माँ पर मार्मिक कविता – Maa Par Marmik Kavita -माँ पर निबंध

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माँ पर मार्मिक कविता

माँ पर मार्मिक कविता: माँ शब्द अपने में ही एक वाक्य है । जन्म से आँख खोलने के पश्चात बच्चा ईश्वर की सबसे अनमोल रचना को देखता है । माँ हमारे हर छोटे -बड़े हर ज़रूरतों का ध्यान रखती है । सबसे प्रिय साथी माँ होती है । पूरे दिन घर का ख्याल रखती है । कठिन परिश्रम के बाद भी हमेशा एक प्यारी सी मुस्कान के साथ अपने बच्चे के सर पर हाथ फेरती है ।माँ को नाराज़ करना मतलब ईश्वर को परेशान करने जैसा है । जितना त्याग एक माँ करती है उतना कोई नहीं कर सकता है । माँ हमारी पहली शिक्षक होती है जो हमे चलना सिखाती है और आत्मनिर्भर बनना भी । ममता का आँचल होती है माँ । माँ के आशर्वाद के बैगर कोई भी कार्य पूरा नहीं होता है । जब भी हम परेशान होते है तो माँ के गोद में अपना सिर रखते है और हमारी सारी परेशानी गायब हो जाती है । माँ की खुशबू के बिना बच्चे का जीवन अधूरा होता है ।जीवन के कठिन परिस्थितिओं में माँ हमेशा हमारे संग खड़ी रहती है और परछाई बनकर हमारा साथ निभाती है ।माँ आजीवन अपनी चिंता नहीं करती है और न ही अपने कष्ट किसी को महसूस होने देती है । वह अपने बच्चे के सपनो को पूरा करने के लिए अपना सम्पूर्ण जीवन दाव पर लगा देती है ।माँ का अपने बच्चे से रिश्ता सबसे अनोखा और दिल से जुड़ा हुआ होता है । भले ही हम भूल जाए मगर माँ हमे खाना खिलाये बैगर खुद कभी नहीं खाती है । माँ बच्चो के लिए ईश्वर की वरदान है जो हमेशा साये के सामान बच्चों का साथ देती है ।

माँ पर मार्मिक कविता

माँ पर मार्मिक कविता

मेरी माँ

सबसे दुलारी सबसे प्यारी
मेरी  माँ, हम सबकी माँ
दुनिया में तुमसे दूजा न कोई
तुमसे ज़्यादा दुलार करता न कोई
ममता का आँचल तुम हो माँ
सुंदरता की मूरत तुम हो माँ
भावनाओं का सागर तुम हो माँ
सुबह आँखे खोलूं तुम पास देखूं  माँ
मेरी माँ हम सबकी माँ
न किसी से है शिकायत तुम्हे है माँ
न किसी से है उम्मीद तुम्हे है माँ
प्यार का आँचल लहराती हुई
प्यार से सर पर ममता का हाथ फेरती हुई
कभी ममता भरी लोड़ी  जाती हुई
सबसे दुलारी सबसे प्यारी
मेरी माँ हम सबकी माँ
हमेशा हमारा ख्याल रखती हो
खुद की कभी न परवाह करती हो
हमारे दिल का निर्मल संगीत हो
तुम हो माँ

आँसू  निकलने से पहले
पौंछ देती हो आंसू गिरने से पहले
तुम हो माँ

हमारी माँ , हम सबकी माँ
आसमान में इंद्रधनुष जैसी है तुम्हारी मुस्कान
जिसके समक्ष रवि की रौशनी की नहीं है पहचान
सृष्टि की सुन्दर रचना तुम हो माँ
दिल की प्रेरणा तुम हो माँ
शुरुआत भी तुम अंत भी तुम
हर बुरी नज़र से बचाती हो तुम
सर्वत्र है तुम्हारी छाया
किस्मत वाला है जिसने तुम्हे है पाया
सबसे दुलारी सबसे प्यारी
मेरी माँ ,हम सबकी माँ

खुदा की अनोखी रचना हो तुम
ईश्वर की वंदना हो तुम
ईश्वर की दुआ हो तुम
तुम नहीं तो सुना है सारा जहाँ
क्या औकात है तुम्हारे बिना मेरी यहाँ
ममता का सागर तुम हो माँ
जगत जननी तुम हो माँ
ईश्वर का खूबसूरत पैगाम तुम हो माँ
सबसे दुलारी सबसे प्यारी
मेरी माँ हम सबकी माँ

  • लेखिका -रीमा बोस

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