज्ञापन में मसालों की Ad स्वयं करते थे | 96 साल की उम्र में भी वे टी.व्ही. विज्ञापन में आते थे | 

उन्हें पंजाबी व्यंजन पसंद थे | शुद्ध संतुलित भोजन और संयमित जीवन को ही अपनी Fitness का राज़ बताते थे | 

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एक तांगेवाला कैसे बना मसाला किंग

1948 में धर्मपाल जी ने अपना तांगा खरीदा और दो महीने बाद ही तांगे का धंदा छोड़कर करोलबाग की अजमल खान रोड पर एक छोटी सी दुकान बना ली | मेहनती और व्यपार में निपुण धर्मपाल जी ने अख़बारों में विज्ञापन देने शुरू किए | “सियालकोट की देगी मिर्च वाले अब दिल्ली में है | जैसे-जैसे लोगों को पता चला धर्मपाल जी का कारोबार तेजी से फैलने लगा और 60 का दशक आते-आते “महाशियाँ दी हट्टी” करोलबाग में मसालों की एक मशहूर दुकान बन चुकी थी | मसालों की शुद्धता गुलाटी परिवार के धंदे की बुनियाद थी | मसाले वह स्वयं कूटते थे | १९५९ में धर्मपाल गुलाटी जी ने दिल्ली के कीर्ति नगर में मसाले तैयार करने की अपनी पहली Factory लगाई थी जिसका सालाना करोड़ों रुपयों का Turn Over है | बड़ी-बड़ी कंपनी भी आज MDH  मसाले Company के आगे नतमस्तक है | 

आखिर क्या ऐसी इस मसाले में बात है?

इन सभी बातों के बारे में भी आपको इस लेख में बताएंगे |

चलिए सबसे पहले MDH  के Full Form के बारे में जान लेते है | 

MDH का Full Form: “महाशय दी हट्टी” है | महाशय दी हट्टी यह मसाला किंग स्व. श्री धर्मपाल गुलाटी जी  के पिता की दुकान का नाम था | इनके पिता स्व. श्री चुन्नीलाल सियालकोट में दुकान चलाते थे | उनकी इसी दुकान का नाम “महाशय दी हट्टी” था | जो की आज प्रसिद्ध मसाले का नाम MDH  रखा गया | 

धर्मपाल गुलाटी करोल बाग में नंगे पांव ही घूमते थे | इसकी वजह उन्होंने अपने एक दोस्त को बताई थी की करोलबाग उनके लिए मंदिर की तरह है | 

इसी करोलबाग में मैं खाली हाथ आया था , उस वक्त मेरे पास कुछ भी नहीं था | इसी करोल बाग में मैंने इतना बड़ा बिजनेस खड़ा किया ,इसलिए करोलबाग को मैं मंदिर की तरह समज़ता हूँ | जिस आदमी के पास कुछ नहीं था, तांगा चलाकर जीवन की शुरुवात की ,फिर मसाला बेचा ,

एक तांगेवाला मसालों का शहंशाह बन गया फिर भी उस शख्स ने अपनी तांगे वाली पहचान नहीं छुपाई”

आज भी जब MDH  मसाले का विज्ञापन आप टी.व्ही. पर देखते होंगे तो गुलाटी महाशय जी तांगे पर नजर आते है | इनके विज्ञापन की दूसरी खास बात यह भी है की विज्ञापन में वह खुद ही नज़र आते है | MDH के पास आज के समय में ६२ से भी ज्यादा उत्पादों की एक श्रृंखला है जो की १५० से अधिक विभिन्न पैकेजों में उपलब्ध है | 1500 रुपयों से शुरू किया व्यवसाय आज धर्मपाल जी ने करोड़ों रुपयों तक पहुंचा दिया है | धर्मपाल जी दुनिया के सबसे अधिक उम्र के Star के तौर पर भी जाने जाते है |

आज इनकी कुल संपत्ति MDH  मसालों में ८०% हिस्सेदारी ,१५ मसाले की फैक्टरियां , २० स्कूलों और १ चनन देवी अस्पताल इतनी है |

आज के समय में इनकी MDH  कंपनी स्विट्जरलैंड, संयुक्त राज्य अमेरिका, जापान, कनाडा और यूरोपीय देशों में मसालों की निर्यात करती है | MDH  कंपनी पूरे विश्व में मसालों की श्रेणी में सबसे बड़े ब्रांडों में से एक के रूप में उभरी है। स्व. श्री धर्मपाल गुलाटी जी की आत्मकथा के ऊपर एक किताब भी लिखी गयी है , जिसका नाम “ताँगे वाला कैसे बना मसालों का शहंशाह” है | 

चलिए अब जान लेते है की महाशय स्व. श्री धर्मपाल गुलाटी जी को किन-किन पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है |

आखिर कौन है MDH के विज्ञापन में दिखाई देने वाले दादा जी?
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वर्ष २०१६ में उन्हें एबिसीआई(ABCI) वार्षिक पुरस्कारों में ‘Indian of the Year’ चुना गया था | 

वर्ष २०१७ में उन्हें ‘Life Time Achievement’ के लिए उत्कृष्टता पुरस्कार मिला था | 

वर्ष २०१८ में उन्हें को FMCG क्षेत्र में सबसे ज्यादा भुगतान करने वाले CEO के रूप में बताया गया है आप इनके कारोबार का अंदाज इस बात से लगा सकते है की वे FMCG सेक्टर के सबसे ज्यादा कमाई करने वाले CEO भी रह चुके है कुछ Media Reports के अनुसार , धर्मपाल जी को २०१८ में २५ करोड़ की सैलरी मिली थी | वे अपनी सैलरी का ९०% हिस्सा दान में देते थे | सामाजिक कार्यों में भी इनका ट्रस्ट हिस्सा लेता है | वे आर्य समाज के बड़े अनुयायी थे | उनका धर्म हिन्दू था | MDH मसालों के मालिक होने के नाते वे

चर्चा में रहे है | भारत तथा दबाई में  मसालों की कई फैक्टरियां है | पतंग उड़ाना , पहलवानी करना, कबूतर बाजी करना इन में उनको ज्यादा रुचि थी | उन्हें ‘क्रिसलर लिमो’ Car ज्यादा पसंद थी | उनकी कुल संपत्ति लगभग Rs . ९४० करोड़ की है | 

MDH संदेश पत्रिका भी चलाता है, जो भारत के पारंपरिक पारिवारिक मूल्यों को प्रदर्शित करता है | 

वह अपनी सेहत के प्रति काफी सजग रहते थे, जिसके चलते वह सुबह ५ बजे योग किया करते थे | 

MDH मसालों के विज्ञापनों से घर-घर में पहचान बना चुके इसके मालिक स्व. श्री धर्मपाल गुलाटी जी को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्म भूषण से सम्मानित किया है | 

इसे भारतीय खाद्य उद्योग में कामयाबी की एक बड़ी मिसाल माना जाता है | लेकिन इस कंपनी को इस मुकाम तक पहुँचाने वाले ९५ वर्षीय स्व. श्री धर्मपाल गुलाटी जी का सफर आसान नहीं था | उन्हें बहुत सी परेशानियों का सामना 

करना पड़ा | 

उनका देहांत –

३ दिसम्बर २०२० गुरुवार को कोरोना सी ठीक होने के बाद उम्र के ९८ वे साल में सुबह ५.३८ को उनका देहांत हो गया | 

ऐसी महान शख़्सियत को हमारा शत-शत नमन है | स्व. श्री धर्मपाल गुलाटी जी का जीवन हम सभी के लिए एक प्रेरणा का स्रोत है | इतने सारे दुखों और संघर्षों के बावजूद कैसे एक तांगे वाले ने मसलों का इतना बड़ा व्यवसाय खड़ा किया | इनकी संघर्षों से भरी कहानी हमें सिखाती है की जीवन में कभी हार नहीं माननी चाहिए |

आपको हमारा यह लेख कैसा लगा हमें Comment Box में अवश्य बताए | साथ ही आपको स्व. श्री धर्मपाल गुलाटी जी के जीवन से क्या सीखने मिला यह भी हमें अवश्य बताए |

लेखक का परिचय:- यह लेख सौरभ गौरकर द्वारा लिखा गया है | आप इनकी वेबसाइट  feelbywords.com पर इनके अन्य लेख भी पढ़ सकते है |

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