Mahatma Gandhi की जयंती birthday of Mahatma Gandhi पूरी दुनिया में बहुत धूमधाम से मनाई जाती है। महात्मा गांधी के ऊपर निबंध लिखने के लिए भी स्कूल कालेज और competitive examination में आता है।
महात्मा गांधी पर निबंध प्रतियोगिता के लिए Essay Writing of Mahatma Gandhi की तैयारी भी आप यहां से कर सकते हैं। यहां पर राष्ट्रपिता Mahatma Gandhi बापू जी के ऊपर दो निबंध दे रहे हैं, जो आपके लिए उपयोगी होगा। the two essay on about Mahatma Gandhi in Hindi
हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी । Essay Writing on our father nation of Mahatma Gandhi
‘राष्ट्रपिता‘ महात्मा गांधी
निबंध लेखन महात्मा गांधी विषय:
essay writing of Mahatma Gandhi in Hindi: गुजरात के पोरबंदर जिले में महात्मा गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर सन 18 सो 69 को हुआ था। महात्मा गांधी जी का पूरा नाम मोहन करमचंद गांधी था। इनके पिताजी का नाम करमचंद गांधी और माता का नाम पुतलीबाई था। महात्मा गांधी ने ब्रिटिश शासन के खिलाफ भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन का नेतृत्व किया। इन्हें सम्मान पूर्वक भारत के राष्ट्रपिता की उपाधि से लोग सम्मानित करते हैं।
गांधीजी का व्यक्तित्व the personality of Mahatma Gandhi
महात्मा गांधी का पालन वैष्णो मत मानने वाले परिवार में हुआ था। धार्मिक प्रवृत्ति उनके व्यक्तित्व में था। भारतीय संस्कृति की विशेषता उनके जीवन की पहचान थी। इसलिए उनके स्वभाव में अहिंसा, शाकाहार, आत्मशुद्धि के लिए उपवास और सहिष्णुता का भाव था।
गांधी जी का विवाह
13 वर्ष की अवस्था में गांधी जी का विवाह पोरबंदर के एक व्यापारी की पुत्री कस्तूरबा गांधी हुई।
गांधी जी की शिक्षा दीक्षा education of Mahatma Gandhi
गांधीजी पढ़ाई में औसत श्रेणी के विद्यार्थी थे। उन्होंने यदा-कदा पुरस्कार और छात्रवृत्तियां भी प्राप्त किया है। वे पढ़ाई और खेल दोनों में बहुत श्रेष्ठ नहीं थे। वे अपने बीमार पिता की सेवा करते थे और घरेलू काम में मां का हाथ बटाते थे। अकेले सैर में निकलना उन्हें पसंद था। उनके व्यक्तित्व में सभी अच्छे गुण थे, उन्होंने लिखा है कि बड़ों की आज्ञा का पालन करना सीखा, उनमें कमियाँ निकालना नहीं।
1887 ईस्वी में मोहनदास करमचंद गांधी ने मैट्रिक की परीक्षा उतीर्ण की। 1888 ईस्वी में वे लंदन में कानून की पढ़ाई के लिए प्रस्थान कर गए।
किशोरावस्था में भी वह अपनी नादानियों के कारण स्वयं से वादा भी करते थे कि भविष्य में वह फिर से ऐसी गलतियां नहीं करेंगे और उनके इस व्यक्तित्व ने उन्हें एक आदर्श इंसान बनाने में मदद किया। महात्मा गांधी ने सच्चाई और बलिदान के प्रतीक प्रह्लाद और हरिश्चंद्र जैसे पौराणिक हिन्दू नायकों को आदर्श के रूप में अपने जीवन में आत्मसात किया।
गांधीजी का सत्याग्रह Satyagraha of Mahatma Gandhi
दक्षिण अफ्रीका की ट्रांसवाल सरकार ने 1906 में भारत की जनता के लिए पंजीकरण के लिए गांधीजी ने इसका विरोध किया। जोहेन्सबर्ग में गांधी जी के नेतृत्व में विरोध जनसभा का आयोजन किया गया। वहां उपस्थित सभी भारतीयों ने प्रतिज्ञा ली कि इस अध्यादेश का उल्लंघन करेंगे और परिणामस्वरूप दंड भी भुगतेंगे।
यह पहला सत्याग्रह गांधी (Gandhi Satyagraha) जी का था। इस सत्याग्रह का अर्थ सत्य के लिए आग्रह करना अर्थात जो सही है, उसे लागू किया जाए। गांधीजी ने कहा कि सत्याग्रह बिना अहिंसा के हो ही नहीं सकता है। सत्याग्रह आज पूरी दुनिया में लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों को हासिल करने का एक अहिंसक तरीका है।
7 साल तक दक्षिण अफ्रीका में गांधी जी के नेतृत्व में अलोकतांत्रिक सरकार के खिलाफ संघर्ष चलता रहा। सैकड़ों भारतीयों ने इस काले कानून के खिलाफ झुकने को तैयार न हुए। उन्होंने अपनी जीविका को छोड़ दिया परंतु अपने आत्मसम्मान को झुकने नहीं दिया।
1914 में गांधी जी का भारत आगमन
1914 में गांधी जी भारत लौटे तो देशवासियों ने उनका भव्य स्वागत किया। भारतवासियों ने उन्हें महात्मा कहकर पुकारना शुरू किया। उन्होंने 4 साल तक भारत की स्थिति को समझा और अंग्रेजों की सत्ता को यहां से हटाने के लिए ऐसे लोग को तैयार किया जो उनके सत्याग्रह आंदोलन में उनका साथ दे सके।
रॉलेक्ट एक्ट कानून का विरोध
महात्मा गांधी जी ने 1919 में अंग्रेजों के बनाए रॉलेक्ट कानून के खिलाफ सत्याग्रह आंदोलन प्रारंभ कर दिया। इस कानून के अंतर्गत अंग्रेज किसी भी व्यक्ति को बिना मुकदमा चलाए जेल में भेजने का प्रावधान किया था। इस काले कानून के विरोध में सत्याग्रह आंदोलन ने पूरी दुनिया को बता दिया कि भारत को एक ऐसा नेतृत्व मिला है जो अंग्रेजों को भारत की धरती से बाहर कर देगी।
सत्य और अहिंसा Satya and ahinsa की उनकी नीति और सत्याग्रह आंदोलन के जरिए उन्होंने कई आंदोलन किए। जैसे ‘असहयोग आंदोलन’, ‘नागरिक अवज्ञा आंदोलन’, ‘दांडी यात्रा’ तथा ‘भारत छोड़ो आंदोलन’, महात्मा गांधी जी के यह सारे अहिंसक आंदोलन ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। महात्मा गांधी के सत्याग्रह आंदोलन से भारत में आजादी के कई नायक उभर कर आए और गांधीजी का उन्होंने साथ दिया। अंग्रेजी सत्ता महात्मा गांधी के किस जादुई प्रभाव से पूरा भारत स्वतंत्रता आंदोलन के संघर्ष में कूद गया। परिणाम य ह हुआ कि अंग्रेज सत्ता को संभाल नहीं पा रहे थे। गांधी जी का दिया हुआ नारा करो या मरो एक भूचाल की तरह था। फिर वह समय आ गया 15 अगस्त 1947 को महात्मा गांधी और देशवासियों के योगदान के स्वरूप भारत स्वतंत्र हुआ। जीवनभर अहिंसा का उद्देश्य देने वाले महात्मा गांधी को न समझ पानेवाले नाथूराम गोडसे ने 30 जनवरी 1948 को उनकी हत्या कर दी। महात्मा गांधी के अंतिम शब्द थे-हे राम!
उपसंहार – मोहनदास करमचंद गांधी ने स्वतंत्रता संग्राम में प्रमुख राजनीतिक एवं आध्यात्मिक नेता के रूप में अपने कर्तव्यों का निर्वहन किया। महात्मा गांधी जी एक सच्चे समाज सेवक और आध्यात्मिक पुरुष भी थे। उनका प्रभावशाली व्यक्तित्व आज भी भारतवासियों और दुनिया के हर नागरिकों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। अहिंसक आंदोलन सत्याग्रह के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त हुई। भारतीय संस्कृति के संवाहक के रूप में पूरी दुनिया में भी विशिष्ट व्यक्तित्व के रूप में गिने जाते हैं। उनके जन्म दिवस 2 अक्टूबर को संयुक्त राष्ट्र संघ के द्वारा अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मान्यता दी गई है। शांति और अहिंसा के प्रतीक महात्मा गांधी के विचार संयुक्त राष्ट्र संघ के उद्देश के रूप में भी संग्रहित है। Mahatma Gandhi par Hindi nibandh महात्मा गांधी निबंध
महात्मा गांधी और उनके विचार – Mahatma Gandhi ke Hindi nibandh ka shirshak
सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी का व्यक्तित्व हमारी आने वाली पीढ़ियों को रास्ता दिखाता है। आज हम जिस लोकतांत्रिक व्यवस्था में जी रहे हैं, उसके लिए हमें गर्व करना चाहिए। आजादी के आंदोलन के लिए भारतवासियों को अपनी आजादी के लिए संघर्ष करने की शक्ति महात्मा गांधी के नेतृत्व से ही प्राप्त हुई। महात्मा गांधी जी आज भी अपने विचारों के साथ हमारे बीच में उपस्थित है। महान आत्मा महात्मा गांधी विश्व की विभूतियों में से एक हैं जिन्होंने अपने देश ही नहीं पराए देश में भेदभाव के खिलाफ आवाज उठाई। उनका सविनय अवज्ञा आंदोलन और सत्याग्रह अफ्रीका में भारतीयों और वहां के मूल निवासियों को आत्मसम्मान और आजादी के संघर्ष के लिए एक नया रास्ता दिखलाया। महात्मा गांधी अपने विचारों को पहले व्यवहार में लाते थे फिर दूसरों को नियम और विचारों को अपनाने के लिए कहते थे।
महात्मा गांधी के बारे में वैज्ञानिक आइंस्टीन ने कहा था, “हजार साल बाद आने वाली पीढ़ियां इस बात पर मुश्किल से भरोसा करेंगी कि हाड़-मांस से बना ऐसा कोई इंसान भी धरती पर कभी आया था।
वर्तमान समय का दुनिया का हर पढ़ा लिखा ना गई महात्मा गांधीजी के अहिंसा और सत्याग्रह को जरूर जानता है। कई विश्वविद्यालयों में महात्मा गांधी के विचारों की स्नातक और परास्नातक स्तर पर पढ़ाई भी होती है।
सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह
गांधीजी ने बताया कि सत्याग्रह का मार्ग सत्य, अहिंसा एवं प्रेम का है। उन्होंने कहा कि सत्याग्रह करने वाले इंसान को स्वयं में विश्वास होना चाहिए। सत्यता की लड़ाई में उसे हिंसा का इस्तेमाल नहीं करना है। उन्होंने यह भी बताया इंसान की सामाजिक न्याय सत्य पर आधारित होना चाहिए।
बिना हिंसा के सत्य की खोज असंभव
महात्मा गांधी ने कहां की सत्य और अहिंसा से ही मनुष्य मानव बनाता है। गाँधी जी के विचार में सत्य अगर साधन है तो उसे हासिल करने के लिए अहिंसा के साधन का उपयोग करना चाहिए। गांधीजी सामाजिक बुराइयों जैसे- जाति प्रथा, छुआछूत, पर्दा प्रथा, सती प्रथा इन सब के खिलाफ अपने विचार प्रकट किए हैं और उन्होंने सभी इंसान को बराबर माना है।