Essay on Swami Vivekananda in Hindi: स्वामी विवेकानंद आधुनिक भारत के एक हिन्दू संत है, जिनका जन्म 12 जनवरी 1863 को पश्चिम बंगाल के कोलकाता में हुआ था।
हमारा देश हमेशा से ही साधु संतों और ऋषि मुनियों के देश माना जाता है। स्वामी विवेकानंद भारत मे जन्मे एक श्रेष्ट संत थे, जिन्होंने न सिर्फ हिन्दू धर्म की पटाखा बल्कि भारत और भारतीयों के द्रष्टिकोण को पश्चिमी दुनियाँ के सामने रखा था।
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स्वामी विवेकानंद पर निबंध (Long and Short Essay on Swami Vivekananda in Hindi)
1. स्वामी विवेकानंद बचपन मे बहुत उद्यमी और चंचल स्वभाव के थे। शरारत करना उन्हें बहुत पसंद था। लेकिन उनकी माँ कहती थी कि जब भी पूजा करने के बाद पूजा का जल उनके ऊपर छिड़क देती, तभी वह शांत होकर बैठ जाते थे।
2. स्वामी विवेकानंद का नाम नरेंद्र था। बंचपन से ध्यान लगाने में उनकी गहरी रुचि थी। वह भगवान शिव और हनुमान जी प्रति बहुत आस्थावान थे।
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3. बालक नरेंद्र हमेशा इनकी प्रतिमा के सामने बैठकर ध्यान लगाया करते थे। स्वामी विवेकानंद के माता-पिता
2. भुवनेश्वरी देवी और विश्वनाथ दत्त थे। इनके पिता कोलकाता उच्च न्यायालय में वकील थे।
4. स्वामी विवेकानंद जैसे जैसे बड़े होते गए उनकी रुचि, इतिहास, कला, विज्ञान, धर्म और अध्यात्म, दर्शन में बढ़ने लगी। उन्हें भिक्षु लोगो की जीवन मे काफी रुचि थी।
5. स्वामी विवेकानंद ने भारतीय दर्शन और पश्चिमी दर्शन दोनों का अच्छा खासा अध्ययन किया। लेकिन इसके बाद भी उन्हें उनके प्रश्नों के जवाब नही मिल रहे थे।
6. उनके कई प्रश्नों में से एक सबसे बड़ा प्रश्न था कि क्या भगवान से साक्षात्कार हो सकता है. इसी का जवाब जानने के लिए वह कई साधु और तपस्वियों से मिले लेकिन अंत मे उनकी खोज रामकृष्ण परमहंस पर जाकर रुकी।
7. उन्होंने स्वामी विवेकानंद को न सिर्फ इस प्रश्न का जवाब दिया बल्कि उनको माँ काली के दर्शन भी करवाए। बस इसके बाद स्वामी विवेकानंद रामकृष्ण परमहंस के अनुयायी बन गए।
8. स्वामी विवेकानद के बारे में यह भी कहा जाता है कि उनके पास जो भी शक्तियां थी वह सब उनके गुरु की देन थी। उन्होंने खुद वो सब हासिल करने के लिए कभी ज्यादा तप नही किया, लेकिन वो एक सच्चे गुरुभक्त थे।
9. एक बार उन्होंने अपने गुरु के सामने समाधि में बैठने की इच्छा जाहिर ही थी तब उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस ने कहा था तुम तुम्हे अभी बहुत काम करना है। समाधि लेकर इतने स्वार्थी मत बनो।
10. स्वामी विवेकानंद के विचार बहुत ऊर्जावान थे। उन्होंने देश के स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में परोक्ष रूप से काफी सहयोग किया है। कई महान स्वतंत्रता सेनानी जैसे नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बाल गंगाधर तिलक, अरविंद घोष, बाघा जतिन स्वामी विवेकानंद के विचारों से प्रेरित होकर ईस लड़ाई में उतरे थे।
11. स्वामी विवेकानंद की जब कभी भी बात होती है तो शिकागो में उनके विश्वविख्यात भाषण की चर्चा के बिना अधूरी लगती है।
12. 1893 में अमेरिका के शिकागो शहर विश्व धर्म महासभा के आयोजन किया गया था। पूरी दुनियाँ के कई धार्मिक हस्तियां वहां मौजूद थी। भारत का प्रतिनिधित्व स्वामी विवेकानंद कर रहे थे।
13. स्वामी विवेकानंद ने अपने भाषण की शुरुआत में बोला “मेरे प्यारे भाइयो और बहनों” जिसके बाद 10 मिनट तक तालियों की गड़गड़ाहट से परिसर गूंजता रहा।
14. इसके बाद स्वामी जी ने उस मंच से हिन्दू धर्म के दर्शन से सबको अवगत करवाया। उन्होंने यह भी कहा कि हमें हमारे देश मे धर्म की जरूरत नही है क्योंकि हिन्दू धर्म मे वह सबकुछ है जो किसी इंसान को भगवान से साक्षात्कार करवा सकता है।
15. भारतवासियों को जरूरत है आर्थिक मदद की। उनके उस भाषण की पूरे विश्व मे जमकर तारीफ हुई।
16. 4 जुलाई 1902 को स्वामी विवेकानंद ने बेलूर मठ में 3 घंटे के गहरे ध्यान की अवस्था मे ही समाधि ले ली। उनके प्राण ब्रम्हरंध्र से होते हुए सिर से निकल गया।
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