गुरु पूर्णिमा 2020ः 15 सदी में जन्मे कवि कबीर दास ने गुरु के बारे बड़ी ही अनमोल बातें कही थी। एक दोहे में गुरु के महत्व को बताते हुए कबीर दास ने कुछ ऐसा लिखा है.
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूं पांय।
बलिहारी गुरू अपने गोविन्द दियो बताय।
इस दोहे में कबीरदास जी ने कहा है कि एक बार उनके सामने गुरु और भगवान दोनों खड़े थे। वह इस दुविधा में थे कि पहले वो चरण स्पर्श करें। तभी खुद भगवान ने यह कहते हुए उनकी दुविधा दूर कर दी कि गुरु सबसे महान होते हैं, खुद भगवान से भी ज्यादा।
कबीर दास जी का यह दोहा गुरु और भगवान के बीच की सिर्फ श्रेष्ठता बस नही दिखाता है, बल्कि इसका आशय है कि गुरु हमारे जीवन मे सबसे महत्वपूर्ण होते हैं, इसलिए उन्हें ही सबसे श्रेष्ट कहा गया है।
गुरु के मार्गदर्शन में चलकर ही कोई व्यक्ति खुद भगवान को पा सकता है। हमारे इतिहास में हमने अनेको ऐसे उदाहरण देखे हैं जहां गुरु ने अपने शिष्य को फर्श से अर्श तक पहुचाया है।
फिर चाहे वह गुरु चाणक्य हो, जिन्होंने एक मामूली से बालक चंद्रगुप्त मौर्य को पूरे देश का शासक बनवाया था, या फिर आज के दौर में रामकृष्ण परमहंस, जिनके मार्गदर्शन में चलकर स्वामी विवेकानंद ने पूरे विश्व मे भारत की पटाखा लहराई थी।
यदि हम अपने जीवन मे गुरु की भूमिका देखे तो कहा जाता है कि माँ हमारी पहली गुरु होती है। हम जन्म से ही एक गुरु की गोद मे होते हैं। माँ से हम बचपन मे अनेक पाठ सीखते हैं।
फिर जब हम थोड़ा बड़े होते है, चलना सीखते है, तो हमारे पिता हमे सहारा देते हैं। 4-5 वर्ष के होते ही हमे पहली बार घर से बाहर स्कूल भेजा जाता है। स्कूल में हमे टीचर मिलते हैं जो हमे हमारा हाथ पकड़कर लिखना सिखाते है, हमे पढ़ना सीखते हैं।
किसी बच्चे को गढ़ने में इन प्रारंभिक गुरुओं को बहुत जरूरी भूमिका होती है। बचपन मे हमे न सिर्फ लिखना, पढ़ना सीखते हैं, इसके साथ साथ जीवन जीने के लिए जरूरी मूल्य, जैसे चरित्र, ईमानदारी, मेहनत का महत्व जैसे कई अच्छे संस्कारो का बीज भी बच्चो के मन मे डाला जाता है।
यही बीज आगे जाकर एक बड़े वृक्ष का रूप ले लेते हैं और फिर एक ऐसा इंसान बनकर आता है जो देश और समाज के हित मे काम करता है। पर यदि बचपन मे ही बच्चो के मन मे गलत संस्कार डाल दिये गए तो आगे चलकर हमे एक योग्य इंसान नही मिलेगा
इसलिए बचपन मे प्रारंभिक गुरु ही हमारे जीवन की आधारशिला रखते हैं। इसके बाद जीवन जैसे जैसे आगे बढ़ता जाता है वैसे ही हमे आगे बढ़ने के लिए नए नए गुरुओं की आवश्यकता महसूस होती है।
कॉलेज के दिनों में गुरु हमे रोजगार से जुड़ी जरूरी शिक्षा देते है। वही जब हम कोई जॉब करना शुरू कर देते हैं तब भी हमे गुरु की जरूरत होती है। हमे काफी कुछ नया सीखना पड़ता है, जिससे कि हम अपने करियर को नई ऊंचाइयां दे सके।
आसान शब्दों में कहें तो जब तक हमारा जीवन है हमे गुरु की जरूरी होती है। गुरु हर वह इंसान है जो हमे सही मार्गदर्शन देता है। जो हमारी विपत्ति काल से उबरने में मदद करता है। जो हमे
सही-गलत,नीति-अनीति जैसे छोटी छोटी बातों की गहराई को बताता है। गुरु के बिना जीवन एक तरह से दिशाहीन होता है। हम जहां जाना चाहते हैं यह जगह तो पता होती है, पर वहां जाने का रास्ता हमे गुरु ही दिखाता है।
इसलिए अपने गुरु के प्रति हमेशा श्रद्धा का भाव होना चाहिए। गुरु की कही बातों पर विश्वास होना चाहिए, और उनका अनुसरण करना चाहिए, लेकिन सिर्फ सच्चे गुरुओं का।
आजकल जिस तरह का माहौल वहां सच्चे गुरु की पहचान करना थोड़ा मुश्किल है, लेकिन असंभव नही है।