हमे यह देखने मे आया है कि बहुत से लोग प्राकृतिक आपदा पर निबंध (Essay on Natural Disasters in Hindi Language) या फिर प्राकृतिक आपदा कारण एवं निवारण पर निबंध की तलाश में रहते हैं।
यदि आप भी उन लोगो में से हायन तो आपका इंतजार खत्म हुआ, क्योंकि आज के इस आर्टिकल में हम आपको प्राकृतिक आपदा पर निबंध दे रहे हैं जिसे आप कही भी उपयोग कर सकते हैं। तो चलिए शुरू करते हैं.
प्राकृतिक आपदा क्या है?
प्रकृति द्वारा निर्मित कोई ऐसी परिस्थिति जिससे कि इंसानो का नुकसान हो वह प्राकृतिक आपदा या Natural Disasters कहलाती है। प्राकृतिक आपदा प्रकर्ति प्रदत्त होती है। इस पर इंसानो का कोई बस नही चलता है।
इन आपदाओं को रोकना लगभग नामुमकिन है लेकिन फिर भी यदि इंसान सावधानी रखें तो इन आपदाओं से होने काली हानि को कम किया जा सकता है।
प्राकृतिक आपदाएं कई तरह ही होती है और हम इंसान और यह पूरी दुनियां वक़्त वक़्त पर किसी न किसी तरह की प्राकृतिक आपदा के सामना करती रहती है।
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प्राकृतिक आपदा के प्रकार
प्रकृति का रूप वैसे तो बहुत विस्तृत है लेकिन मुख्य रूप से हमें जल, थल और वायु ही दिखाई देता है। प्राकृतिक आपदा भी अधिकतर इन्ही तीन रूपों में से किसी भी रूप में आ सकती है। प्राकृतिक आपदा ले वक़्त यदि सही तरह से बचाव के उपाय नही किए जाते तो बहुत ज्यादा जान माल का नुकसान हो जाता है।
प्राकृतिक आपदाओं ले कुछ रूप इस प्रकार हैं:-
- बाढ़ आना
- भूकंप आना
- सुनामी आना
- चक्रवात आना
- आंधी आना
- हिमस्खलन होना
- भूस्खलन होना
- सूखा पड़ना
- ओलावृष्टि
- ज्वालामुखी फट जाना
- महामारी फैल जाना
- बादल फट जाना
- इसके अलावा उल्का पिंड का गिरना नदियों का सुख जाना जैसी और भी कई आपदाएं हैं।
प्राकृतिक आपदाएं आने का कारण
Natural Disasters होते तो प्रकृति के द्वारा हैं पर कही न कही हम इंसान भी इन प्राकृतिक आपदाओं के आने का कारण बन रहे हैं। कहने को तो आज हम इंसानो ने बहुत प्रगति कर ली है। सुख सुविधाओं के तमाम साधन हमने बना लिए हैं, लेकिन किस कीमत पर? शायद प्रकृति की कीमत पर, क्योंकि हमने बीते 130 सालों में जितना प्रकृति का दोहन किया है उतना कभी नही किया।
आज हम अपने घरों को बनाने के लिए जमीन को खोद खोद कर खोखला कर रहे हैं। अपनी सुविधाओ के लिए नदियों से बालू निकाल रहे हैं जिससे नदियां सूख रही है। तो कही बांध बनाकर उनका प्रवाह रोक रहे हैं।
दुनियाँ की आबादी दिनोदिन बढ़ रही है। इसके रहने के लिए हम जंगलों को लगातार काट रहे हैं। इन सब चीज़ों की वजह से प्रकृति में असन्तुलन बन रहा है, जिसका परिणाम हमे प्राकृतिक आपदा के तौर पर देखने को मिलता है।
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प्राकृतिक आपदाओं का प्रभाव
किसी भी देश या राज्य में यदि एक बार प्राकृतिक आपदा आ जाए तो उससे होने वाले नुकसान की भरपाई करने में कई साल गुजर जाते हैं लेकिन फिर भी जख्म नही भर पाते हैं।
कोई भी प्राकृतिक आपदा आती है तो लोगो के जीवन को बिलकुल अस्त व्यस्त करके ही जाती है। भूकंप, सुनामी, तूफान जैसी आपदाओं में लोगो को अपना घर तक खोना पड़ जाता है। लोग दर दर भटकने को मजबूर हो जाते हैं। किसी के अपने प्रियजन बिछड़ जाते हैं, तो कई लोगो की मृत्यु हो जाती है।
यातायात, बिजली, फ़ोन जैसी जरूरी सुविधायें ठप्प हो जाती है। खाने- पीने का कोई ठिकाना नही रहता है। करोड़ो रुपयों को नुकसान हो चुका होता है।
वही प्रकृति भी कभी कभी बुरी तरह प्रभावित होती है। जंगल के पेड़ उखड़ जाते हैं। वहां के जीव जंतु आग लगने जैसी आपदाओं के शिकार बन जाते हैं। सूखे की स्थिति में जंगली जीव मरने लगते हैं।
प्राकृतिक आपदाओं के निवारण
हर प्राकृतिक आपदा का स्वरूप अलग होता है, इसलिए उससे बचाव का तरीका भी अलग अलग होता है। कुछ प्रमुख प्राकृतिक आपदाओं से बचने के तरीके इस प्रकार हैं:-
भूकंप
भूकंप धरती के नीचे मौजूद टेक्टोनिक प्लेटों के टकराने के कारण आते हैं। भूकंप के दौरान सबसे बड़ा खतरा इमारतों के गिरने का होता है। इसलिए जब भी ऐसी परिस्थिति में फसें तो सबसे पहले घर से बाहर निकल कर खुले मैदान में आ जाना चाहिए। यदि आना संभव नही है तो किसी मेज, टेबल के नीचे चुप जाएं।
बिजली गिरना
बिजली गिरने की समस्या आमतौर पर बारिश के मौसम में होती है। जिस जगह पर बिजली गिरती है वहां के आसपास की जगह को वह नुकसान पहुचाती है। बिजली से बचाव के लिए बारिश के वक़्त पेड़ के पास और बिजली के खंभे के पास बिलकुल न रहें। हो सके तो मोबाइल फ़ोन बंद कर दें।
घुटनो को मोड़ ले और सिर को नीचे करके पंजो के सहारे बैठ जाना चाहिये।
बाढ़ आने पर
यदि आप कभी बाढ़ जैसी आपदा में फस जाएं तो किसी ऊँचाई वाले स्थान में जाने की कोशिश करें। साथ मे खाने का कुछ सामान, पानी, टॉर्च, मोबाइल, प्राथमिक उपचार की कुछ चीज़ें अपने साथ जरूर रखें।
सुनामी
यदि ऐसे इलाके में रहते हैं जहां सुनामी आने की संभावना होती है तो सबसे पहले आपको उस शहर के गलियों की जानकारी होना जरूरी है। साथ ही हमेशा अपने साथ एक बैग रखे जिसमे खाने का सामने और प्राथमिक उपचार का सामान हो।
सुनामी आने से पहले आसपास के जानवरों का व्यवहार बदल जाता है, उस पर ध्यान देते रहे रहे। इसके साथ ही समुद्र भी कुछ पीछे चला जाता है, यह निशानी भी सुनामी आने की है।
सूखा होने पर
यदि भूमिगत जल का दोहन लगातार होता रहा है जल का संरक्षण नही किया गया तो सूखे की स्थिति में बहुत कुछ विकल्प हमारे पास नही होते। इसलिए वर्षा के जल को जमीन के अंदर पहुचाने की कोशिश करें। जल का अपव्यय न करें। जिन इलाको में सूखे की समस्या अधिक रहती है, वहां पर किसी भी तरह की फैक्ट्री नही लगानी चाहिए।
महामारी फैलने पर
कोई भी महामारी फैलती है तो सबसे ज्यादा जरूरी है कि आपके पास उससे बचने की पूरी जानकारी होनी चाहिए। जैसे वक़्त पूरी दुनियां में कोरोना वायरस का कहर फैला हुआ है। इसी1 तरह की और भी कई महामारियां पहले हो चुकी हैं जिसमे लाखो लोगो की जान गई है।
महामारियों से बचने के लिए अपने साफ सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। संभव हो तो हमेशा गर्म पानी पिएं। सब्जियों को बनाने से पहले उबाल लेना चाहिए और साफ पानी से घुलना चाहिये।
किसी व्यक्ति को सर्दी जुखाम जैसी दिक्कत है तो उसे जांच करवाने की सलाह देना चाहिए क्योंकि अधिकतर महामारियां इसी के जरिए फैलती है।
प्राकृतिक आपदाएं हम इंसानो के प्रति प्रकृति का एक तरह का गुस्सा भी कहा जा सकता है। प्रकृति हमको चेतावनी देती है कि हमे जीवन को कुछ इस तरह जीना चाहिए, जिससे प्रकृति के साथ हमारा संतुलन बना रहे।