हर इंसान को जन्म के साथ ही मूलभूत अधिकार दिए जाते हैं, जिसमे से एक अधिकार शिक्षा का अधिकार है। शिक्षा हासिल करने का अधिकार आज हर एक नागरिक को है।
कोई भी व्यक्ति यदि किसी से शिक्षा के अधिकार को छीनने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही हो सकती है।
आज के दौर में शिक्षा का महत्व बहुत बढ़ गया है। हालांकि आज से 60-70 वर्ष पूर्व दुनियाँ ऐसी नही थी। तब शिक्षा को इतना ज्यादा महत्व नही दिया जाता था।
लेकिन यदि आज कोई व्यक्ति शिक्षित नही है तो उसके सामने सबसे बड़ी समस्या रोजगार की उत्पन्न हो जाती है। क्योंकि धीरे धीरे दुनियाँ एक ऐसी दिशा में बढ़ रही है, जहां पर इंसानी बल का उपयोग कम होता जाएगा, और इंसानी दिमाग का उपयोग ज्यादा होगा।
हालांकि अभी तक इंसानी बल को ज्यादा महत्व दिया जाता था। लेकिन आज इंसान से रोबोट जैसे कई मशीनें बना ली है, जो इंसानो से कही ज्यादा शक्तिशाली है।
इसलिए अब जरूरत है उनको ऑपरेट करने वालो की, और यह काम वही व्यक्ति कर सकता है, जो तकनीकी रूप से शिक्षित होगा।
शिक्षा के उद्देश्य पर निबंध: Essay on Education in Hindi Language
शिक्षा का उद्देश्य आजकल यही है। एक इंसान शिक्षित हो जाए, तो इसका मतलब यह है कि वह अब किसी खास क्षेत्र में रोजगार पाने के काबिल हो गया है।
लेकिन कभी कभी ऐसा भी प्रतीत होता है कि शिक्षा का उद्देश्य आज अधूरा है। शिक्षा का उद्देश्य तो सिर्फ रोजगार दिलाना तो नही होना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्य से आज ऐसा ही है।
एक व्यक्ति अपने जीवन के करीब 25 वर्ष सिर्फ रोजगार हासिल करने की तैयारी में ही लगा देता है। इसलिए इसलिए कई महान लोगो ने आज की शिक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह भी समय समय पर खड़े किये हैं।
शिक्षा का उद्देश्य मेरी नजर में इंसान का सर्वांगीण विकास होना चाहिए। सर्वांगीण विकास से मतलब इंसान के नैतिक, आध्यात्मिक, शारीरिक, भावनात्मक, बौद्धिक और आर्थिक विकास से है।
यदि रोजगार ही इंसान के जीवन मे खुशी ला आधार होती तो आज कई इंसान दुखी नही होते। शिक्षा का उद्देश्य यह भी होना चाहिए कि इंसान को जीवन मे आने वाले उतार चढ़ाव के बारे में बताया जाए।
शिक्षा का उद्देश्य यह भी होना चाहिए कि हम इंसानो को इस काबिल बनाया जाए कि हम अपनी बौद्धिक क्षमता का अधिकतम उपयोग कर सके।
पर आज शिक्षा का उद्देश्य बहुत सीमित हो गया है। शिक्षा का यह सीमित उद्देश्य आज विद्यार्थियों पर अतिरिक्त दवाब भी बनाता है।
हमने कई बार यह सुना है कि किसी परीक्षा में असफल हो जाने से बाद विद्यार्थी आत्महत्या तक कर लेते है। क्योंकि उन्हें यह लगता है कि वहां असफल होने का मतलब है जीवन मे असफल हो जाना।
पर यह सच नही है। हमने कई ऐसे उदाहरण देखे हैं, जो अपने शैक्षणिक काल मे उतने अच्छे नही थे लेकिन आगे चलकर उन्होंने काफी अच्छे काम किये।
इसलिए शिक्षा का उद्देश्य यह भी होना चाहिए कि छात्रों के मन से यह नबर का बोझ हटा सके। उन्हें यह बताया जाना चाहिए कि जीवन मे इन नंबरों का उतना महत्व नही है जितना कि इंसान को क्षमताओं का।
कुल मिलाकर कहें तो शिक्षा रोजगार दिलाने का साधन बनने के साथ साथ इंसान को जीवन जीने की कला सीखने का जरिया बनना चाहिए।
शिक्षा का उद्देश्य अब और विस्तृत होना चाहिए, जैसा पहले गुरुकुल आदि में हुआ करता था, जहां हर एक इंसान के अंदर की क्षमता को पहचानकर उसे उसी तरह की शिक्षा दी जाती थी।
इस तरह शिक्षा किसी के लिए भी बोझिल नही हुआ करती थी। शिक्षा का उद्देश्य वक़्त और कालखंड के अनुसार बदलता भी रहा है,आशा है कि इंसानी मूल्यों को सिखाना भी अब शिक्षा का उद्देश्य होगा।