होली के रंग प्राकृतिक है या नहीं कैसे पहचान करें, रंगों से क्या समस्या हो सकती है

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holi colours

होली हमारे देश के प्रमुख त्यौहारों में से एक है, यह रंगों और खुशियों का त्यौहार है। आज हम आपके लिए कुछ खास सुझाव लेकर आये हैं यदि इन पर आप ध्यान देंगे तो आपकी होली का मजा दोगुना हो जायेगा और ये आपके लिए सुरक्षित होली बन सकती हैं, क्योंकि आज कल किसी भी वस्तु की गारंटी नहीं है कि वह शुद्ध और सुरक्षित है या नहीं वही हाल रंगों का भी हो गया है, जिनका उपयोग करने पर कई बार जलनस बाल खराब होना एवं एलर्जी आदि की समस्या का सामना पड़ सकता है। तो आज हम आपके लिए रंगों को लेकर कुछ सुझाव लेकर आये हैं जिनका उपयोग करके सुरक्षित होली एन्ज्वाय कर सकते हैं।

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होली के रंगों से किन-किन परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है- What problems may be faced by Holi’s colors?

1-एलर्जी-

दोस्तो जैसा कि मैने ऊपर जिक्र किया है कि होली के रंग भी ज्यादातर कैमिकल का उपयोग करके बनाये जाते हैं जिसका परिणाम यह होता है कि बहुत से लोगों को इसके उपयोग से एलर्जी हो जाती है, जिस कारण उनकी आंखों, नाक, त्वचा और गले आदि में जलन होने लगती है। इसके कारण संवेदनशील व्यक्तियों को सर्दी, खांसी और सांस लेने में तकलीफ हो सकती है, इसके कारण दमा जैसी अन्य समस्यायें भी गंभीर रूप ले सकती हैं।

2.स्किन प्रोब्लेम-

होली के कैमिकलयुक्त रंगों का उपयोग करने से त्वचा की समस्यायें जन्म ले सकती हैं. जिस कारण लालिमा, खुजली, जलन आदि का एहसास और फुंसियां आदि भी हो सकती हैं। इसके अलावा बहुत से लोगों पर होली के रंगों का सबसे ज्यादा प्रभाव बालों पर बड़ता हैं जिस कारण उनके बाल झड़ने लगते हैं, सिर में खुजली एवं बालों का बेजान और रूखा हो जाना आदि समस्यायें होने लगती हैं।

3- आंखों में समस्यायें-

देखा जाये तो होली में सबसे ज्यादा आंखों में समस्यायें होने लगती हैं. आंखो में जलन, खुजली, पानी आना, दर्द व लाल होना आदि लक्षण शामिल हैं।

त्वचा कैंसर-

होली में उपयोग होने वाले रंगों में मिले रसायनों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ जाता है। इसके कारण पैरालिसिस, त्वचा कैंसर, गुर्दे की खराबी आदि समस्यायें हो सकती हैं तो होली खेलें लेकिन सावधानी पूर्वक।

कैसे पहचान करें असली ऑर्गेनिक रंगों की? How to identify real organic colors

देखा जाये तो आज-कल लोग जागरूक हो रहे हैं और रंगों के हानिकारक प्रभाव से बचने के लिए इको-फ्रेंडली रंगों का उपयोग कर रहे हैं. लेकिन यहां भी कोई नियम नहीं है, इस कारण यहां आपको सजग रहने की जरूरत है नकली ऑर्गेनिक उत्पादों से दूर रहें. यहां हम आपको रंगों की पहचान करने के कुछ तरीके बताने जा रहे हैं-

  • रंगों को पानी में घोल के देख लें यदि वह पानी में नहीं घुल रहा है तो उसमें कैमिकल हो सकता है, इसके साथ ही रंगों में किसी कैमिकल या पैट्रोल की तो महक नहीं आ रही है, यदि आ रही है तो उन रंगों को न खरीदें।
  • ऑर्गेनिक रंगों की पहचान होती है कि उनमें चमकदार कण उपलब्ध नहीं होते हैं और न ही वह गहरे रों में उपलब्ध होते हैं, इसलिए कभी भी गहरे चटक रंगों को खरीदने से बचें।

इस तरीके से घर पर स्वयं तैयार करें रंगों को-

  • यदि आप चाहे तो बेसन में हल्दी मिलाएं और चमकदार पीला रंग तैयार है।
  • पानी लें और उसमें पीले रंग के गेंदा के फूल डालर उबाल लें, लीजिए पीला रंग तैयार है।
  • यदि आप लाल रंग बनाना चाहते हैं तो गुड़हल के सूखे पत्तों का पाउडर ले और उसमें आटा मिला लें, लाल रंग बन जायेगा।
  • गुलाबी रंग बनाने का एक और तरीका है वह अनार के दानों को पानी में डाललें गुलाबी रंग बन जायेगा।
  • नारंगी रंग के लिए पानी में केसर भिगों दें या बढ़िया क्वालिटी की हिना या मेहंदी घोल लें।
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