भारत एक धार्मिक और आध्यात्मिक देश है। यहां पर हर धर्म को बराबर मारा जाता है। जैसा कि हम सब जानते ही हैं भारत में बहुत सारे धर्म है, इतनी विविधता के बाद भी हम सब एक साथ खुशी से रहते हैं और एक दूसरे के उत्सव तथा त्योहारों में शामिल होते हैं। हमारे देश में प्रकृति से लेकर धन की भी पूजा की जाती है। यह माना जाता है कि इन सब की पूजा करने से उनका आशीर्वाद हम पर बना रहता है।
धन की प्राप्ति के लिए न जाने लोग कितनी मेहनत करते हैं। उसके लिए रात दिन कड़ी मेहनत करते हैं, दुनिया भर में न जाने कितने कार्य हैं। जो धन कमाने का अवसर प्रदान करते हैं परंतु धन को उचित तरीके से रखरखाव और उसका उपयोग करना भी अति आवश्यक होता है। भारत में तो पेड़ की भी पूजा की जाती है। फिर यह तो धन है जो मनुष्य की पूंजी होती है। इसकी पूजा करना तो अति आवश्यक है। इसके लिए हम लोग धनतेरस पर्व मनाते हैं।

आज हम इस लेख में आपको धनतेरस के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान करेंगे तथा हम यह भी बताएंगे कि धनतेरस की पूजा कैसे और कब की जाती है, इसके साथ ही इसके महत्व के बारे में भी बताएंगे।
धनतेरस क्या है (What is Dhanteras)
धनतेरस भारत का एक महत्वपूर्ण पर्व है। इस दिन धन की पूजा की जाती है। यह माना जाता है कि धन की पूजा करने से घर में धन की वृद्धि होती है। शास्त्रों के अनुसार धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी सागर मंथन के बाद अपने हाथों में एक स्वर्ण का कलश लेकर उत्पन्न हुए थे। इस कलश में अमृत भरा हुआ था, धनवंतरी ने यह अमृत देवताओं को अमर बनाने के लिए इस्तेमाल किया।
धनवंतरी के उत्पन्न होने के 2 दिन बाद ही देवी लक्ष्मी जी प्रकट हुई थी इसीलिए दिवाली से 2 दिन पहले ही धनतेरस का त्यौहार मनाया जाता है। इस दिन देवी लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। शास्त्रों के अनुसार यह भी माना जाता है कि भगवान धनवंतरी देवताओं के वैद्य है और इनकी भक्ति और पूजा करने से आरोग्य सुख अथवा स्वास्थ्य संबंधी लाभ प्राप्त होता है।
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धनतेरस कब है (When Is Dhanteras)
यह पर्व कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। दिवाली का त्यौहार 5 दिन मनाया जाता है। इसकी शुरुआत के पहले दिन धनतेरस मनाया जाता है। यह सन 2020 में 13 नवंबर को मनाया जाएगा धनतेरस की पूजा के लिए इस दिन केवल 18 मिनट का ही समय है। धनतेरस की पूजा का मुहूर्त 17:42:29 to 18:01:28 तक होगा। इस त्यौहार को हमेशा हर्षोल्लास के साथ मनाना चाहिए और घर में दीपक जलाना चाहिए इससे घर में सुख शांति बनी रहती है।
घर में धनतेरस की पूजा कैसे करे (How to Do Dhanteras Puja at Home in Hindi)
संध्या में पूजा करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। धनतेरस की पूजा शुभ मुहूर्त पर करनी चाहिए। सबसे पहले 13 दीप जलाकर कुबेर की पूजा करनी चाहिए। कुबेर देवता का ध्यान करते हुए उन्हें फूल चढ़ाएं, उसके बाद धूप, दीप आदि से पूजन करें। अब लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है। दिवाली के 5 दिनों में श्री यंत्र खरीदने और उसकी पूजा से धन-संपत्ति मिलती है। धनतेरस की पूजा के समय हमें भगवान धनवंतरी देव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन स्नान, वस्त्र, आभूषण, पुष्प, धूप आदि से पूजन करते हैं। इस दिन पीतल और चांदी के बर्तन खरीदने की परंपरा है। इस दिन शाम के समय घर के मुख्य द्वार और आंगन में दिए जलाए जाते हैं और यम देवता को दीपदान किया जाता है ऐसा करने से मृत्यु के देवता यमराज के भय से मुक्ति मिलती है।
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धनतेरस में क्या ख़रीदे (What to Buy on Dhanteras)
धनतेरस में यदि कोई नई चीज खरीदी जाती है तो उसे बड़ा शुभ माना जाता है। इस दिन हमें नए उपहार, बर्तन, वाहन, सिक्का, गहने आदि खरीदना चाहिए। इससे लक्ष्मी जी का आशीर्वाद बना रहता है। लक्ष्मी जी और गणेश जी की चांदी की प्रतिमा को इस दिन घर में लाने से सफलता व उन्नति में बढ़ोतरी होती है। इस दिन सूखे धनिया के बीज खरीद कर लाने से परिवार की धन संपदा में वृद्धि होती है। इस दिन विशेष कर पीतल और चांदी के बर्तन खरीदना चाहिए क्योंकि पीतल महर्षि धनवंतरी का धातु है। इसे घर में लाने से आरोग्य सौभाग्य और स्वास्थ्य लाभ होता है धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर और यम देवता की पूजा अर्चना का विशेष महत्व है।
धनतेरस कैसे मनाये (How to Celebrate Dhanteras in Hindi)
धनतेरस कार्तिक माह में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। अगर द्वादशी तिथि सूर्य उदय के साथ शुरू होती है तो उस समय धनतेरस मनाना चाहिए। धनतेरस के दिन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बात के तीन मुहूर्त में यमराज को दीप दान भी किया जाता है। अगर दोनों दिन त्रयोदशी तिथि प्रस्तुत कालका स्पर्श कराती है तो दोनों स्थिति में दीप दान किया जाता है।
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धनतेरस की कथा (Dhanteras Katha in hindi)
कहा जाता है कि किसी राज्य में एक राजा था। जिसने कई वर्षों तक पुत्र की प्राप्ति के लिए प्रतीक्षा की राजा के पुत्र के बारे में किसी ज्योतिषी ने यह कहा था कि जिस देन उसका विवाह होगा उसके 4 दिन बाद ही उसके पुत्र की मृत्यु हो जाएंगी। ज्योतिष की यह बात सुनकर राजा बहुत ही दुखी हो गया। इससे बचने के लिए उसने राजकुमार को ऐसी जगह पर भेज दिया, जहां आस पास कोई स्त्री नहीं रहती थी। एक दिन वहां से एक राजकुमारी गुजरी। राजकुमार और राजकुमारी दोनों ने एक दूसरे को देखा और उन्हें प्रेम हो गया। उन्होंने आपस में विवाह भी कर लिया।
ज्योतिष की भविष्यवाणी के मुताबिक ठीक 4 दिन बाद यमदूत राजकुमार के प्राण लेने पहुंचा। यमदूत को देखकर राजकुमार की पत्नी विनती करने लगी। राजकुमारी ने कहा इन के प्राण बचाने का कोई उपाय बताइए। तब यमराज ने कहा कि जो प्राणी कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी की रात मेरा पूजन करता है और दीपदान करता है। उसकी कभी अकाल मृत्यु काम है नहीं रहता है। तभी से इस दिन घर से बाहर दक्षिण दिशा की ओर दीप जलाने की परंपरा चालू हुई।
आशा करता हूं मेरे द्वारा दी गई जानकारी से आप संतुष्ट होंगे। इस लेख का उद्देश्य धनतेरस के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी प्रदान करना है, ताकि लोग धनतेरस के महत्व को समझ सके और इसे हर्षोल्लास से मना सकें।